Newslaundry Hindi

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया चुनाव: पल्लवी घोष के फर्जी हस्ताक्षर का मामला पुलिस के पास पहुंचा

दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत कई अन्य पदों के लिए 10 अप्रैल को चुनाव होना है. जिसके लिए नॉमिनेशन वापस लेने की तारीख 31 मार्च थी.

31 मार्च की शाम जब इलेक्शन कमीशन नॉमिनेशन वापस लेने वाले सदस्यों की लिस्ट देखने बैठा तो हंगामा हो गया. दरअसल पत्रकार पल्लवी घोष का नॉमिनेशन वापस लेने का एक पत्र कमीशन को मिला. जबकि उन्होंने अपना नॉमिनेशन वापस नहीं लिया था.

इस चुनाव में न्यूज़ 18 की सीनियर एडिटर पल्लवी घोष उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार हैं. वह फिलहाल बंगाल विधानसभा चुनाव कवर करने गयी हैं. जिस पैनल से घोष चुनाव लड़ रही हैं उसके सदस्यों ने चुनाव अधिकारियों को बताया कि नॉमिनेशन वापस नहीं लिया गया है. आनन-फानन में इलेक्शन कमेटी के सदस्यों ने वीडियो कॉल के जरिए घोष से बात की, घोष ने भी नॉमिनेशन वापस नहीं लेने की बात कही. घोष से बात करने के बाद चुनाव अधिकारियों ने उन्हें हरी झंडी दे दी है.

दरअसल किसी ने पल्लवी का फर्जी हस्ताक्षर कर नॉमिनेशन वापस लेने का पत्र डाला था. इस फर्जीवाड़े को लेकर घोष ने अपनी तरफ से लिखित शिकायत देने के साथ-साथ पुलिस से भी शिकायत की है. ईमेल के जरिए नई दिल्ली के डीसीपी को लिखी शिकायत में घोष ने इस मामले की जांच करने की मांग की है.

दिल्ली पुलिस को जांच करने के लिए पल्लवी घोष का लिखा गया मेल.

न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए पल्लवी घोष कहती हैं, ‘‘मैं बंगाल में चुनाव कवर करने आई हूं. 31 मार्च को नॉमिनेशन वापस लेने का आखिरी दिन था. मुझे मेरे पैनल से फोन आया कि आपने नॉमिनेशन वापस कर लिया है और हमें बताया भी नहीं. इसके बाद मैंने उन्हें बताया कि मैंने नॉमिनेशन वापस नहीं लिया है. वहां इलेक्शन कमीशन की टीम बैठी हुई थी. उन्होंने देखा कि जो फॉर्म नॉमिनेशन वापस लेने के लिए दिया गया है उस पर मेरा फर्जी हस्ताक्षर है. मैंने इलेक्शन कमीशन को अपना बयान दिया. उन्हें ईमेल भेजा और बताया कि मैं अपना नॉमिनेशन वापस नहीं ले रही हूं.’’

पल्लवी घोष आगे कहती हैं, ‘‘हमने इलेक्शन कमीशन को पत्र लिखकर कहा है कि जिसने भी नॉमिनेशन वापस लेने का फॉर्म डाला है उसकी जांच हो. जहां नॉमिनेशन वापस लेने का बॉक्स रखा जाता है वहां सीसीटीवी लगा हुआ है. जिसने भी फॉर्म डाला है उसकी फुटेज मिल जाएगी. मुझे नहीं पता कि किसने किया है, लेकिन किसी ने दूसरे पैनल से ही किया होगा. मुझ पर बीते कई दिनों से दबाव तो आ रहा था कि मैं अपना नाम वापस ले लूं. लोग फोन करके कह रहे थे कि हमारे पैनल से चुनाव लड़ लो.’’

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में चुनाव कराने के लिए इलेक्शन कमेटी का गठन करता है जो क्लब के ही सदस्य होते हैं. इस बार चुनाव कमेटी के प्रमुख एमसी शर्मा हैं.

न्यूजलॉन्ड्री ने शर्मा से पल्लवी घोष के फर्जी हस्ताक्षर वाले मामले पर बातचीत की. शर्मा कहते हैं, ‘‘इसमें बताने की क्या बात है. यह प्रेस क्लब का इंटर्नल मामला है. क्लब एक परिवार की तरह है. यह कोई राजनीतिक चुनाव तो है नहीं कि किसी की आपस में दुश्मनी हो. सब एक परिवार से ही हैं. हमने अपनी समझ से न्याय किया. उनका नॉमिनेशन रद्द नहीं किया गया. न्याय हुआ या नहीं यह तो पल्लवी ही बताएंगी.’’

फर्जी हस्ताक्षर मामले में जांच के सवाल पर शर्मा कहते हैं, ‘‘जांच करने का अधिकार इलेक्शन कमीशन के पास नहीं है. हमने मैनेजमेंट को कह दिया है कि इस मामले को देखें. जिसने ऐसा किया हो उसकी जांच कर कार्रवाई करें.’’

जो कुछ हुआ वो एक बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा करता है. इस पर शर्मा कहते हैं, ‘‘क्या नैतिक और क्या अनैतिक है ये कहना मेरी जिम्मेदारी नहीं है. क्या गलत है क्या सही है वो हमें पारदर्शिता के साथ सबके सामने किया. एक-एक कागज देखकर, वीडियो कॉल पर बात करके पल्लवी की उम्मीदवारी बनाई रखी है. जो की हमारी जिम्मेदारी थी.’’

प्रेस क्लब के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा

जो मीडिया देश भर में चुनावी गतिविधियों पर नज़र रखता है. चुनाव में होने वाली अनियमितताओं की आलोचना करता है उससे जुड़े बड़े संस्थान में इस तरह का फर्जीवाड़ा होना हैरान करने वाला है.

पल्लवी घोष जिस पैनल से चुनाव लड़ रही हैं उस पैनल के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार संजय बसक भी इसको हैरानी से देखते हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए बसक कहते हैं, ‘‘हमें जब इसकी जानकारी मिली तो हम हैरान रह गए. मुझे लगता है कि प्रेस क्लब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. हम पत्रकार इलेक्टोरल बांड से लेकर तमाम मामलों पर खबर करते हैं. चुनाव में होने वाली गड़बड़ियों पर सवाल उठाते है, लेकिन हमारे यहां इस तरह की हरकत होना परेशान करने वाली बात है. आप देखिए कि बीते दस साल में मीडिया की विश्वसनीयता में गिरावट आई है. इस घटना से भी मीडिया पर सवाल खड़े होंगे.’’

ऐसा किसने किया. इस सवाल पर संजय बसक कहते हैं, ‘‘इसको लेकर संसद मार्ग थाने में हमने शिकायत दर्ज कराई है. अब यह जांच का विषय है, लेकिन जाहिर सी बात है कि हम लोग तो नहीं करेंगे. शाम करीब पांच बजे जब हमें इसकी जानकारी हुई तो हमें सांप सूंघ गया. अगर हम 10-15 मिनट और उस वक़्त पल्लवी से बात नहीं कर पाते तो नॉमिनेशन रद्द हो जाता. ऐसे में उनका एक उम्मीदवार निर्विरोध तो जीत ही जाता. इत्तफाक से पल्लवी से बात हो गई और उन्होंने अपना पक्ष इलेक्शन कमीशन के सामने रख दिया. कमीशन के लोग बेहतर हैं. उन्होंने हमारी बात सुनी और उम्मीदवारी रद्द नहीं की.’’

पल्लवी घोष के विरोध में लड़ रहे पैनल के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार उमाकांत लखेड़ा पल्लवी के नॉमिनेशन पर ही सवाल खड़े करते हैं. वे नॉमिनेशन में पारदर्शिता की कमी की तरफ इशारा करते हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए लखेड़ा बताते हैं, ‘‘पल्लवी 17 मार्च से पश्चिम बंगाल में चुनाव की रिपोर्टिंग करने के लिए मौजूद हैं. वो दिल्ली में नहीं हैं. इलेक्शन ऑफिस ने 21 मार्च के बाद नॉमिनेशन के लिए फॉर्म जारी किया और उसकी प्रक्रिया शुरू हुई. उनका नॉमिनेशन चार-पांच दिन पहले दाखिल हुआ है, यानि उस समय जब वो दिल्ली में थी ही नहीं. उनका नॉमिनेशन जो दाखिल हुआ उसमें कोई पारदर्शिता नहीं है. किसने किया, किसके जरिए वहां से फॉर्म भेजा है?’’

31 मार्च की शाम जो कुछ हुआ उसको लेकर लखेड़ा कहते हैं, ‘‘कल शाम को जब नॉमिनेशन वापस लेने वाला बॉक्स खोला गया तो उसमें एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि मैं उपाध्यक्ष के लिए अपना नॉमिनेशन वापस ले रही हूं. जब यह मामला सामने आया था तो घोष के साथ के लोगों ने विरोध जताया. बात करने के बाद कमीशन ने उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी जिसके बाद यह चैप्टर वहीं पर खत्म हो गया.’’

पल्ल्वी घोष द्वारा पुलिस को शिकायत देने के सवाल पर लखेड़ा कहते हैं, ‘‘विरोधी पक्ष इस मामले को बढ़ा रहा है. जब आपकी समस्या का समाधान हो गया तो उसे पुलिस में और ट्विटर पर ले जाना यह हैरान करने वाला है. हमने भी इलेक्शन कमीशन को बोला कि इस पर तत्काल जांच होनी चाहिए. ऐसा जिसने भी किया है यह गलत है. हमने लिखित में इलेक्शन कमीशन को बोला कि इस साजिश के पीछे जो है उसकी जांच कराई जाए. किसी को भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए. चाहे वो हमारा समर्थक हो या उनका समर्थक हो. अभी भी हम मांग कर रहे हैं कि इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. सीसीटीवी फुटेज देखा जाना चाहिए कि कौन था इसके पीछे.’’

लखेड़ा इस साजिश के पीछे चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की कोशिश मानते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए वे कहते हैं, ‘‘यह चुनाव को आगे बढ़ाने की साजिश है. विपक्षी ग्रुप वाले हार रहे हैं. बीते 48 घंटे में उनको इसकी जानकारी हो गई है. मैं सच में बता रहा हूं. वे एक टूटे हुए समूह (स्प्लिंटर ग्रुप) हैं. वे सिर्फ इसलिए नाराज़ हो गए क्योंकि प्रेस क्लब के मैनेजिंग कमेटी के दफ्तर में उन्होंने कब्जा किया हुआ था. कोविड के दौरान उन्होंने न्यूजसेंस क्रिएट किया जिसके बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया. इसलिए वे खफा हो गए. इसके बाद वे लोग मेरे पास भी आए थे कि आप हमारे अध्यक्ष के उम्मीदवार बन जाओ. मैंने मना कर दिया. वे हताशा में प्रोपगेंडा कर रहे हैं. वे जांच में सहयोग करें ना कि प्रोपेगेंडा फैलायें. हम किसी को चुनाव लड़ने से क्यों रोकेंगे.’’

उमाकांत लखेड़ा के चुनाव हारने के डर से चुनाव आगे बढ़ाने के आरोप पर संजय कहते हैं, ‘‘हम आखिर क्यों चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे. उमाकांतजी कह रहे हैं कि हम हार रहे हैं, मैं कहूंगा कि वे हार रहे हैं. यह तो गलत बात है न? वोट होगा उसके बाद जीत हार तय होगी. इस तरह के आरोप निराधार हैं.’’

लखेड़ा द्वारा नॉमिनेशन में पारदर्शिता के आरोप पर पल्लवी कहती हैं, ‘‘उनको कैसे पता की मैं दिल्ली में नहीं थी.’’

चुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने को लेकर मुख्य चुनाव अधिकारी एमसी शर्मा कहते हैं, ‘‘चुनाव तो तय समय पर ही होगा. चुनाव को रोकने के लिए कोई कह भी नहीं रहा और ना ही रोका जाएगा. इसमें हमारे (सदस्यों) पैसे खर्च हो रहे हैं.’’

इस पूरे मामले पर पल्लवी हंसते हुए कहती हैं, ‘‘इतना तो लोकसभा के चुनावों में भी नहीं होता. मुझे भी नहीं पता था कि यह इतना बड़ा चुनाव हैं."

Also Read: इशरत जहां एनकाउंटर: कोर्ट के फैसले पर मीडिया की सनसनीखेज कलाबाजी

Also Read: 'पक्ष'कारिता: ‘उदन्‍त मार्तण्‍ड’ की धरती पर हिंदूकरण (वाया हिंदीकरण) की उलटबांसी