Newslaundry Hindi
आयो गोरखाली: गोरखाओं के स्वर्णिम इतिहास में जुड़ता एक और अध्याय
'आयो गोरखाली..' कहनी है 1767 के नेपाल की. पृथ्वी नारायण साह के शासन में उन्नति की ओर बढ़ता हुआ एक छोटा सा साम्राज्य. कुछ ही दशकों में उनकी गोरखा सेनानी ने एक शक्तिशाली साम्राज्य कायम कर लिया जिसकी सीमा पश्चिम में कांगरा से मिलती थी तो पूरब में तीस्ता से. इस विशाल प्रांतर में शामिल था वर्तनमान हिमाचाल प्रदेश और उत्तराखंड का बहुत बड़ा भू-भाग और लगभग पूरा का पूरा नेपाल और सिक्किम.
1815 में ब्रिटिश साम्राज्य और गोरखाओं के बीच एक नये सैन्य संबंध की शुरुआत हुई. गोरखाओं के युद्ध कौशल से प्रभावित होकर ब्रिटिश आर्मी में उनकी भर्ती की जाने लगी. गोरखा लगभग एक शताब्दि तक अनेक युद्धों में अतुल्य शौर्य का परिचय देते रहे. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में उनके पराक्रम के लिए उन्हें अनेक शौर्य पदक प्राप्त हुए.
1947 में भारत की आज़ादी के बाद गोरखा प्रमुख रूप से ब्रिटिश, भारतीय और नेपाली सेनाओं में बंट गए. एक पूर्व ब्रिटिश गोरखा, टिम आई. गुरुंग द्वारा लिखित 'आयो गोरखाली' इस समुदाय के किसी सदस्य द्वारा लिखा गया पहला ऐतिहासिक कार्य है, जो उन वीरों की गाथाओं को जीवंत कर देती है जो केवल अपनी ही नहीं अन्य सेनाओं में भी सम्मानजनक सेवा देते हुए अपने परंपरागत सैन्य भावनाओं को अक्षरश: जीते रहे.
यह कहानी गोरखाओं के सैन्यकर्म और वीरता से भी आगे की है. यह कहानी है लोचदार मानवीय भावनाओं की, एक ऐसे छोटे समुदाय की जिन्होंने विश्व के इतिहास में अपने लिए एक खास मुकाम बनाया है. हम जानते हैं कि गोरखाओं पर बहुत बातें हुई हैं और होती भी रहती हैं, पर इस समुदाय के भीतर से उन पर लिखी गई किताब शायद ही कोई हो. टिम आई गुरुंग, जो मध्य-पश्चिमी नेपाल से आते हैं और ब्रिटिश सेना गोरखा रेजिमेंट में 13 साल तक सेवा दी है. इन्हें अपनी नई किताब आयो गोरखाली के साथ इतिहास में अनकही आवाज़ों से बाहर आने का श्रेय दिया जाना चाहिए.
संघीय प्रणाली और अत्यधिक विविध जातीयता के साथ एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में, नेपाल में गोरखाओं के लंबे समय तक शानदार इतिहास और प्रभावशाली वर्तमान के साथ एक बढ़त है. भारत और नेपाल के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंध के प्रमुख कारकों में, निश्चित रूप से भारत की सीमाओं की सुरक्षा में गोरखाओं का योगदान महत्वपूर्ण रहा है.
नेपाल का साहित्यिक परिदृश्य खिल रहा है, और यह देखना वास्तव में आह्लादकारी है कि, अधिकांश लेखक अपने राष्ट्र की यात्रा के बारे में पीछे देखने और लिखने के लिए कलम उठा रहे हैं. सामूहिक चेतना में, यह महत्वपूर्ण है कि इतिहास अपने नियत समय पर पहुंच जाए. गोरखाओं के अतीत, वर्तमान और आगे बढ़ने के तरीके के बारे में जानने के लिए, टिम आई गुरुंग की अयो गोरखाली: हिस्ट्री ऑफ़ गोरखास कई मायनों में एक आवश्यक पुस्तक है.
लेखक टिम आई. गुरुंग का जन्म 1962 ई. में पश्चिम मध्य नेपाल के धामपुस नामक गुरुंग गांव में हुआ था. अपने दादा और चाचाओं के पदचिन्हों पर चलते हुए, उन्होंने 17 साल की आयु में ब्रिटिश गोरखा ज्वाइन की थी और 13 वर्षों तक सेवा देने के बाद 1993 में अवकाश प्राप्त होकर अगले 20 वर्षों तक चीन में अपना व्यवसाय करते रहे. अपने 50वें जन्मदिन से पूर्व टिम ने एक पूर्ण-कालिक लेखक बनने का फैसला लिया जिसने उनका जीवन बदल दिया. उसके बाद से वे 15 उपन्यास लिख चुके हैं. टिम अभी अपने परिवार के साथ हांगकांग में रहते हैं.
पुस्तक का नाम- आयो गोरखाली- अ हिस्ट्री ऑफ द गोरखा.
लेखक-टिम आई गुरुंग
प्रकाशक- वेस्टलैंड
मूल्य- 799
'आयो गोरखाली..' कहनी है 1767 के नेपाल की. पृथ्वी नारायण साह के शासन में उन्नति की ओर बढ़ता हुआ एक छोटा सा साम्राज्य. कुछ ही दशकों में उनकी गोरखा सेनानी ने एक शक्तिशाली साम्राज्य कायम कर लिया जिसकी सीमा पश्चिम में कांगरा से मिलती थी तो पूरब में तीस्ता से. इस विशाल प्रांतर में शामिल था वर्तनमान हिमाचाल प्रदेश और उत्तराखंड का बहुत बड़ा भू-भाग और लगभग पूरा का पूरा नेपाल और सिक्किम.
1815 में ब्रिटिश साम्राज्य और गोरखाओं के बीच एक नये सैन्य संबंध की शुरुआत हुई. गोरखाओं के युद्ध कौशल से प्रभावित होकर ब्रिटिश आर्मी में उनकी भर्ती की जाने लगी. गोरखा लगभग एक शताब्दि तक अनेक युद्धों में अतुल्य शौर्य का परिचय देते रहे. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में उनके पराक्रम के लिए उन्हें अनेक शौर्य पदक प्राप्त हुए.
1947 में भारत की आज़ादी के बाद गोरखा प्रमुख रूप से ब्रिटिश, भारतीय और नेपाली सेनाओं में बंट गए. एक पूर्व ब्रिटिश गोरखा, टिम आई. गुरुंग द्वारा लिखित 'आयो गोरखाली' इस समुदाय के किसी सदस्य द्वारा लिखा गया पहला ऐतिहासिक कार्य है, जो उन वीरों की गाथाओं को जीवंत कर देती है जो केवल अपनी ही नहीं अन्य सेनाओं में भी सम्मानजनक सेवा देते हुए अपने परंपरागत सैन्य भावनाओं को अक्षरश: जीते रहे.
यह कहानी गोरखाओं के सैन्यकर्म और वीरता से भी आगे की है. यह कहानी है लोचदार मानवीय भावनाओं की, एक ऐसे छोटे समुदाय की जिन्होंने विश्व के इतिहास में अपने लिए एक खास मुकाम बनाया है. हम जानते हैं कि गोरखाओं पर बहुत बातें हुई हैं और होती भी रहती हैं, पर इस समुदाय के भीतर से उन पर लिखी गई किताब शायद ही कोई हो. टिम आई गुरुंग, जो मध्य-पश्चिमी नेपाल से आते हैं और ब्रिटिश सेना गोरखा रेजिमेंट में 13 साल तक सेवा दी है. इन्हें अपनी नई किताब आयो गोरखाली के साथ इतिहास में अनकही आवाज़ों से बाहर आने का श्रेय दिया जाना चाहिए.
संघीय प्रणाली और अत्यधिक विविध जातीयता के साथ एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में, नेपाल में गोरखाओं के लंबे समय तक शानदार इतिहास और प्रभावशाली वर्तमान के साथ एक बढ़त है. भारत और नेपाल के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंध के प्रमुख कारकों में, निश्चित रूप से भारत की सीमाओं की सुरक्षा में गोरखाओं का योगदान महत्वपूर्ण रहा है.
नेपाल का साहित्यिक परिदृश्य खिल रहा है, और यह देखना वास्तव में आह्लादकारी है कि, अधिकांश लेखक अपने राष्ट्र की यात्रा के बारे में पीछे देखने और लिखने के लिए कलम उठा रहे हैं. सामूहिक चेतना में, यह महत्वपूर्ण है कि इतिहास अपने नियत समय पर पहुंच जाए. गोरखाओं के अतीत, वर्तमान और आगे बढ़ने के तरीके के बारे में जानने के लिए, टिम आई गुरुंग की अयो गोरखाली: हिस्ट्री ऑफ़ गोरखास कई मायनों में एक आवश्यक पुस्तक है.
लेखक टिम आई. गुरुंग का जन्म 1962 ई. में पश्चिम मध्य नेपाल के धामपुस नामक गुरुंग गांव में हुआ था. अपने दादा और चाचाओं के पदचिन्हों पर चलते हुए, उन्होंने 17 साल की आयु में ब्रिटिश गोरखा ज्वाइन की थी और 13 वर्षों तक सेवा देने के बाद 1993 में अवकाश प्राप्त होकर अगले 20 वर्षों तक चीन में अपना व्यवसाय करते रहे. अपने 50वें जन्मदिन से पूर्व टिम ने एक पूर्ण-कालिक लेखक बनने का फैसला लिया जिसने उनका जीवन बदल दिया. उसके बाद से वे 15 उपन्यास लिख चुके हैं. टिम अभी अपने परिवार के साथ हांगकांग में रहते हैं.
पुस्तक का नाम- आयो गोरखाली- अ हिस्ट्री ऑफ द गोरखा.
लेखक-टिम आई गुरुंग
प्रकाशक- वेस्टलैंड
मूल्य- 799
Also Read
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians
-
11 years later, Swachh Bharat progress mired in weak verification
-
Let Me Explain: Karur stampede and why India keeps failing its people
-
TV Newsance Rewind: Manisha tracks down woman in Modi’s PM Awas Yojana ad