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विश्वगुरू की फजीहत और सुधीर चौधरी के नैतिक उपदेश

टिप्पणी में इस हफ्ते धृतराष्ट्र-संजय सवाद की वापसी हो रही है. संजय ने बताया कि आए दिन हस्तिनापुर की नाक पूरी दुनिया में कट रही है. यह सुनते ही धृतराष्ट्र की तमाम इंद्रिया सचेत हो गईं. उन्होंने अपने उच्चारण में अतिरिक्त बल लगाकर पूछा नाक कट रही है? हम तो सुनते थे कि डंकापति के राज में चौतरफा दुंदुभी बज रही है, पूरी दुनिया में उनकी तूती बोल रही है. भारत विश्वगुरू के आउटर सिग्नल पर खड़ा है, किसी भी दिन इसकी मुनादी हो सकती है. तुम कह रहे हो नाक कट रही है. संजय ने बातचीत का सिरा खोलते हुए कहा बीते कुछ दिनों से डंकापति के राजपाट की दुनिया भर में लानत मलानत हो रही है. ताजा मामला राजनीति विज्ञानी प्रताप भानु मेहता का है. अब डंकापति को यह भी मंजूर नहीं कि कोई अखबार में उनके खिलाफ पांच-सात सौ शब्दों का लेख लिखे. डंकापति ने उससे निपटने का अलग ही रास्ता निकाला है. प्रताप भानु मेहता जिस अशोका यूनिवर्सिटी में नौकरी करते थे, डंकापति ने वहां से उनका पत्ता कटवा दिया है.

धृतराष्ट्र-संजय संवाद के अलावा बीते हफ्ते अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड जे ऑस्टिन भारत के दौरे पर थे. उन्होंने अमेरिकी सांसद रॉबर्ट मेनेन्डे की सलाह को ध्यान में रखते हुए अपनी मुलाकात के दौरान भारत में लगातार सिकुड़ रहे लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक आजादी का मुद्दा उठाया. और जब यह सबकुछ हो रहा था तब तब खबरिया चैनलों की दुनिया चुप कैसे रहती. इस मुद्दे पर सुधीर चौधरी ने भी कुछ असाधारण बातें कह डाली. बकौल सुधीर चौधरी भारत में हुआ सीएए विरोधी आंदोलन, किसानों का आंदोलन, दिल्ली के दंगे और रॉबर्ट मेनेन्डे का पत्र ये सब आपस में मिले हुए हैं.

दरअसल मोदी सरकार की एक रणनीति की कलई अब खुल चुकी है. उन्हें उम्मीद थी कि भारत का बाजार दुनिया को बतौर चारा दिखा कर वो धंधा करते रहेंगे और देश के भीतर कट्टरपंथी, मुस्लिम विरोधी, हिंसक, सांप्रदायिक राजनीति को प्रश्रय देते रहेंगे, लोकतांत्रिक संस्थाओं का गला घोंटते रहेंगे, अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करते रहेंगे, दलितों का उत्पीड़न करते रहेंगे और धंधे के लालच में दुनिया आंख बंद किए रहेगी. दुनिया को धंधा तो चाहिए पर किस कीमत पर. यह सवाल आने वाले दिनों में और गंभीर, और बड़ा होने वाला है.

बंगाल समेत चार राज्यों का चुनावी माहौल सिरे चढ़ चुका है. इस मौके पर जिन टीवी चैनलों से आप उम्मीद करते हैं कि वो आपको जमीनी सच्चाई दिखाएंगे, वास्तविक खबरें दिखाएंगे वो असल में आपको खबर के नाम पर सांप्रदायिकता का जहर दिखा रहे हैं. इसके अलवा इतिहास के अंड बंड संस्करण में इस बार किसी पत्रकार की बजाय एक राज्य के मुख्यमंत्री ने एंट्री मारी है. अगर भारत पर 200 साल तक राज अमेरिका ने किया था तो सावरकर ने माफी ब्रिटेन वालों से क्यों मांगी थी. खैर इन्हीं तमाम बातों के इर्द-गिर्द इस बार की टिप्पणी केंद्रित रही. देखिए, अपनी सलाह और प्रतिक्रिया दीजिए, और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब जरूर कीजिए.

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