Newslaundry Hindi
पत्रकार कप्पन की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 16 नवंबर को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की ओर से दायर याचिका में कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. पत्रकार कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (केयूडब्ल्यूजे) ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. जिस पर शीर्ष अदालत आज सुनवाई कर रही थी. कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन को हाथरस जाते समय गिरफ्तार किए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया जा रहा है. और शुक्रवार को फिर से मामले की सुनवाई होगी. इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, सिद्दीक की पैरवी कर रहे हैं.
कपिल सिब्बल ने इस पर बहस करते हुए कहा, “प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बताया गया है. वह पांच अक्टूबर से जेल में हैं. जब हम मजिस्ट्रेट से पत्रकार से मिलने की अनुमति मांगने गए तो उन्होंने कहा कि जेल जाओ.”
बता दें कि पत्रकार सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य लोगों को मथुरा पुलिस ने पांच अक्टूबर को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था, जब वे गैंगरेप पीड़ित दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के एक गांव जा रहे थे. गिरफ्तारी के एक महीने बाद भी पत्रकार कप्पन की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होने पर केरल पत्रकार संघ ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी. और कोर्ट से कप्पन की जमानत याचिका पर तुरंत सुनवाई करने का आग्रह किया था. कप्पन के मामले में प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन और न्याय से इनकार करने पर संघ ने भी चिंता जताई थी.
इस मामले पर कप्पन की पत्नी रहिनाथ का कहना है कि वो यह समझने में नाकाम है कि उनके पति की गिरफ्तारी क्यों हुई. जबकि हाल ही में जब रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया गया था. तो लोगों का एक बड़ा तबका गोस्वामी की गिरफ्तारी की तुलना आपातकाल से दौर से करने लगा. लेकिन उनके पति की गिरफ्तारी पर किसी की जुबान नहीं खुली. कप्पन की पत्नी कहती हैं, “ऐसा दोहरा मापदंड क्यों? वही मंत्री कप्पन की रिहाई पर मेरी दलीलों और पत्रों पर चुप हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 16 नवंबर को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की ओर से दायर याचिका में कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. पत्रकार कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (केयूडब्ल्यूजे) ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. जिस पर शीर्ष अदालत आज सुनवाई कर रही थी. कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन को हाथरस जाते समय गिरफ्तार किए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया जा रहा है. और शुक्रवार को फिर से मामले की सुनवाई होगी. इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, सिद्दीक की पैरवी कर रहे हैं.
कपिल सिब्बल ने इस पर बहस करते हुए कहा, “प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बताया गया है. वह पांच अक्टूबर से जेल में हैं. जब हम मजिस्ट्रेट से पत्रकार से मिलने की अनुमति मांगने गए तो उन्होंने कहा कि जेल जाओ.”
बता दें कि पत्रकार सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य लोगों को मथुरा पुलिस ने पांच अक्टूबर को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था, जब वे गैंगरेप पीड़ित दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के एक गांव जा रहे थे. गिरफ्तारी के एक महीने बाद भी पत्रकार कप्पन की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होने पर केरल पत्रकार संघ ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी. और कोर्ट से कप्पन की जमानत याचिका पर तुरंत सुनवाई करने का आग्रह किया था. कप्पन के मामले में प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन और न्याय से इनकार करने पर संघ ने भी चिंता जताई थी.
इस मामले पर कप्पन की पत्नी रहिनाथ का कहना है कि वो यह समझने में नाकाम है कि उनके पति की गिरफ्तारी क्यों हुई. जबकि हाल ही में जब रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया गया था. तो लोगों का एक बड़ा तबका गोस्वामी की गिरफ्तारी की तुलना आपातकाल से दौर से करने लगा. लेकिन उनके पति की गिरफ्तारी पर किसी की जुबान नहीं खुली. कप्पन की पत्नी कहती हैं, “ऐसा दोहरा मापदंड क्यों? वही मंत्री कप्पन की रिहाई पर मेरी दलीलों और पत्रों पर चुप हैं.”
Also Read
-
Killing of Pahalgam attackers: Face-saver for Modi govt, unanswered questions for nation
-
Operation Sindoor debate: Credit for Modi, blame for Nehru
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
Hafta letters: Favourite panellists, farmer protests, questions on misinformation