Newslaundry Hindi
भाजपा और संघ के कई कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों को फांसी देने की मांग करता हुआ वीडियो फैलाया गया
जब कोई यूट्यूब पर भारतीय पत्रकारों को लटकाए जाने की मांग करता है तो भाजपा के कई नेता और स्वघोषित राष्ट्रवादी हिंदू क्या करते हैं? वह इस वीडियो को एक "ईमानदार कोशिश" बताते हैं, इस बात पर जोर देते हैं कि इस वीडियो में कुछ भी "गैरकानूनी और अपमानजनक नहीं है", और फिर ट्विटर पर जाकर, यूट्यूब के द्वारा नीतियों का उल्लंघन करने की वजह से वीडियो के हटाए जाने के खिलाफ रोष व्यक्त करते हैं.
यह वीडियो 11 फरवरी को द स्ट्रिंग नाम का चैनल चलाने वाले युवक के द्वारा डाला गया था. जो दावा करता है कि वह "व्यक्तियों का एक ऐसा ताना-बाना बना रहा है जो इस देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की उन्नति के लिए काम कर रहे हों." "राठी, ज़ुबैर और बरखा को अभी गिरफ्तार करो (ग्रेटा की टूलकिट का पर्दाफाश)" जैसा शीर्षक रखने वाले वीडियो में, तथाकथित "वामपंथी" पत्रकारों, आंदोलनकारियों और मीडिया संस्थानों पर असली गोदी मीडिया होने से लेकर कुछ निहित स्वार्थ रखने और पैसों की हेराफेरी में हिस्सेदारी लेने तक इल्जाम लगाए गए हैं.
इस वीडियो के द्वारा निशाना बनाए गए लोगों में बरखा दत्त, मोहम्मद ज़ुबैर, साकेत गोखले, न्यूजलॉन्ड्री, स्क्रोल, अल्ट न्यूज़, द वायर, द क्विंट, द न्यूज़ मिनट, इंडिया स्पेंड, आउटलुक इंडिया और पारी शामिल हैं. इस वीडियो में खास तौर पर यह मांग की गई कि उल्लेख किए गए पत्रकारों और आंदोलनकारियों को "लटका दिया जाए."
जब वीडियो को हटाया गया तो भाजपा के कई बड़े नाम जैसे कि उसके मुंबई और तमिलनाडु के प्रवक्ता और दिल्ली के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर आकर उसका प्रतिरोध किया. इसमें कुछ संघ समर्थक भी शामिल थे.
पर द स्ट्रिंग नाम का यह चैनल कौन है? यह खाता ट्विटर पर पिछले वर्ष मार्च में खोला गया और तब उसने अपना पहला वीडियो डाला, जिसका शीर्षक "दिल्ली दंगों के पीछे का सच" था. आज इस चैनल के चाहने वालों की संख्या ट्विटर पर 85,000, इंस्टाग्राम पर 58,000, फेसबुक पर 7,000 और यूट्यूब पर 4,15,000 है. अंग्रेजी भाषा के अलावा इस चैनल के वीडियो हिंदी, कन्नड़ और तेलुगु में भी उपलब्ध हैं.
नफरत को हवा
यूट्यूब ने जब यह वीडियो हटाया तो द स्ट्रिंग ने ट्विटर पर आश्चर्य व्यक्त करके प्रतिक्रिया दी. अज्ञात कारणों की वजह से इस खाते ने अपनी प्रतिक्रिया के साथ "ध्यान देने" का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के साथ ही साथ रिपब्लिक, स्वराज्य पत्रिका और ऑप इंडिया, को टैग किया.
क्या इस ट्विटर खाते का सत्ता में मौजूद राष्ट्रवादी हिंदुओं को ट्रैक करने का इतिहास रहा है. अपना वीडियो जारी करने से पहले द स्ट्रिंग ने और कई लोगों के साथ प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को यह कहते हुए टैग किया कि, “वीडियो की सामग्री "विस्फोटक" होने की वजह से पेश करने वाले की जान को "ख़तरा होगा."
अपने इस अभियान में द स्ट्रिंग को खूब समर्थन मिला. दोपहर तक #BIGEXPOSE ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था, जबकि यह वीडियो स्पष्ट तौर पर ट्विटर की नफरत फैलाने वाली बातों की नीति का उल्लंघन करता है.
दिल्ली के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा जिन्होंने वह भड़काऊ भाषण दिया था, जिसको कई लोग दिल्ली में पिछले साल हुई सांप्रदायिक हिंसा की आग को भड़काने वाली चिंगारी मानते हैं- ने कहा कि यह वीडियो "सच को उजागर" कर रहा था और उसमें कुछ भी "ग़ैरकानूनी या आपत्तिजनक" नहीं है. दिल्ली के भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी वीडियो के समर्थन में ट्वीट किया.
भाजपा के तमिलनाडु के प्रवक्ता और अपने को संघ का स्वयंसेवक बताने वाले एस जी सूर्या ने भी द स्ट्रिंग के वीडियो को हटाए जाने पर अपना विरोध प्रकट किया. उनके इस ट्वीट को 790 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया.
मुंबई भाजपा के प्रवक्ता सुरेश नकुना ने भी वीडियो को हटाए जाने को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने इस वीडियो को एक "महान उजागर करने वाली विस्फोटक कहानी" बताया और उनके इस ट्वीट को 1450 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया.
विकास पांडे, जिन्होंने 2014 में भाजपा के सोशल मीडिया प्रचार अभियान का नेतृत्व किया था और जो अपने को संघ का स्वयंसेवक बताते हैं, ने ट्वीट किया कि उन्होंने द स्ट्रिंग को कुछ धन का दान "एक ईमानदार उद्देश्य का समर्थन" करने के लिए किया.
शिवसेना के पूर्व सदस्य रमेश सोलंकी, जिनके ट्विटर पर लिखा है कि वह "अति गौरवान्वित राष्ट्रवादी हिंदू" हैं, ने द स्ट्रिंग के वीडियो को "महत्वपूर्ण खुलासा" बताते हुए जय श्री राम हैजटैग का इस्तेमाल किया. ऑफ इंडिया की संपादक नूपुर शर्मा ने ट्वीट करके कहा की वीडियो बेहतरीन था और उनके इस ट्वीट को 3000 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया. भारतीय भाषाओं के प्रकाशक संक्रांत सानू ने भी द स्ट्रिंग के काम को समर्थन दिया और उनके साथ एक उद्यमी तन्मय शंकर ने भी "हम तुम्हारे साथ हैं", द स्ट्रिंग के लिए ट्वीट किया.
ट्विटर पर इन सभी खातों को वैधता देने वाला नीला टिक मिला हुआ है और यह सब खाते वह हैं जो केवल न्यूज़लॉन्ड्री की नज़र में आए. अगर आपको कुछ और भी ऐसे दिखाई देते हैं तो कृपया हमें ट्विटर पर टैग करें.
यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा
जब ये भाजपा और संघ के समर्थक उस वीडियो को बढ़ावा दे रहे थे जिसमें पत्रकारों को टांग देने की मांग की जा रही थी. उसी समय केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सोशल मीडिया कंपनियों को भड़काऊ सामग्री और गलत जानकारी पर रोक न लगा पाने पर, चेतावनी देने में व्यस्त थे.
संसद में पूछे गए कई प्रश्नों का उत्तर देते हुए सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया संस्थानों को देश के कानूनों का पालन करना चाहिए. नागरिकों के अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता की तरफ अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार, कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है और इसलिए हिंसक सामग्री का प्रचार और गलत जानकारी को जरा भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने यह दावा करते हुए कि, सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिका के कैपिटल हिल दंगों और भारत में लाल किले पर किसानों के चढ़ जाने के लिए अलग-अलग मानदंड रखती हैं- जिसका एक अर्थ यह निकलता है कि वह इन दोनों घटनाओं को बराबर समझते हैं. उन्होंने कहा कि "यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा."
तो जहां एक तरफ भाजपा सरकार ट्विटर से भारत के कानूनों का पालन करने की मांग कर रही है और कारवां जैसे टि्वटर खातों को निलंबित करवा रही है, दूसरी तरफ उसके पदाधिकारी और समर्थन करने वाले एक अविश्वसनीय और बिना जांचे परखे गए नकलची प्लेटफार्म पर जा रहे हैं, इसी सबके बीच सत्ताधारी दल के नेताओं की बदौलत पत्रकारों को मारने की खुली मांग करता हुआ एक वीडियो धड़ल्ले से फैलाया जा रहा है.
जब कोई यूट्यूब पर भारतीय पत्रकारों को लटकाए जाने की मांग करता है तो भाजपा के कई नेता और स्वघोषित राष्ट्रवादी हिंदू क्या करते हैं? वह इस वीडियो को एक "ईमानदार कोशिश" बताते हैं, इस बात पर जोर देते हैं कि इस वीडियो में कुछ भी "गैरकानूनी और अपमानजनक नहीं है", और फिर ट्विटर पर जाकर, यूट्यूब के द्वारा नीतियों का उल्लंघन करने की वजह से वीडियो के हटाए जाने के खिलाफ रोष व्यक्त करते हैं.
यह वीडियो 11 फरवरी को द स्ट्रिंग नाम का चैनल चलाने वाले युवक के द्वारा डाला गया था. जो दावा करता है कि वह "व्यक्तियों का एक ऐसा ताना-बाना बना रहा है जो इस देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की उन्नति के लिए काम कर रहे हों." "राठी, ज़ुबैर और बरखा को अभी गिरफ्तार करो (ग्रेटा की टूलकिट का पर्दाफाश)" जैसा शीर्षक रखने वाले वीडियो में, तथाकथित "वामपंथी" पत्रकारों, आंदोलनकारियों और मीडिया संस्थानों पर असली गोदी मीडिया होने से लेकर कुछ निहित स्वार्थ रखने और पैसों की हेराफेरी में हिस्सेदारी लेने तक इल्जाम लगाए गए हैं.
इस वीडियो के द्वारा निशाना बनाए गए लोगों में बरखा दत्त, मोहम्मद ज़ुबैर, साकेत गोखले, न्यूजलॉन्ड्री, स्क्रोल, अल्ट न्यूज़, द वायर, द क्विंट, द न्यूज़ मिनट, इंडिया स्पेंड, आउटलुक इंडिया और पारी शामिल हैं. इस वीडियो में खास तौर पर यह मांग की गई कि उल्लेख किए गए पत्रकारों और आंदोलनकारियों को "लटका दिया जाए."
जब वीडियो को हटाया गया तो भाजपा के कई बड़े नाम जैसे कि उसके मुंबई और तमिलनाडु के प्रवक्ता और दिल्ली के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर आकर उसका प्रतिरोध किया. इसमें कुछ संघ समर्थक भी शामिल थे.
पर द स्ट्रिंग नाम का यह चैनल कौन है? यह खाता ट्विटर पर पिछले वर्ष मार्च में खोला गया और तब उसने अपना पहला वीडियो डाला, जिसका शीर्षक "दिल्ली दंगों के पीछे का सच" था. आज इस चैनल के चाहने वालों की संख्या ट्विटर पर 85,000, इंस्टाग्राम पर 58,000, फेसबुक पर 7,000 और यूट्यूब पर 4,15,000 है. अंग्रेजी भाषा के अलावा इस चैनल के वीडियो हिंदी, कन्नड़ और तेलुगु में भी उपलब्ध हैं.
नफरत को हवा
यूट्यूब ने जब यह वीडियो हटाया तो द स्ट्रिंग ने ट्विटर पर आश्चर्य व्यक्त करके प्रतिक्रिया दी. अज्ञात कारणों की वजह से इस खाते ने अपनी प्रतिक्रिया के साथ "ध्यान देने" का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के साथ ही साथ रिपब्लिक, स्वराज्य पत्रिका और ऑप इंडिया, को टैग किया.
क्या इस ट्विटर खाते का सत्ता में मौजूद राष्ट्रवादी हिंदुओं को ट्रैक करने का इतिहास रहा है. अपना वीडियो जारी करने से पहले द स्ट्रिंग ने और कई लोगों के साथ प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को यह कहते हुए टैग किया कि, “वीडियो की सामग्री "विस्फोटक" होने की वजह से पेश करने वाले की जान को "ख़तरा होगा."
अपने इस अभियान में द स्ट्रिंग को खूब समर्थन मिला. दोपहर तक #BIGEXPOSE ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था, जबकि यह वीडियो स्पष्ट तौर पर ट्विटर की नफरत फैलाने वाली बातों की नीति का उल्लंघन करता है.
दिल्ली के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा जिन्होंने वह भड़काऊ भाषण दिया था, जिसको कई लोग दिल्ली में पिछले साल हुई सांप्रदायिक हिंसा की आग को भड़काने वाली चिंगारी मानते हैं- ने कहा कि यह वीडियो "सच को उजागर" कर रहा था और उसमें कुछ भी "ग़ैरकानूनी या आपत्तिजनक" नहीं है. दिल्ली के भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी वीडियो के समर्थन में ट्वीट किया.
भाजपा के तमिलनाडु के प्रवक्ता और अपने को संघ का स्वयंसेवक बताने वाले एस जी सूर्या ने भी द स्ट्रिंग के वीडियो को हटाए जाने पर अपना विरोध प्रकट किया. उनके इस ट्वीट को 790 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया.
मुंबई भाजपा के प्रवक्ता सुरेश नकुना ने भी वीडियो को हटाए जाने को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने इस वीडियो को एक "महान उजागर करने वाली विस्फोटक कहानी" बताया और उनके इस ट्वीट को 1450 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया.
विकास पांडे, जिन्होंने 2014 में भाजपा के सोशल मीडिया प्रचार अभियान का नेतृत्व किया था और जो अपने को संघ का स्वयंसेवक बताते हैं, ने ट्वीट किया कि उन्होंने द स्ट्रिंग को कुछ धन का दान "एक ईमानदार उद्देश्य का समर्थन" करने के लिए किया.
शिवसेना के पूर्व सदस्य रमेश सोलंकी, जिनके ट्विटर पर लिखा है कि वह "अति गौरवान्वित राष्ट्रवादी हिंदू" हैं, ने द स्ट्रिंग के वीडियो को "महत्वपूर्ण खुलासा" बताते हुए जय श्री राम हैजटैग का इस्तेमाल किया. ऑफ इंडिया की संपादक नूपुर शर्मा ने ट्वीट करके कहा की वीडियो बेहतरीन था और उनके इस ट्वीट को 3000 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया. भारतीय भाषाओं के प्रकाशक संक्रांत सानू ने भी द स्ट्रिंग के काम को समर्थन दिया और उनके साथ एक उद्यमी तन्मय शंकर ने भी "हम तुम्हारे साथ हैं", द स्ट्रिंग के लिए ट्वीट किया.
ट्विटर पर इन सभी खातों को वैधता देने वाला नीला टिक मिला हुआ है और यह सब खाते वह हैं जो केवल न्यूज़लॉन्ड्री की नज़र में आए. अगर आपको कुछ और भी ऐसे दिखाई देते हैं तो कृपया हमें ट्विटर पर टैग करें.
यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा
जब ये भाजपा और संघ के समर्थक उस वीडियो को बढ़ावा दे रहे थे जिसमें पत्रकारों को टांग देने की मांग की जा रही थी. उसी समय केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सोशल मीडिया कंपनियों को भड़काऊ सामग्री और गलत जानकारी पर रोक न लगा पाने पर, चेतावनी देने में व्यस्त थे.
संसद में पूछे गए कई प्रश्नों का उत्तर देते हुए सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया संस्थानों को देश के कानूनों का पालन करना चाहिए. नागरिकों के अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता की तरफ अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार, कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है और इसलिए हिंसक सामग्री का प्रचार और गलत जानकारी को जरा भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने यह दावा करते हुए कि, सोशल मीडिया कंपनियां अमेरिका के कैपिटल हिल दंगों और भारत में लाल किले पर किसानों के चढ़ जाने के लिए अलग-अलग मानदंड रखती हैं- जिसका एक अर्थ यह निकलता है कि वह इन दोनों घटनाओं को बराबर समझते हैं. उन्होंने कहा कि "यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा."
तो जहां एक तरफ भाजपा सरकार ट्विटर से भारत के कानूनों का पालन करने की मांग कर रही है और कारवां जैसे टि्वटर खातों को निलंबित करवा रही है, दूसरी तरफ उसके पदाधिकारी और समर्थन करने वाले एक अविश्वसनीय और बिना जांचे परखे गए नकलची प्लेटफार्म पर जा रहे हैं, इसी सबके बीच सत्ताधारी दल के नेताओं की बदौलत पत्रकारों को मारने की खुली मांग करता हुआ एक वीडियो धड़ल्ले से फैलाया जा रहा है.
Also Read
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
You can rebook an Indigo flight. You can’t rebook your lungs
-
‘Overcrowded, underfed’: Manipur planned to shut relief camps in Dec, but many still ‘trapped’
-
Since Modi can’t stop talking about Nehru, here’s Nehru talking back