Newslaundry Hindi
राहुल गए इटली, चैनलों को आई मितली
एक अमेरिकी संस्था मॉर्निंग कंसल्ट सर्वे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया का नंबर एक नेता घोषित कर दिया है. साथ ही किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है. इन्हीं दो मुद्दों के इर्द-गिर्द इस बार का धृतराष्ट्र-संजय संवाद. इसके अलावा बीते हफ्ते खबरिया चैनलों के घोघाबसंतों ने अपने परदे पर कुछ ऐसा गदर मचाया कि दुनिया भर में यह कन्फ्यूजन हो गया कि भारत में तख्तापलट हो गया है और राहुल गांधी के नेतृत्व में कोई नई सरकार बन गई है. नए साल के आगमन से ठीक पहले राहुल गांधी इटली की यात्रा पर चले गए. सात साल पहले मोदीजी के सरकार बनाने के बाद से हमारे एंकर एंकराओं ने पत्रकारिता की परिभाषा बदल दी है. अब वो हर गलती, हर गड़बड़ी, हर असफलता के लिए सवाल राहुल गांधी से पूछते हैं. हालांकि राहुल गांधी ने इस बार कोई गलती भी नहीं की थी, वो बस छुट्टी पर चले गए थे. जो चैनल किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए लगभग हर तरह के झूठ बोल चुके हैं उन्होंने राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए इस बार उन्हीं किसानों का सहारा लिया.
इसके अलावा चैनल के मठाधीशों ने कोरोना वैक्सीन, पाकिस्तान में हिंदू मंदिर पर हुए हमले को लेकर काफी हो-हल्ला किया. दीपक चौरसिया ठहरे दीपक तले अंधेरा. ‘अपने घर पर जोर नहीं, दुनिया पर दावा’ इनके जैसे लोगों के लिए ही कहा गया है. चौरसियाजी ने पाकिस्तान के ऊपर तो शो कई किए लेकिन अपने देश में कट्टरपंथी हिंदुओं द्वारा की गई हिंसा पर एक शो करना इन्होंने मुनासिब नहीं समझा.
आपने कभी सोचा कि आखिर क्यों ये एंकर एंकराएं गैरजरूरी, बेमतलब की कहानियां पत्रकारिता के नाम पर दस दस बीस बीस दिन तक दिखाते हैं, वो कहानियां जिनका आपसे कोई लेना देना नहीं है, जनहित से सरोकार नहीं है, जिनमें सत्ता से कोई सवाल नहीं है. दरअसल यह लगभग भ्रष्ट हो चुकी टीवी पत्रकारिता का सच है. यह सत्ता और कारपोरेट कंपनियों के साथ टीवी चैनलों की आपराधिक रूप से मिलीभगत का नतीजा है. तो इसका इलाज क्या है. इलाज है वह मीडिया जो आपके समर्थन से खड़ा होगा. जनहित की बात मीडिया तभी कर पाएगा जब वह राजनीति और कारपोरेशन के विज्ञापन के पैसे से मुक्त होगा. न्यूज़लॉन्ड्री ऐसा ही एक प्रयास है. आप अपना सहयोग हमें दीजिए. किसान आंदोलन से लेकर लव जिहाद तक उन तमाम कहानियों को हम आपके सामने लाएंगे जिन्हें खबरिया चैनल और लिगेसी अखबार घरानों ने दबा दिया है.
Also Read: राहुल गांधी की रैली में पहुंचें कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली चुनाव के नतीजे को लेकर किया ये दावा
Also Read: चित्रकथा: किसान आंदोलन के विविध रंग
एक अमेरिकी संस्था मॉर्निंग कंसल्ट सर्वे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया का नंबर एक नेता घोषित कर दिया है. साथ ही किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है. इन्हीं दो मुद्दों के इर्द-गिर्द इस बार का धृतराष्ट्र-संजय संवाद. इसके अलावा बीते हफ्ते खबरिया चैनलों के घोघाबसंतों ने अपने परदे पर कुछ ऐसा गदर मचाया कि दुनिया भर में यह कन्फ्यूजन हो गया कि भारत में तख्तापलट हो गया है और राहुल गांधी के नेतृत्व में कोई नई सरकार बन गई है. नए साल के आगमन से ठीक पहले राहुल गांधी इटली की यात्रा पर चले गए. सात साल पहले मोदीजी के सरकार बनाने के बाद से हमारे एंकर एंकराओं ने पत्रकारिता की परिभाषा बदल दी है. अब वो हर गलती, हर गड़बड़ी, हर असफलता के लिए सवाल राहुल गांधी से पूछते हैं. हालांकि राहुल गांधी ने इस बार कोई गलती भी नहीं की थी, वो बस छुट्टी पर चले गए थे. जो चैनल किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए लगभग हर तरह के झूठ बोल चुके हैं उन्होंने राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए इस बार उन्हीं किसानों का सहारा लिया.
इसके अलावा चैनल के मठाधीशों ने कोरोना वैक्सीन, पाकिस्तान में हिंदू मंदिर पर हुए हमले को लेकर काफी हो-हल्ला किया. दीपक चौरसिया ठहरे दीपक तले अंधेरा. ‘अपने घर पर जोर नहीं, दुनिया पर दावा’ इनके जैसे लोगों के लिए ही कहा गया है. चौरसियाजी ने पाकिस्तान के ऊपर तो शो कई किए लेकिन अपने देश में कट्टरपंथी हिंदुओं द्वारा की गई हिंसा पर एक शो करना इन्होंने मुनासिब नहीं समझा.
आपने कभी सोचा कि आखिर क्यों ये एंकर एंकराएं गैरजरूरी, बेमतलब की कहानियां पत्रकारिता के नाम पर दस दस बीस बीस दिन तक दिखाते हैं, वो कहानियां जिनका आपसे कोई लेना देना नहीं है, जनहित से सरोकार नहीं है, जिनमें सत्ता से कोई सवाल नहीं है. दरअसल यह लगभग भ्रष्ट हो चुकी टीवी पत्रकारिता का सच है. यह सत्ता और कारपोरेट कंपनियों के साथ टीवी चैनलों की आपराधिक रूप से मिलीभगत का नतीजा है. तो इसका इलाज क्या है. इलाज है वह मीडिया जो आपके समर्थन से खड़ा होगा. जनहित की बात मीडिया तभी कर पाएगा जब वह राजनीति और कारपोरेशन के विज्ञापन के पैसे से मुक्त होगा. न्यूज़लॉन्ड्री ऐसा ही एक प्रयास है. आप अपना सहयोग हमें दीजिए. किसान आंदोलन से लेकर लव जिहाद तक उन तमाम कहानियों को हम आपके सामने लाएंगे जिन्हें खबरिया चैनल और लिगेसी अखबार घरानों ने दबा दिया है.
Also Read: राहुल गांधी की रैली में पहुंचें कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली चुनाव के नतीजे को लेकर किया ये दावा
Also Read: चित्रकथा: किसान आंदोलन के विविध रंग
Also Read
-
Kutch: Struggle for water in ‘har ghar jal’ Gujarat, salt workers fight for livelihoods
-
Hafta 483: Prajwal Revanna controversy, Modi’s speeches, Bihar politics
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
TV Newsance 251: TV media’s silence on Revanna ‘sex abuse’ case, Modi’s News18 interview
-
Amid Lingayat ire, BJP invokes Neha murder case, ‘love jihad’ in Karnataka’s Dharwad