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राकेश टिकैत के आसुंओं ने किसान आंदोलन में फिर फूंकी जान
गाजीपुर बॉर्डर पर दो महीने से ज्यादा से चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए बृहस्पतिवार शाम लगभग 7 बजे सैकड़ों की तादात में पुलिसकर्मी पहुंच गए. पुलिसकर्मी आंदोलन के मंच पर पहुंचकर धरने पर बैठे लोगों से उठने की अपील करने लगे. इस दौरान वहां का माहौल काफी गर्म हो गया और लोगों में उहापोह की स्थिति पैदा हो गई. किसान नेता राकेश टिकैत ने लोगों को सांत्वना देते हुए कहा कि प्रशासन से अभी हमारी बातचीत जारी है और सब लोग शांति से अपने स्थान पर बैठ जाएं. इसके कुछ ही समय बाद राकेश टिकैत ने मंच से बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे इस आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं.
टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कानून वापस वापस नहीं हो जाते वे यहां से नहीं जाएंगे और उनका आंदोलन जारी रहेगा. टिकैत पुलिस-प्रशासन पर गलत कार्रवाई का आरोप लगाते हुए रो पड़े. उन्होंने साफ कह दिया कि वे हटने वाले नहीं हैं. चाहे तो उन्हें गिरफ्तार कर लें. उन्होंने भावुक होते हुए ये भी कहा कि वे अपने किसानों का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे. इस दौरान उन्होंने फांसी लगाकर सुसाइड करने की धमकी भी दे डाली. आरोप लगाया कि हमारे किसानों को पीटने के लिए यहां गुंडे भी भेजे जा रहे हैं.
इसके बाद पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान स्टेज के पास से हट गए और सड़क के दूसरी ओर जाकर खड़े हो गए. तब जाकर मामला कुछ शांत हुआ. इसके बाद स्टेज से किसानों से अपील की गई कि सभी किसान जो अपनी ट्रालियों में बैठे हुए हैं, वो स्टेज पर आकर बैठ जाएं और अपनी ट्रालियों को भी स्टेज के पास ही लाकर खड़ी कर दें. कुछ देर बाद काफी संख्या में किसान अपनी रजाइयों के साथ स्टेज के सामने आकर लेट गए.
जिनमें 70 साल की बूढ़ी महिलाओं से लेकर 5 साल तक के बच्चे भी थे. वे यहां आकर भजन गा रहे थे. साथ ही बीच-बीच में किसान यूनियन जिंदाबाद के नारे भी लग रहे थे. बाद में पास ही अलाव भी जला दिया गया था.
रामपुर की 75 साल की जगिंदर कौर भी यहीं रजाई में बैठी हुई थीं. यहां ठंड में बैठने की बाबत बताया, “ठंड तो दूर ऐसे में भूख तक उड़ जाती है. बाकि चाहे पुलिस हमला करे हम यहां से हटने वाले नहीं हैं. हम अपना हक लेकर रहेंगे. 26 जनवरी के बाद भी आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि तेज हुआ है.”
पास ही यूपी के लखीमपुर खीरी निवासी 30 साल के सुखबीर सिंह कहते हैं, “कई न्यूज चैनल दिखा रहे हैं कि गाजीपुर बॉर्डर खाली करा दिया है जबकि ऐसा कुछ नहीं है. थोड़ा बहुत फर्क पड़ा है, ज्यादा नहीं. पुलिस प्रशासन भी आज काफी सख्ती के साथ खड़ा हुआ है, खाली कराने के चक्कर में. कुछ लोग हमारे बीच मतभेद पैदा करना चाहते थे. और जिन नेताओं ने आंदोलन वापस लिया है दरअसल वे राजनीतिक लोग थे जो इस आंदोलन में बैठकर अपनी राजनीति कर रहे थे. उनको कानूनों से कोई लेना देना नहीं था. बाकि हमारे और हमारे भाइयों के हौसले बुलंद है. आगे आंदोलन को ऐसे ही बढ़ाया जाएगा. ये इतनी ठंड में बुजुर्ग महिलाएं बैठी हैं सरकार को तरस आना चाहिए. हम लोग किसान हैं, मेहनत करते हैं और इसके बाद चैन की नींद सोना चाहते हैं.”
अमरोहा के 26 साल के राजू सिंह ने कहा कि रात भर यहां चौकसी करनी है, कभी पुलिस हमला न कर दे. इसलिए रजाई सहित यहीं आ गए हैं. यहीं रहेंगे यहीं मरेंगे.
दरअसल 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद लगभग 2 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन पर कुछ संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे थे. इसके बाद किसान नेताओं पर एफआईआर भी दर्ज की गईं. दो किसान संगठनों भारतीय किसान यूनियन (भानु) और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद इस बात को ओर बल मिलता दिखा.
इससे पहले बुधवार रात को खबर आई कि गाजीपुर बॉर्डर की बिजली-पानी काट दी गई है साथ ही पुलिस की उपस्थिति भी वहां बढ़ाई गई है. इस कारण कल सुबह से ही यहां आंदोलन को पुलिस द्वारा हटाने की खबरें आ रही थीं. इस पूरी हलचल को जानने हम जब दोपहर लगभग एक बजे यहां पहुंचे तो चारों तरफ भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गई थी. कुछ लोगों ने बातचीत करने पर कहा कि जो लोग 26 जनवरी मनाने आए थे वहीं वापस गए हैं बाकि आंदोलन पूरी तरह चल रहा है. साथ ही 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के लिए वे सरकार का षड़यंत्र कह रहे थे.
भारतीय किसान यूनियन मुरादाबाद के सदस्य नौसीन ढ़िल्लो ने रात लाइट काटने की घटना पर बताया, "ये तो सब चलता रहेगा, यही संघर्ष है. बाकि जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते आंदोलन जारी रहेगा. 26 जनवरी की घटना शोक का विषय है जिस पर हम भी खेद व्यक्त करते हैं. ये जिसने भी किया है बहुत घिनौनी हरकत की है उसे कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए. और ये बात खुलकर आ रही है कि ये सब बीजेपी का करा-धरा है. राकेश टिकैत पर एफआईआर की गई है अगर उनकी गिफ्तारी हुई तो जिले-जिले में जेल भरो आंदोलन चलाएंगे."
इस दौरान चारों तरफ पहले की तरह लंगर चलते और लोग आते-जाते नजर आ रहे थे. इस बीच यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी तब नजर आई. जब एक ही काउंटर पर यूपी के शामली निवासी गय्यूर हसन और अशोक कुमार ने लोगों के लिए छोले चावल का लंगर लगाया हुआ था. इस दौरान गय्यूर ने रात में घटी एक विचित्र घटना के बारे में हमें बताया.
गय्यूर बताते हैं, “पहले तो रात में हमारी लाइट काट दी गई. फिर उसके बाद सफाईकर्मियों के रूप में नई झाड़ू और नई ड्रेस में कुछ आदमी यहां आए जो सेल्फी ले रहे थे, उन्होंने हमारी एक झोपड़ी भी तोड़ दी. जब हमने पूछा तो कहा कि हमारी चाबी खो गई है. जब हमने उनकी वीडियो बनानी शुरू की तो वे भाग खड़े हुए. यहीं किसी आदमी ने उनकी पहचान की तो पता चला कि वो बीजेपी कार्यकर्ता थे. यहां मौजूद फोर्स से हमने विनती की तो उन्होंने भी कुछ नहीं किया.”
वह आगे कहते हैं, "26 जनवरी के बाद आंदोलन चल रहा है और आगे भी चलेगा. प्रशासन आंदोलन खत्म करने के लिए दबाव बना रहा है लेकिन जो उपदर्वी हैं उन्हें सरकार सजा नहीं दे रही है. आम आदमी का समर्थन अभी भी हमारे पास है. बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं,”
उनके बराबर में छोले दे रहे अशोक कुमार भी गय्यूर की बातों में हां में हां मिला रहे थे. यहां से आगे बढ़ने पर स्टेज पर कुछ वक्ता भाषण दे रहे थे. रात में बिजली काटने को लेकर एक वक्ता ने कहा, “किसान अंधेरे से नहीं डरता, वह सुबह 4 बजे उठ जाता है. आप किसान को अंधेरा कर नहीं डरा सकते. साथ ही ज्यादातर वक्ता गोदी मीडिया पर भी निशाना साधते नजर आए.”
स्टेज पर पहुंचने पर अपेक्षाकृत कुछ कम भीड़ थी. हालांकि जैसे ही राकेश टिकैत भाषण देने आए तो पूरी तरह भीड़ जमा हो गई थी. राकेश टिकैत ने कहा, अभी उन्हें प्रशासन के साथ मीटिंग में जाना है तो कोई मीडिया वाले उनसे अभी सवाल न करे. मीटिंग के बाद यहीं स्टेज पर आकर सब कुछ बता दिया जाएगा."
दोपहर को दिए अपने भाषण में टिकैत ने अपने ऊपर हुई एफआई पर बोलते हुए कहा था, “एलआईयू या जो भी आना चाहे आए, हम लखत पढ़त में गिरफ्तारी देने को तैयार हैं. लेकिन सवाल ये है कि जहां लाल किले पर गणतंत्र दिवस के दिन मक्खी तक नहीं पहुंच सकती वहां इतने लोग अंदर गए कैसे. वहां जाकर सिख कौम का झंडा फहराकर एक कौम को बदनाम करने की साजिश की गई. इसकी हमें पहले से जिसका नाम इस मामले में आ रहा है उसके प्रधानमंत्री और बीजेपी नेताओं के साथ फोटो हैं. हमारे सीधे-साधे किसानों को चक्रव्यूह के तहत फंसाया गया. जो रूट हमें दिए गए उनपर बैरिकेडिंग थी. और जिसने ये हरकत की या उल्टे-सीधे ट्रैक्टर चलाए उनपर पुलिस कार्यवाई करे. यह जय जवान, जय किसान को टोड़ने की एक कोशिश है. रात हमारा पानी भी काट दिया.”
अंत में राकेश टिकैत ने लोगों से कहा था, "पुलिस प्रशासन चाहे यहां कुछ भी करे, तोड़-फोड़ करे, लेकिन आपको उसका कोई जवाब नहीं देना है. हमने न हिंसा में यकीन किया है और न आगे करेंगे. हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, और न ये खत्म हुआ है और न होगा."
इस बीच हमें 26 जनवरी को हुई हिंसा और उसके बाद पुलिस एक्शन का कुछ डर यहां नजर आया. दिन छिपने से पहले चारों तरफ घूमने पर हमने देखा कि कुछ लोग अपने ट्रैक्टर लेकर अपने घरों को जा रहे हैं. हालांकि जब हम उनसे पूछते तो वे बात को टाल देते. लेकिन नजर आ रहा था कि कुछ किसान यहां से जा रहे हैं.
पीलीभीत के एक किसान से जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि जब हमारे नेता ही नहीं हैं तो अब हम क्या करेंगे. जब पूछा कि 2 महीने से आंदोलन चल रहा है और कानून तो वापस हुए नहीं तो उन्होंने कहा अब जो होगा देखा जाएगा, भगवान मालिक है. इसके बाद उन्होंने कहा कि फिर बात करेंगे.
इस बीच खालसा एड वाले भी अपना सामान समेट रहे थे. पूछने पर मुश्किल से बताया कि पानी नहीं आ रहा तो काम कैसे करें. बेसिक जरूरत में भी समस्या आ रही है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो जा रहे हैं, उन्हे सरकार से माल मिल गया है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो लड़का मर गया था उसके दाह संस्कार में लोग चले गए हैं, जो वापस आ जाएंगे. लेकिन जाने वालों की संख्या कम ही थी और कोई भी सही से जवाब नहीं दे रहा था.
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में दोपहर तक कुछ कमजोरी नजर आ रही थी. शाम को एक समय पर लगा कि आज पुलिस आंदोलन कर रहे किसानों को यहां से उठा देगी. लेकिन शाम को राकेश टिकैत के दिए मार्मिक भाषण के वायरल होने के बाद जैसे आंदोलन फिर से जीवित हो गया. देश के कोने-कोने से लोगों के रात में ही दिल्ली आंदोलन में पहुंचने की तस्वीरें आईं. गावों में लाउडस्पीकर से ऐलान कर लोगों से दिल्ली जाने की अपीलें की गईं. कुछ लोग मेरे वहां रहने तक पहुंच भी चुके थे. और वे पूरे उत्साह से लबरेज नजर आ रहे थे. साथ ही जय जवान जय किसान और ‘योगी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे रात 11 बजे तक वहां गूंज रहे थे. आंदोलन में एक नया ही जोश नजर आ रहा था.
रात 11 बजे मेरे निकलने के कुछ समय बाद खबर आई कि जो अतिरिक्त पुलिस बल वहां के लिए बुलाया गया था, उसे भी वापस जाने का आदेश दे दिया गया है और फिलहाल प्रशासन का आंदोलन को खत्म कराने का कोई प्लान नहीं है. दूसरी ओर राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने आज यानी शुक्रवार को मुजफ्फरनगर सिटी के राजकीय इंटर कॉलेज में महापंचायत बुलाई है.
Also Read: किसान और सबसे लायक बेटे के कारनामें
गाजीपुर बॉर्डर पर दो महीने से ज्यादा से चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए बृहस्पतिवार शाम लगभग 7 बजे सैकड़ों की तादात में पुलिसकर्मी पहुंच गए. पुलिसकर्मी आंदोलन के मंच पर पहुंचकर धरने पर बैठे लोगों से उठने की अपील करने लगे. इस दौरान वहां का माहौल काफी गर्म हो गया और लोगों में उहापोह की स्थिति पैदा हो गई. किसान नेता राकेश टिकैत ने लोगों को सांत्वना देते हुए कहा कि प्रशासन से अभी हमारी बातचीत जारी है और सब लोग शांति से अपने स्थान पर बैठ जाएं. इसके कुछ ही समय बाद राकेश टिकैत ने मंच से बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे इस आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं.
टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कानून वापस वापस नहीं हो जाते वे यहां से नहीं जाएंगे और उनका आंदोलन जारी रहेगा. टिकैत पुलिस-प्रशासन पर गलत कार्रवाई का आरोप लगाते हुए रो पड़े. उन्होंने साफ कह दिया कि वे हटने वाले नहीं हैं. चाहे तो उन्हें गिरफ्तार कर लें. उन्होंने भावुक होते हुए ये भी कहा कि वे अपने किसानों का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे. इस दौरान उन्होंने फांसी लगाकर सुसाइड करने की धमकी भी दे डाली. आरोप लगाया कि हमारे किसानों को पीटने के लिए यहां गुंडे भी भेजे जा रहे हैं.
इसके बाद पुलिस और पैरामिलिट्री के जवान स्टेज के पास से हट गए और सड़क के दूसरी ओर जाकर खड़े हो गए. तब जाकर मामला कुछ शांत हुआ. इसके बाद स्टेज से किसानों से अपील की गई कि सभी किसान जो अपनी ट्रालियों में बैठे हुए हैं, वो स्टेज पर आकर बैठ जाएं और अपनी ट्रालियों को भी स्टेज के पास ही लाकर खड़ी कर दें. कुछ देर बाद काफी संख्या में किसान अपनी रजाइयों के साथ स्टेज के सामने आकर लेट गए.
जिनमें 70 साल की बूढ़ी महिलाओं से लेकर 5 साल तक के बच्चे भी थे. वे यहां आकर भजन गा रहे थे. साथ ही बीच-बीच में किसान यूनियन जिंदाबाद के नारे भी लग रहे थे. बाद में पास ही अलाव भी जला दिया गया था.
रामपुर की 75 साल की जगिंदर कौर भी यहीं रजाई में बैठी हुई थीं. यहां ठंड में बैठने की बाबत बताया, “ठंड तो दूर ऐसे में भूख तक उड़ जाती है. बाकि चाहे पुलिस हमला करे हम यहां से हटने वाले नहीं हैं. हम अपना हक लेकर रहेंगे. 26 जनवरी के बाद भी आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि तेज हुआ है.”
पास ही यूपी के लखीमपुर खीरी निवासी 30 साल के सुखबीर सिंह कहते हैं, “कई न्यूज चैनल दिखा रहे हैं कि गाजीपुर बॉर्डर खाली करा दिया है जबकि ऐसा कुछ नहीं है. थोड़ा बहुत फर्क पड़ा है, ज्यादा नहीं. पुलिस प्रशासन भी आज काफी सख्ती के साथ खड़ा हुआ है, खाली कराने के चक्कर में. कुछ लोग हमारे बीच मतभेद पैदा करना चाहते थे. और जिन नेताओं ने आंदोलन वापस लिया है दरअसल वे राजनीतिक लोग थे जो इस आंदोलन में बैठकर अपनी राजनीति कर रहे थे. उनको कानूनों से कोई लेना देना नहीं था. बाकि हमारे और हमारे भाइयों के हौसले बुलंद है. आगे आंदोलन को ऐसे ही बढ़ाया जाएगा. ये इतनी ठंड में बुजुर्ग महिलाएं बैठी हैं सरकार को तरस आना चाहिए. हम लोग किसान हैं, मेहनत करते हैं और इसके बाद चैन की नींद सोना चाहते हैं.”
अमरोहा के 26 साल के राजू सिंह ने कहा कि रात भर यहां चौकसी करनी है, कभी पुलिस हमला न कर दे. इसलिए रजाई सहित यहीं आ गए हैं. यहीं रहेंगे यहीं मरेंगे.
दरअसल 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद लगभग 2 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन पर कुछ संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे थे. इसके बाद किसान नेताओं पर एफआईआर भी दर्ज की गईं. दो किसान संगठनों भारतीय किसान यूनियन (भानु) और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद इस बात को ओर बल मिलता दिखा.
इससे पहले बुधवार रात को खबर आई कि गाजीपुर बॉर्डर की बिजली-पानी काट दी गई है साथ ही पुलिस की उपस्थिति भी वहां बढ़ाई गई है. इस कारण कल सुबह से ही यहां आंदोलन को पुलिस द्वारा हटाने की खबरें आ रही थीं. इस पूरी हलचल को जानने हम जब दोपहर लगभग एक बजे यहां पहुंचे तो चारों तरफ भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गई थी. कुछ लोगों ने बातचीत करने पर कहा कि जो लोग 26 जनवरी मनाने आए थे वहीं वापस गए हैं बाकि आंदोलन पूरी तरह चल रहा है. साथ ही 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के लिए वे सरकार का षड़यंत्र कह रहे थे.
भारतीय किसान यूनियन मुरादाबाद के सदस्य नौसीन ढ़िल्लो ने रात लाइट काटने की घटना पर बताया, "ये तो सब चलता रहेगा, यही संघर्ष है. बाकि जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते आंदोलन जारी रहेगा. 26 जनवरी की घटना शोक का विषय है जिस पर हम भी खेद व्यक्त करते हैं. ये जिसने भी किया है बहुत घिनौनी हरकत की है उसे कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए. और ये बात खुलकर आ रही है कि ये सब बीजेपी का करा-धरा है. राकेश टिकैत पर एफआईआर की गई है अगर उनकी गिफ्तारी हुई तो जिले-जिले में जेल भरो आंदोलन चलाएंगे."
इस दौरान चारों तरफ पहले की तरह लंगर चलते और लोग आते-जाते नजर आ रहे थे. इस बीच यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी तब नजर आई. जब एक ही काउंटर पर यूपी के शामली निवासी गय्यूर हसन और अशोक कुमार ने लोगों के लिए छोले चावल का लंगर लगाया हुआ था. इस दौरान गय्यूर ने रात में घटी एक विचित्र घटना के बारे में हमें बताया.
गय्यूर बताते हैं, “पहले तो रात में हमारी लाइट काट दी गई. फिर उसके बाद सफाईकर्मियों के रूप में नई झाड़ू और नई ड्रेस में कुछ आदमी यहां आए जो सेल्फी ले रहे थे, उन्होंने हमारी एक झोपड़ी भी तोड़ दी. जब हमने पूछा तो कहा कि हमारी चाबी खो गई है. जब हमने उनकी वीडियो बनानी शुरू की तो वे भाग खड़े हुए. यहीं किसी आदमी ने उनकी पहचान की तो पता चला कि वो बीजेपी कार्यकर्ता थे. यहां मौजूद फोर्स से हमने विनती की तो उन्होंने भी कुछ नहीं किया.”
वह आगे कहते हैं, "26 जनवरी के बाद आंदोलन चल रहा है और आगे भी चलेगा. प्रशासन आंदोलन खत्म करने के लिए दबाव बना रहा है लेकिन जो उपदर्वी हैं उन्हें सरकार सजा नहीं दे रही है. आम आदमी का समर्थन अभी भी हमारे पास है. बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं,”
उनके बराबर में छोले दे रहे अशोक कुमार भी गय्यूर की बातों में हां में हां मिला रहे थे. यहां से आगे बढ़ने पर स्टेज पर कुछ वक्ता भाषण दे रहे थे. रात में बिजली काटने को लेकर एक वक्ता ने कहा, “किसान अंधेरे से नहीं डरता, वह सुबह 4 बजे उठ जाता है. आप किसान को अंधेरा कर नहीं डरा सकते. साथ ही ज्यादातर वक्ता गोदी मीडिया पर भी निशाना साधते नजर आए.”
स्टेज पर पहुंचने पर अपेक्षाकृत कुछ कम भीड़ थी. हालांकि जैसे ही राकेश टिकैत भाषण देने आए तो पूरी तरह भीड़ जमा हो गई थी. राकेश टिकैत ने कहा, अभी उन्हें प्रशासन के साथ मीटिंग में जाना है तो कोई मीडिया वाले उनसे अभी सवाल न करे. मीटिंग के बाद यहीं स्टेज पर आकर सब कुछ बता दिया जाएगा."
दोपहर को दिए अपने भाषण में टिकैत ने अपने ऊपर हुई एफआई पर बोलते हुए कहा था, “एलआईयू या जो भी आना चाहे आए, हम लखत पढ़त में गिरफ्तारी देने को तैयार हैं. लेकिन सवाल ये है कि जहां लाल किले पर गणतंत्र दिवस के दिन मक्खी तक नहीं पहुंच सकती वहां इतने लोग अंदर गए कैसे. वहां जाकर सिख कौम का झंडा फहराकर एक कौम को बदनाम करने की साजिश की गई. इसकी हमें पहले से जिसका नाम इस मामले में आ रहा है उसके प्रधानमंत्री और बीजेपी नेताओं के साथ फोटो हैं. हमारे सीधे-साधे किसानों को चक्रव्यूह के तहत फंसाया गया. जो रूट हमें दिए गए उनपर बैरिकेडिंग थी. और जिसने ये हरकत की या उल्टे-सीधे ट्रैक्टर चलाए उनपर पुलिस कार्यवाई करे. यह जय जवान, जय किसान को टोड़ने की एक कोशिश है. रात हमारा पानी भी काट दिया.”
अंत में राकेश टिकैत ने लोगों से कहा था, "पुलिस प्रशासन चाहे यहां कुछ भी करे, तोड़-फोड़ करे, लेकिन आपको उसका कोई जवाब नहीं देना है. हमने न हिंसा में यकीन किया है और न आगे करेंगे. हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, और न ये खत्म हुआ है और न होगा."
इस बीच हमें 26 जनवरी को हुई हिंसा और उसके बाद पुलिस एक्शन का कुछ डर यहां नजर आया. दिन छिपने से पहले चारों तरफ घूमने पर हमने देखा कि कुछ लोग अपने ट्रैक्टर लेकर अपने घरों को जा रहे हैं. हालांकि जब हम उनसे पूछते तो वे बात को टाल देते. लेकिन नजर आ रहा था कि कुछ किसान यहां से जा रहे हैं.
पीलीभीत के एक किसान से जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि जब हमारे नेता ही नहीं हैं तो अब हम क्या करेंगे. जब पूछा कि 2 महीने से आंदोलन चल रहा है और कानून तो वापस हुए नहीं तो उन्होंने कहा अब जो होगा देखा जाएगा, भगवान मालिक है. इसके बाद उन्होंने कहा कि फिर बात करेंगे.
इस बीच खालसा एड वाले भी अपना सामान समेट रहे थे. पूछने पर मुश्किल से बताया कि पानी नहीं आ रहा तो काम कैसे करें. बेसिक जरूरत में भी समस्या आ रही है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो जा रहे हैं, उन्हे सरकार से माल मिल गया है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो लड़का मर गया था उसके दाह संस्कार में लोग चले गए हैं, जो वापस आ जाएंगे. लेकिन जाने वालों की संख्या कम ही थी और कोई भी सही से जवाब नहीं दे रहा था.
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में दोपहर तक कुछ कमजोरी नजर आ रही थी. शाम को एक समय पर लगा कि आज पुलिस आंदोलन कर रहे किसानों को यहां से उठा देगी. लेकिन शाम को राकेश टिकैत के दिए मार्मिक भाषण के वायरल होने के बाद जैसे आंदोलन फिर से जीवित हो गया. देश के कोने-कोने से लोगों के रात में ही दिल्ली आंदोलन में पहुंचने की तस्वीरें आईं. गावों में लाउडस्पीकर से ऐलान कर लोगों से दिल्ली जाने की अपीलें की गईं. कुछ लोग मेरे वहां रहने तक पहुंच भी चुके थे. और वे पूरे उत्साह से लबरेज नजर आ रहे थे. साथ ही जय जवान जय किसान और ‘योगी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे रात 11 बजे तक वहां गूंज रहे थे. आंदोलन में एक नया ही जोश नजर आ रहा था.
रात 11 बजे मेरे निकलने के कुछ समय बाद खबर आई कि जो अतिरिक्त पुलिस बल वहां के लिए बुलाया गया था, उसे भी वापस जाने का आदेश दे दिया गया है और फिलहाल प्रशासन का आंदोलन को खत्म कराने का कोई प्लान नहीं है. दूसरी ओर राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने आज यानी शुक्रवार को मुजफ्फरनगर सिटी के राजकीय इंटर कॉलेज में महापंचायत बुलाई है.
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