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सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई पुलिस की जांच को चुनौती देने वाली रिपब्लिक टीवी की याचिका को सुनने से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रिपब्लिक मीडिया द्वारा टीआरपी घोटाले की मुंबई पुलिस की जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने मीडिया समूह को बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने के लिए कहा.
कोर्ट ने कहा कि चैनल का ऑफिस मुम्बई के वर्ली में है जो हाईकोर्ट के नजदीक है तो उन्हें इस मामले में राहत के लिए वहां जाना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने गोस्वामी को हाईकोर्ट पर भरोसा करने के लिए भी कहा. इस पर रिपब्लिक चैनल के वकील हरीश साल्वे ने याचिका को वापस ले लिया.
अर्नब गोस्वामी ने मुंबई पुलिस द्वारा टेलीविजन रेटिंग अंक (टीआरपी) में हेरफेर करने के आरोप में दर्ज एफआईआर में जारी किए गए समन पर रोक लगाने की मांग कर सुप्रीम कोर्ट एक रिट याचिका दाखिल की थी.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा, "आपके मुव्वकिल का वर्ली (मुंबई) में कार्यालय है. फ्लोरा फाउंटेन और पुल के बीच, यह बेहतर होगा कि आप उच्च न्यायालय में या तो 226 या 482 (सीआरपीसी) के तहत जाएं. अपने हाईकोर्ट पर विश्वास रखना चाहिए. हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बिना सुनवाई एक बुरा संदेश भेजती है."
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, मुंबई पुलिस कमीश्नर परमबीर सिंह ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी और दो मराठी चैनल, फकत मराठी और बॉक्स सिनेमा विज्ञापन पाने के लिए टीआरपी में छेड़छाड़ करते हैं. इसलिए इन पर भारतीय दंड संहिता के तहत कांदिवली पुलिस स्टेशन में आपराधिक विश्वासघात (धारा 409), धोखाधड़ी (420) और आपराधिक साजिश (120 बी) के अपराधों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की है.
पुलिस ने कहा था कि उन्होंने हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) की सहायता कर रहा था और हंसा के कुछ कर्मचारियों ने गोपनीय डेटा का दुरुपयोग भी किया है जो उन्हें सौंपा गया था.
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