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कोरोना वैक्सीन: हर दिन फैल रही अफवाहें, उनका सच और उनसे बचाव

जनवरी, 2021 के महीने में इजराइल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से बुरी तरह से ग्रस्त था. पर अगले दो महीनों में उन्होंने अपने आधे से ज्यादा आबादी को कोरोना वायरस वैक्सीन दी. आज इजराइल में कोरोना के मामले बहुत तेज़ी से गिर रहे है. वहां की स्थिति फिर से सामन्य हो रही है, और इसका श्रेय कोरोना वैक्सीन को जाता है.

कोरोना जैसे अन्य वायरस और विषाणुओं से लड़ने के लिए, हमारे शरीर में एक अद्भुत रोग प्रतिरोधक शक्ति है. हमारे रक्त में ऐसी कई विशिष्ट कोशिकाएं है जो इन वायरस से लड़ने के लिए अनेक प्रकार के 'एंटीबॉडी' बनाते हैं. वैक्सीन एक ऐसी दवा है जो शरीर को यह 'एंटीबाडी' बनाने में मदद करती है. किसी भी बीमारी की वैक्सीन लगने पर, उस बीमारी के होने का खतरा बहुत काम हो जाता है.

आज भारत में भी कोरोना वैक्सीन का राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान चल रहा है. पर इस प्रक्रिया में व्हाट्सएप पर फैलाई जा रही अफवाहें बाधा डाल रही हैं. इन्हीं अफवाहों से लोगों में कोरोना वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट हो रही हैं. ऐसी अफवाहों का कोई वैज्ञानिक स्रोत नहीं होता है और यह सिर्फ पढ़ने वालों को भ्रमित करती हैं. इस लेख में हम ऐसे ही कुछ अफवाहों के पीछे का वैज्ञानिक तर्क देखेंगे.

ऐसी कोई भी वैक्सीन जिसे सरकार की स्वीकृति मिली हो, वो प्रभावी भी होती है और सुरक्षित भी. वैक्सीन के हानिरहित होने का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की भारत में, हर साल 2 -3 करोड़ नवजात शिशुओं को 12 बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन दिया जाता है. अगर ये सारी वैक्सीन नहीं होते, तो एक शोध के अनुसार, दुनिया भर में पिछले 10 सालों में, 2 करोड़ 30 लाख लोगों की मृत्यु पोलियो, रोटा वायरस, हेपेटाइटिस जैसे बीमारियों से हो जाती. वे सब आज वैक्सीन के कारण जिंदा है. इसलिए वैक्सीन न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि प्रभावशाली भी है.

कोरोना के खिलाफ 'एंटीबॉडी' बनाने वाली इंसानी कोशिका
माइक्रोस्कोप द्वारा देखा गया कोरोना वायरस
इंसानी कोशिका (हरे रंग में) पर हमला करते कोरोना वायरस (लाल रंग में)

कोरोना वैक्सीन लेने के कारण कोई भी दिल के दौरे से नहीं मर रहा है

आपने व्हाट्सएप और अख़बारों में पढ़ा होगा की कोरोना वैक्सीन लेने के बाद किसी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गई. यहां एक बात पर गौर करने की जरूरत है की मृत्यु वैक्सीन लेने बाद हुई, वैक्सीन की वजह से नहीं. भारत में अभी तक कुल 3 करोड़ 50 लाख लोगों को वैक्सीन के दो में से कम से कम एक खुराक मिल चुकी है. वैक्सीन लगने के बाद अनुमानित 80 व्यक्तियों की मृत्यु दिल का दौरा और स्ट्रोक के कारण हुई है. भारत में लगभग हर साल 20 लाख, और हर दिन 5,500 लोग दिल से जुड़े रोगों से मरते हैं. इसलिए वैक्सीन लेने के बाद दिल के दौरे से मरना तमाम मामलों में इत्तेफाक भी हो सकता है. दूसरी बात भारत में अब तक ज्यादा वैक्सीन बुजुर्गों को दिया गया है, जिनमें दिल के रोग का खतरा बाकियों से ज्यादा है. सरकार की विशिष्ट कमेटी वैक्सीन से सम्बंधित हर मृत्यु की जांच कर रही है. अभी तक उन्हें ऐसा एक भी प्रकरण नहीं मिला जहां मौत वैक्सीन के वजह से हुई हो. पूरी दुनिया में अभी तक कोरोना वैक्सीन के 49 करोड़ खुराक दी जा चुकी है.

कोरोना वैक्सीन में इंसानी भ्रूण की कोशिका मौजूद नहीं हैं

व्हाट्सएप पर ऐसी अफ़वाए फैलाई जा रही हैं कि कोरोना वैक्सीन में इंसानी भ्रूण (fetus) के अवशेष मौजूद हैं. यह दावा बिलकुल गलत है.

दवाइयों पर शोध करने के लिए प्रयोगशाला में उस दवाई या वैक्सीन की जांच के लिए इंसानी कोशिका का इस्तेमाल किया जाता है. यह कोशिका इंसानी शरीर की नक़ल करती है पर वे जीवित नहीं होती हैं. ऐसे ही एक इंसानी कोशिका - HEK-293 का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के कोविशील्ड वैक्सीन को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया है. यह कोशिका को 1972 में, एक भ्रूण से प्राप्त किया था. तब से इस निर्जीव कोशिका का इस्तेमाल बहुत सी दवाइयों को बनाने के लिए किया गया है.

कोविशील्ड वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया में इस कोशिका का इस्तेमाल किया जा रहा है, पर जो वैक्सीन हमारे शरीर में जा रही है, उसमें इस कोशिका के कोई अवशेष नहीं हैं.

कोरोना वैक्सीन लेने से इंसान नपुंसक नहीं बनेगा

वैक्सीन के खिलाफ अफ़वाहें फैलाने वालों में, यह अफवाह सबसे लोकप्रिय है. MMR वैक्सीन हो या पोलियो वैक्सीन, हर समय यह दावा किया जाता है की वैक्सीन लेने से इंसान की बच्चा पैदा करने की क्षमता ख़त्म हो जाएगी, या वो नपुंसक बन जायेगा. यह दावा शत प्रतिशत झूठा है. भारत और वैक्सीन का रिश्ता बहुत पुराना है. पिछले 220 साल से हमारे देश में बच्चों और बड़ों को बहुत सी बीमारियों के लिए वैक्सीन दिया जा रहा है. आज से 110 साल पहले, कॉलरा (हैजा) और प्लेग महामारी से लड़ने में भी वैक्सीन ने भारत का हाथ बंटाया था. 1985 में हर बच्चे को 6 बीमारियों और आज हर बच्चों को 12 बीमारियों के लिए वैक्सीन दिया जाता है. बच्चों के अलावा, गर्भवती महिला, बुजुर्गों और बड़ों, सबको अलग अलग बीमारियों के लिए वैक्सीन दिया जाता है.आप भारत की आबादी से इस अफवाह की सच्चाई का अंदाजा लगा सकते है.

अनेक अनुसंधानों के अनुसार, इन वैक्सीनों में और नपुंसकता में कोई संबंध नहीं है. पुराने किस्सों को देखा जाये तो ऐसी अफवाह फैलाने वाले डॉक्टर और वैज्ञानिक अक्सर फर्जी और पाखंडी निकले हैं.

कोरोना वैक्सीन में सूअर के मांस का इस्तेमाल नहीं किया गया है

इस्लाम के मानने वाले कुछ लोग वैक्सीन लेने में हिचहिचा रहे हैं क्योंकि ऐसी अफ़वाहें फ़ैल रही हैं कि वैक्सीन में मौजूद एक सामग्री को सूअर के मांस से बनाया गया है. Porcine Gelatine नाम के एक पदार्थ का उपयोग कुछ दवाइयों में स्थिरक के रूप में किया जाता है. Porcine Gelatine को सूअर की हड्डियों से बनाया जाता है. पर भारत में मौजूद दोनों कोरोना वैक्सीन- सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवाक्सिन में इस Porcine Gelatine का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

कोरोना वैक्सीन के शोध के लिए जानवरों पर अत्याचार नहीं किया गया है

फेसबुक और व्हाट्सएप पर ऐसे कई वीडियो भेजे जा रहे हैं जहां कुछ व्यक्ति जानवरों पर अत्याचार कर रहे हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि इन जानवरों को कोरोना वैक्सीन के अनुसंधान के लिए तड़पाया जा रहा है. ऐसे सभी वीडियों और उनके दावे गलत हैं.

यह बात सही है की कोरोना वैक्सीन का शोध जानवरों पर किया जा रहा है. पर किसी भी दवाई को इंसानों पर जांचने से पहले उसे जानवरों पर जांचना आम प्रक्रिया है. भारतीय कानून के हिसाब से, भारत में बिकने वाली सभी दवाई और वैक्सीन को कम से कम दो जानवरों की जातियों पर परखना अनिवार्य है. भले वो बदन दर्द की गोली हो या कैंसर की दवाई, सबको भारत में बेचने से पहले जानवरों पर शोध करना ही पड़ता है. इसी तरह कोरोना वैक्सीन की हानिकारक क्षमता की जांच भी जानवरों पर की गई है.

प्रयोगशाला में जानवरों के उपयोग के लिए देश में सख्त कानून मौजूद हैं. इन कानून के तहत, वैज्ञानिक और दवा कंपनी सभी जानवरों का बेहद अच्छे से देखभाल करने के लिए बाध्य हैं. सरकार ऐसी सभी प्रयोगशाला को नियमित निरीक्षण भी करती हैं.

इसलिए कोरोना वैक्सीन को बनाने में जानवरों का सहारा लिया गया है लेकिन इन जानवरों पर कोई यंत्रणा नहीं की गई है.

इन अफवाहों के अलावा और भी कई झूठ इंटरनेट पर फैलाए जा रहे हैं. जैसे की एक सूची भेजी जा रही है जिसमें अलग अलग देशों में कोरोना वैक्सीन के दाम दिए गए है और उस सूची में भारत में वैक्सीन सबसे सस्ती है- 250 रुपए में दी जा रही है, ऐसा दिखाया गया है. पर उस सूची में मौजूद सभी देश अपने अपने नागरिको को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में दे रहे हैं. इसके बारे में और जानने के लिए Alt News हिंदी का यह लेख जरूर पढ़ें.

और भी कई विचित्र अफ़वाहैं हैं, जैसे की कोरोना वैक्सीन में इलेक्ट्रिक चिप होने का भी दावा किया जा रहा है, जो बिलकुल गलत है. ऐसी सभी अफवाहों पर थोड़ा भी भरोसा ना करें.

कोरोना वैक्सीन न सिर्फ आपको बीमारी से बचाएगी बल्कि आपके परिजनों को आप से कोरोना वायरस का संक्रमण न फैले इसकी भी आशंका को कम करेगी.

आज भारत में सिर्फ 4 प्रतिशत लोगों को कोरोना वैक्सीन मिली है. इजराइल ने कोरोना के मामलों को घटाने के लिए लगभग 60% आबादी को वैक्सीन दिया है. हम आज उस आकंड़े से बहुत दूर हैं. यहां दूरी व्हाट्सएप की अफवाहों से और ज्यादा दूर हो जाएगी.

यदि इस आपदा की कोई संजीवनी है, तो वह कोरोना की वैक्सीन है. इसलिए इससे जुड़े किसी भी संदेहजनक ​मैसेज को आगे न भेजे और अपनी बारी आने पर तुरंत वैक्सीन लगवा लें, याद रखें, वैक्सीन सुरक्षित भी है और प्रभावशाली भी.

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