Newslaundry Hindi
पत्रकारिता का हॉल ऑफ शेम और एंकर-एंकराओं की आपात बैठक
इस हफ्ते एक व्यंग्य एंकर-एंकराओं की आपात बैठक पर. फिल्मसिटी नोएडा की बैरक नंबर 16-ए के एक पार्क में बीते हफ्ते एक आपात बैठक हुई. बैठक आपातकालीन थी फिर भी तमाम घोघाबसंत एंकर-एंकराएं इसमें शामिल हुए. सब एक गोल घेरे में बैठे गंभीर बहस में लिप्त थे. घेरे के बीचो-बीच एक लोटा, एक बाल्टी और एक टब रखा हुआ था. बैठक का मुख्य एजेंडा था घोघाबसंतों को डूबकर मरने के लिए क्या ठीक रहेगा. एक टब पानी, एक बाल्टी पानी या फिर एक लोटा पानी.
एंकर एंकराओं के दुख का कारण था द कारवां में छपी एक रिपोर्ट. इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्रियों का एक समूह पिछले साल लॉकडाउन के दौरान कई बड़े पत्रकारों के साथ मीडिया के उस छोटे से हिस्से पर नियंत्रण करने की कवायद कर रहा था जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है. खास बात यह रही कि इस बैठक में अर्नब गोस्वामी, सुधीर चौधरी, दीपक चौरसिया, राहुल कंवल, अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप, श्वेता सिंह, रूबिका लियाक़त, रोहित सरदाना जैसे तमाम सरकार समर्थक चेहरों को बुलाने के लायक नहीं समझा गया.
केंद्रीय मंत्रियों के समूह के साथ पत्रकारों की बैठक की आधिकारिक रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है. बैठक का एजेंडा था सरकार की रीतियों नीतियों की बढ़ चढ़ कर प्रशंसा करना. सरकार के आलोचक पत्रकारों और मीडिया संस्थानों से कायदे से निपटना. उस बैठक में शामिल कई पत्रकारों ने अपने ही बिरादरी यानी मीडिया की आजादी को घटाने के उपाय सरकार को सुझाए. आज की टिप्पणी में हमने उन तमाम पत्रकारों का एक हॉल ऑफ शेम तैयार किया है. एक-एक कर आप उनके नाम जानिए और साथ में सरकार को दिए उनके बहुमूल्य सुझाव भी जानिए.
इस हफ्ते एक व्यंग्य एंकर-एंकराओं की आपात बैठक पर. फिल्मसिटी नोएडा की बैरक नंबर 16-ए के एक पार्क में बीते हफ्ते एक आपात बैठक हुई. बैठक आपातकालीन थी फिर भी तमाम घोघाबसंत एंकर-एंकराएं इसमें शामिल हुए. सब एक गोल घेरे में बैठे गंभीर बहस में लिप्त थे. घेरे के बीचो-बीच एक लोटा, एक बाल्टी और एक टब रखा हुआ था. बैठक का मुख्य एजेंडा था घोघाबसंतों को डूबकर मरने के लिए क्या ठीक रहेगा. एक टब पानी, एक बाल्टी पानी या फिर एक लोटा पानी.
एंकर एंकराओं के दुख का कारण था द कारवां में छपी एक रिपोर्ट. इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्रियों का एक समूह पिछले साल लॉकडाउन के दौरान कई बड़े पत्रकारों के साथ मीडिया के उस छोटे से हिस्से पर नियंत्रण करने की कवायद कर रहा था जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है. खास बात यह रही कि इस बैठक में अर्नब गोस्वामी, सुधीर चौधरी, दीपक चौरसिया, राहुल कंवल, अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप, श्वेता सिंह, रूबिका लियाक़त, रोहित सरदाना जैसे तमाम सरकार समर्थक चेहरों को बुलाने के लायक नहीं समझा गया.
केंद्रीय मंत्रियों के समूह के साथ पत्रकारों की बैठक की आधिकारिक रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है. बैठक का एजेंडा था सरकार की रीतियों नीतियों की बढ़ चढ़ कर प्रशंसा करना. सरकार के आलोचक पत्रकारों और मीडिया संस्थानों से कायदे से निपटना. उस बैठक में शामिल कई पत्रकारों ने अपने ही बिरादरी यानी मीडिया की आजादी को घटाने के उपाय सरकार को सुझाए. आज की टिप्पणी में हमने उन तमाम पत्रकारों का एक हॉल ऑफ शेम तैयार किया है. एक-एक कर आप उनके नाम जानिए और साथ में सरकार को दिए उनके बहुमूल्य सुझाव भी जानिए.
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?