Newslaundry Hindi
बंगाल भाजपा के एससी मोर्चा प्रमुख का इस्तीफा, पार्टी के लिए बहुत बड़ा धक्का क्यों है?
बुधवार को ऐसा लगा कि बंगाल में भाजपा को कुछ हानि हुई है जब उनकी पार्टी के प्रदेश एससी मोर्चा के अध्यक्ष दुलाल बार ने यह घोषणा की कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं.
दुलाल उत्तर 24 परगना के बागदा चुनाव क्षेत्र से विधायक हैं, और उन्होंने यह आरोप लगाया है कि भाजपा "अनर्गल रूप से टिकट बांट रही है जो एससी समाज के उन लोगों को मिलने चाहिए थे जो समाज के लिए काम करते रहे हैं. पार्टी ने उन्हें इस बार बागदा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया है.
न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं विधायक के तौर पर नजरअंदाज किए जाने पर ठगा सा महसूस कर रहा हूं. मैं बागदा से दो बार का विधायक हूं और राज्य के एससी मोर्चा का अध्यक्ष हूं, जिसने पार्टी को अपना अंतर्मन और आत्मा, सब कुछ दिया. मेरे सारे समर्थक भाजपा के बड़े नेताओं से नाराज हैं, जो निस्वार्थ रखने वालों के हाथ बिक गए हैं. मैंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है हालांकि मैं भाजपा का सदस्य ही रहूंगा. मैंने कैलाश विजयवर्गीय और दिलीप घोष को अपने पद छोड़ने के निर्णय के बारे में बता दिया है."
दुलाल बाणगांव से भारतीय जनता पार्टी के सांसद, शांतनु ठाकुर पर "पैसे की ताकत का इस्तेमाल कर पार्टी के बड़े नेताओं के निर्णयों को प्रभावित करने" का दोषी बताते हैं. वे कहते हैं, "मैं भी एक मटुआ हूं और मैं कह सकता हूं कि वो एक अवसरवादी है. एक आध्यात्मिक नेता होते हुए भी चुनावी मैदान में आ गए हैं, जो मटुआ महासंघ के संस्थापक स्वर्गीय हरिचंद ठाकुर के द्वारा बनाए गए नियमों के खिलाफ है. इतना ही नहीं उन्होंने उन लोगों की उम्मीदवारी को भी बढ़ावा दिया जिन्होंने दलितों के खिलाफ काम किया है."
मटुआ महासंघ के शूद्र समाज में बड़ी संख्या में अनुयाई हैं. शांतनु इस समाज कि दिवंगत नेत्री, मटुआ बरामां बीनापानी देवी के पोते हैं.
दुलाल कि भाजपा से मुख्य नाराजगी इस बात पर है कि, "तृणमूल कांग्रेस के गुंडों से बचाव में दलितों को ढाल की तरह इस्तेमाल करने" के बाद भी, पार्टी ने उनके योगदान का संज्ञान नहीं लिया है.
दुलाल दावा करते हैं, "क्या आप जानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से राज्य में राजनीतिक झड़पों में मारे गए भाजपा के 130 कार्यकर्ताओं में से 90 एससी समाज से थे? हमारी श्रेणी के हिंदुओं को सबसे पहले निशाना बनाया जाता है. हमने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी एससी समाज को वंचित करते देखा है. उन्होंने मुसलमानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की, मुसलमानों की मस्जिदें बनाने में मदद की, इमामों को भत्ता दिया, लेकिन कभी दलितों के लिए कोई चिंता नहीं दिखाई. मेरी पार्टी भी इससे बेहतर नहीं है. बंगाल में 90% एससी आबादी बांग्लादेशी मूल की है. भाजपा मुसलमानों के द्वारा उत्पीड़ित दलित समाज के लोगों की शिकायतों का उपयोग करना चाहती थी. पार्टी ने दलितों को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि वह सीएए को लागू करना चाहती है. वह ममता बनर्जी के खिलाफ नाराज़गियों का फायदा उठाना चाहते थे."
दुलाल ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा "मटुआ समाज के ही एक भ्रष्ट समूह की तरफ झुक रही है जिसका नेतृत्व शांतनु कर रहे हैं", जिससे एससी समाजों में काफी अप्रसन्नता फैल रही है. वे बताते हैं, "मटुआ लोगों का एक बड़ा भाग शांतनु से नाराज है, क्योंकि वो एक तानाशाह है. स्थानीय भाजपा नेताओं को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने अपने भाई सुब्रत ठाकुर के लिए गायघाट से उम्मीदवारी की मिन्नतें कीं. भाजपा के शीर्ष नेता, जिन्होंने मेहनती और जुझारू स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं की जीत सकने की क्षमता को कम आंका, नतीजे आने पर सब समझ जाएंगे."
पार्टी के उच्च नेतृत्व पर "तानाशाही बर्ताव" के अपने आरोप की पुष्टि के लिए दुलाल कहते हैं, "हरी घाट में असीम सरकार और कल्याणी विधानसभा क्षेत्र में अवनी रॉय के मामले को ही लें. उन्हें जिस क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए कहा है उन्हें उस क्षेत्र का कोई अंदाजा ही नहीं, वे इलाके में अलग-थलग दिखाई पड़ते हैं और वे चुनाव हारेंगे. एक तरफ असीम सरकार मटुआ समाज के सर्वविदित आलोचक हैं, वहीं अवनी एक ऐसी वकील है जिन्होंने कभी दलित समाज के लिए काम नहीं किया. भाजपा ऐसे लोगों को टिकट कैसे दे सकती है?"
यह महत्वपूर्ण क्यों है
इस समय भारतीय जनता पार्टी के बंगाल से चुने हुए सांसदों में से 10 दलित समाज से आते हैं, जो राज्य की जनसंख्या का 23.51 प्रतिशत है. दलित समाज उत्तरी और दक्षिणी 24 परगना, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा है.
भाजपा के एक और प्रभावशाली दलित नेता गौतम हाज़रा बताते हैं, "राजबंशी जो कुल दलित जनसंख्या के 18.4 प्रतिशत हैं, नामशूद्र जो 17.4 प्रतिशत हैं और बागड़ी जो 14.9 प्रतिशत हैं, समाज में बड़ा जनाधार रखते हैं. मटुआ समाज, जो 2019 से ही खबरों में रहा है, नामशूद्र समाज का एक हिस्सा है. हमारी पार्टी दलित वोटों पर काफी ज्यादा निर्भर करती है और हम चाहते हैं कि वह भाजपा के ही पक्ष में वोट करें."
गौतम ने यह भी दावा किया कि "टीएमसी के गुंडों" के हमलों को नाकाम करते हुए, दलित समाज के ही लोगों ने भाजपा के लिए अपनी जान का बलिदान दिया है.
वे कहते हैं, "2019 में प्रदीप मंडल तपन मंडल और सुकांता मंडल के मुस्लिम गुंडों ने टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे. वे सभी पिछड़े हुए समाज से थे. दलितों ने भाजपा के लिए बहुत कुछ बलिदान किया है, पार्टी भी उनके योगदानों से अनभिज्ञ नहीं है और हम शनै: शनै: इसका पारितोषिक पा रहे हैं." इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी यूनिट ने 3 महीने के अंदर अंदर 2000 नए सदस्य शामिल किए.
दुलाल के इस्तीफे के बारे में पूछने पर, एससी मोर्चे की एक प्रभावशाली नेत्री, कविता नास्कर ने कहा कि दुलाल के स्तर के नेता को खोने की गुंजाइश उनके पास नहीं है. वे कहती हैं, "मैं मानती हूं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि इससे उनके कार्यकाल में जिस यूनिट ने अभूतपूर्व सफलता देखी है, उसे बड़ा धक्का पहुंचेगा."
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away