Newslaundry Hindi
पेट्रीसिया मुखिम के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने जारी किया बयान
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘द शिलांग टाइम्स’ की एडिटर और पद्मश्री से सम्मानित संपादक पेट्रीसिया मुखिम के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस को लेकर अपना बयान जारी किया है.
गिल्ड ने अपने बयान में कहा, “वह चिंतित हैं कि कैसे मुखिम को उसके फेसबुक पोस्ट के लिए बोझिल आपराधिक आरोप प्रक्रिया के माध्यम से खींचा जा रहा है.” यह एक उदाहरण हैं कि कैसे कई कानूनी प्रावधानों का उपयोग बोलने की आजादी और फ्री प्रेस के खिलाफ किया जा सकता है.
बता दें कि गिल्ड का यह बयान पेट्रीसिया के गिल्ड से इस्तीफे के सात दिन बाद आया है. इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार ने इस्तीफा देते हुए कहा था, “गिल्ड ने अर्नब गोस्वामी जो कि गिल्ड के सदस्य भी नहीं हैं की गिरफ्तारी पर निंदा बयान जारी किया था. जबकि उस केस का पत्रकारिता से कुछ लेना-देना भी नहीं था. लेकिन उनके मामले में संस्था ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली.”
क्या है पूरा मामला
पेट्रीसिया मुखिम के खिलाफ केस दर्ज उनके एक फेसबुक पोस्ट करने पर किया गया है. इस पोस्ट में उन्होंने लॉसहटून के बॉस्केटबॉल कोर्ट में आदिवासी और गैर-आदिवासी युवाओं के बीच झड़प का जिक्र करते हुए लिखा था कि, मेघालय में गैर-आदिवासियों पर यहां लगातार हमला जारी है, जिनके हमलावरों को 1979 से कभी गिरफ्तार नहीं किया गया जिसके परिणामस्वरूप मेघालय लंबे समय तक विफल राज्य रहा.
इस नोटिस के खिलाफ पेट्रीसिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस केस को रद्द करने की मांग की थी. जिस पर कोर्ट ने मुखिम का फेसबुक पोस्ट मेघालय में आदिवासियों और गैर आदिवासियों के सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच दरार पैदा करने वाला बताकर याचिका को रद्द कर दिया था.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘द शिलांग टाइम्स’ की एडिटर और पद्मश्री से सम्मानित संपादक पेट्रीसिया मुखिम के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस को लेकर अपना बयान जारी किया है.
गिल्ड ने अपने बयान में कहा, “वह चिंतित हैं कि कैसे मुखिम को उसके फेसबुक पोस्ट के लिए बोझिल आपराधिक आरोप प्रक्रिया के माध्यम से खींचा जा रहा है.” यह एक उदाहरण हैं कि कैसे कई कानूनी प्रावधानों का उपयोग बोलने की आजादी और फ्री प्रेस के खिलाफ किया जा सकता है.
बता दें कि गिल्ड का यह बयान पेट्रीसिया के गिल्ड से इस्तीफे के सात दिन बाद आया है. इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार ने इस्तीफा देते हुए कहा था, “गिल्ड ने अर्नब गोस्वामी जो कि गिल्ड के सदस्य भी नहीं हैं की गिरफ्तारी पर निंदा बयान जारी किया था. जबकि उस केस का पत्रकारिता से कुछ लेना-देना भी नहीं था. लेकिन उनके मामले में संस्था ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली.”
क्या है पूरा मामला
पेट्रीसिया मुखिम के खिलाफ केस दर्ज उनके एक फेसबुक पोस्ट करने पर किया गया है. इस पोस्ट में उन्होंने लॉसहटून के बॉस्केटबॉल कोर्ट में आदिवासी और गैर-आदिवासी युवाओं के बीच झड़प का जिक्र करते हुए लिखा था कि, मेघालय में गैर-आदिवासियों पर यहां लगातार हमला जारी है, जिनके हमलावरों को 1979 से कभी गिरफ्तार नहीं किया गया जिसके परिणामस्वरूप मेघालय लंबे समय तक विफल राज्य रहा.
इस नोटिस के खिलाफ पेट्रीसिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस केस को रद्द करने की मांग की थी. जिस पर कोर्ट ने मुखिम का फेसबुक पोस्ट मेघालय में आदिवासियों और गैर आदिवासियों के सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच दरार पैदा करने वाला बताकर याचिका को रद्द कर दिया था.
Also Read
-
Killing of Pahalgam attackers: Face-saver for Modi govt, unanswered questions for nation
-
Operation Sindoor debate: Credit for Modi, blame for Nehru
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
Hafta letters: Favourite panellists, farmer protests, questions on misinformation