Newslaundry Hindi
एनएल चर्चा 160: भारत-पाक के बीच बातचीत, बिहार विधानसभा में हाथापाई और बढ़ते कोरोना के मामले
एनएल चर्चा के 160वें एपिसोड में बिहार विधानसभा में विपक्षी विधायकों से साथ हुई हाथापाई, कोरोना के बढ़ते मामले, भारत और पाकिस्तान के बीच दो साल बाद बातचीत, राज्यसभा से भी पास हुआ जीएनसीटीडी बिल और 45 साल के ऊपर के सभी लोग लगवा सकते हैं कोरोना वैक्सीन आदि जैसे विषयों पर चर्चा हुई.
इस बार चर्चा में प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ प्रकाश के रे, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और न्यूज़लॉन्ड्री के सह संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. बंगाल चुनाव को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने कोलकाता से चुनावी हालात की जानकारी दी. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत राज्यसभा में पास हुए जीएनसीटीडी बिल से की. आनंद और प्रकाश से इस मुद्दे पर सवाल करते हुए अतुल कहते हैं, “दिल्ली सरकार के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया था. इस बिल को भी कृषि बिल की तरह ही विपक्ष की मांगों को दरकिनार करते हुए पास कर दिया गया. साथ ही इस मामले में बीजेपी का दोहरापन भी साफ दिख रहा है, जो अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने की बात कहती है और यह बिल लाकर एलजी को दिल्ली का मुखिया बना दिया?”
इस प्रश्न पर उत्तर देते हुए आनंद कहते हैं, “दिल्ली की तरह ही पुडुचेरी में भी शासन है. केंद्रशासित प्रदेश के विधानसभा में मोदी सरकार ने तीन सदस्य मनोनित कर दिया था. उस वक्त भी काफी हंगामा हुआ था. केंद्रशासित प्रदेशों को लेकर संविधान में काफी लचीलापन है जिसका फायदा केंद्र सरकार उठाती है. नीतीश कुमार की किताब में एक वाकया है जब वह अरुण जेटली से कहते है आप दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी रखिए, तब वह कहते है, कौन दिल्ली का मेयर बनना चाहता है. तो आप समझ सकते है, केंद्र के नेतृत्व का दिल्ली को लेकर क्या दृष्टिकोण है. हमें इसका उपाय खोजना होगा. यह सभी पार्टियों के लाभ से इतर होकर उपाय ढूंढना होगा.
इस विषय पर टिप्पणी करते हुए प्रकाश के रे कहते है, “जब केंद्र सरकार का मंशा ही दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने का है तो वह उसके लिए किसी भी तरह का बिल पास करवा सकते है. आगे आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर में भी यह समस्या हो सकती है क्योंकि वह भी केंद्रशासित प्रदेश है. हमारी विधायिका में जिस तरह से बहस को बहुमत की सरकार दबा देती है, वह चिंताजनक है. इसको लेकर बातचीत होनी चाहिए और काम करना चाहिए.”
शार्दूल इस विषय पर कहते है, मेरी टिप्पणी बिहार और दिल्ली सरकार दोनों पर हैं. सरकारों के पास लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति नैसर्गिक सम्मान की कमी है. सरकार बहुमत आने के बाद लोकतांत्रिक मूल्यों को छोड़ देती है. आगे चलकर यह बीजेपी के लिए गलत कदम साबित होगा क्योंकि अरविंद केजरीवाल को मौका मिल जाएगा की वह दूसरे राज्यों में जाकर अब चुनाव प्रचार में पूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी कर सकते है.
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
प्रकाश के रे
प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल की किताब - कौन हैं भारत माता?
आनंद वर्धन
रॉबर्ड डी कैपनल की किताब - मानसून एशिया
शार्दूल कात्यायन
रॉबर्ड डी कैपनल की किताब - द रिवेंज ऑफ जियोग्राफी
अलास्का में चीन और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक
असम में सीएए विरोध प्रदर्शनों में मौत हुई लोगों के परिजनों पर अयान शर्मा की रिपोर्ट
अतुल चौरसिया
कौन हैं भारत माता किताब लॉन्चिंग पर बातचीत
इनसाइड जॉब - 2008 के मंदी पर बनी डाक्यूमेंट्री
डाइंग टू टेल - नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स
रिकॉर्डिंग - अनिल कुमार
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह.
Also Read
-
‘They call us Bangladeshi’: Assam’s citizenship crisis and neglected villages
-
Why one of India’s biggest electoral bond donors is a touchy topic in Bhiwandi
-
‘Govt can’t do anything about court case’: Jindal on graft charges, his embrace of BJP and Hindutva
-
Reporter’s diary: Assam is better off than 2014, but can’t say the same for its citizens
-
‘INDIA coalition set to come to power’: RJD’s Tejashwi Yadav on polls, campaign and ECI