Newslaundry Hindi
क्या एक टैक्सी ड्राइवर ने महाराष्ट्र के बड़े पुलिस अधिकारियों के 'ट्रांसफर' पैसे के लिए करवाये?
मुंबई पुलिस के सब इंस्पेक्टर सचिन वाझे की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण या एनआईए के द्वारा की गई गिरफ्तारी ने महाराष्ट्र में राजनेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच होने वाली तथाकथित संदेहास्पद सौदेबाजी से पर्दा हटा दिया है.
राज्य के आसूचना विभाग की प्रमुख रश्मि शुक्ला ने एक ताजा रिपोर्ट तैयार की है. यह रिपोर्ट जिसकी एक प्रति को न्यूजलॉन्ड्री ने भी देखा, उच्च पदों पर बैठे हुए पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण में होने वाले भ्रष्टाचार की बात करती है, जो कथित तौर पर पैसे के लेनदेन से किया जाता है.
यह रिपोर्ट, जिसे सरकार के हवाले पिछले साल अगस्त में किया गया था, महादेव इंगले नाम के व्यक्ति को अपने "राजनैतिक रसूख" और "बड़े लोगों से संपर्कों" को पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर में उपयोग करने का आरोप लगाती है.
लेकिन न्यूजलॉन्ड्री ने पता लगाया है कि इंगले, जो इस पूरी गतिविधि का कथित तौर पर सरगना है, असल में उस्मानाबाद का एक टैक्सी ड्राइवर है जिसने अपना किसी भी पुलिस अधिकारी या राजनेता से संपर्क होने से इनकार किया है.
इसके बावजूद इंगले को नामित करने वाली इस रिपोर्ट का मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने उल्लेख किया जिनका इसी महीने ट्रांसफर मुंबई पुलिस कमिश्नर से हटाकर होमगार्ड विभाग में कर दिया गया. यह पद उनके पुराने पद से कहीं कम रसूख वाला है. परमवीर सिंह ने उच्चतम न्यायालय में अपने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की थी और उपरोक्त रिपोर्ट को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख की काली करतूतों के संदर्भ के रूप में पेश किया था. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी एक प्रेस वार्ता में इस रिपोर्ट की बात उठाई और पुलिस ट्रांसफरों मैं तथाकथित भ्रष्टाचार के लिए सीबीआई जांच की मांग की.
घटनाक्रम कुछ यूं है.
विवाद का बिंदु बनी रिपोर्ट
रश्मि शुक्ला के अंतर्गत राज्य के गुप्त सूचना विभाग ने पुलिस बल के सदस्यों और राजनेताओं के फोन टैप करने की इजाजत ले ली थी. रश्मि शुक्ला ने खोजबीन में मिली सारी सूचनाएं इस रिपोर्ट के जरिए मुंबई पुलिस के तत्कालीन डीजी सुबोध कुमार जायसवाल के सुपुर्द कर दी थीं.
इसके पश्चात, जायसवाल ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव सीताराम कुंते को पत्र लिखा और यह सुझाया कि यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की सीआईडी को दोषियों की पहचान के लिए एक जांच का आदेश देना चाहिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी शुरू करनी चाहिए.
यह रिपोर्ट "दलालों के एक नेटवर्क" का उल्लेख करती है, जो "भारी रकम के बदले में पुलिस अफसरों के लिए मनचाही नियुक्ति" का काम करवाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार इंगले ने कथित तौर पर 29 पुलिस अफसरों को ट्रांसफर कराने का ठेका लिया था जिनमें उप आईजी, कई पुलिस एसपी और डीएसपी, उप पुलिस कमिश्नर और सहायक पुलिस कमिश्नर के साथ-साथ कई और पुलिस के अधिकारी शामिल थे.
रिपोर्ट कहती है कि, "उसने कई वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के तबादले का प्रबंध भी किया है, जिनमें एडीजी स्तर तक के कई अधिकारी जैसे संदीप विश्नोई, बिपिन कुमार सिंह, संजय वर्मा और विनय चौबे जैसे लोग भी हैं."
रिपोर्ट में इंगले के हवाले से कहा गया कि, "मैं गृहमंत्री और दादा के जरिए यह तबादले करवा दूंगा." रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 'दादा' संभवतः महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए उपयोग किया गया है.
रिपोर्ट कहती है, "क्योंकि उसकी भ्रष्टाचार विरोधी विभाग के अफसर श्री खड़े से अच्छी पहचान है, इंगले उसका तबादला कराने की कोशिश कर रहा है… और गृहमंत्री और दादा कह रहे हैं कि भरत टंगड़े के लिए मनचाहे तबादले का काम हो गया है." भरत टंगड़े राज्य के गृह विभाग में सुरक्षा विभाग के उप कमिश्नर हैं.
रिपोर्ट यह भी आरोप लगाती है कि इन तबादलों को करवाने के लिए इंगले "औसतन तौर पर 30 से 40 लाख" रुपया लेते थे.
परंतु जब न्यूजलॉन्ड्री ने इंगले को खोज कर निकाला, जिसके नंबर की निगरानी चल रही थी, हमें पता चला कि वह उस्मानाबाद की कलाम्ब तहसील का रहने वाला एक टैक्सी ड्राइवर है, जो अपनी मारुति स्विफ्ट डिजायर गाड़ी से यात्रियों को नागपुर पुणे और सोलापुर आदि जगह ले जाता है.
इंगले ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, "मेरा किसी भी पुलिस अधिकारी या राजनेता से कोई संपर्क नहीं है. मैंने अपने साले से एक गाड़ी किराए पर ली है और आजीविका के लिए उसे चलाता हूं. मेरी पत्नी एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है. मैं गाड़ी चला कर 8 से 9 हजार रुपए कमा लेता हूं."
इस दौरान बात करते हुए इंगले रो पड़े. उन्होंने कहा. "मैं एक बहुत गरीब आदमी हूं सर और जिंदा रहने की कोशिश कर रहा हूं. जब मैं बच्चा था मेरे पिता तभी गुजर गए और मैं भयंकर गरीबी में बड़ा हुआ. मैं सातवीं कक्षा तक पढ़ा और उसके बाद से जिंदा रहने के लिए काम कर रहा हूं. मेरा किसी मंत्री या बड़े आदमी से कोई कनेक्शन नहीं है. मैंने तो नेताओं को बस तभी देखा है जब वह हमारी जगह पर रैलियां करने आते हैं. मैं तो किसी पुलिस अफसर को जानता भी नहीं."
उन्होंने यह भी कहा, "मैं केवल अपने परिवार के साथ जिंदा रहने की कोशिश कर रहा हूं. मैंने कुछ नहीं किया है."
न्यूज़लॉन्ड्री ने रश्मि शुक्ला से संपर्क करने की कोशिश की जो इस समय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में एडीजी के रूप में तैनात हैं, लेकिन वे कोई भी टिप्पणी देने के लिए उपलब्ध नहीं थीं.
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
Also Read
-
Ambedkar or BN Rau? Propaganda and historical truth about the architect of the Constitution
-
Month after govt’s Chhath ‘clean-up’ claims, Yamuna is toxic white again
-
The Constitution we celebrate isn’t the one we live under
-
Why does FASTag have to be so complicated?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms