Newslaundry Hindi
छत्तीसगढ़ में जर्नलिस्ट से हुई मारपीट के खिलाफ प्रदर्शन करे रहे पत्रकार का हुआ ट्रांसफर
छत्तीसगढ़ के कांकेर में वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला और सतीश यादव के साथ हुई मारपीट के बाद से पूरे प्रदेश में पत्रकार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं पत्रकार घटना के बाद इंसाफ के लिए रायपुर में भी धरना प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन अब इस घटना को लेकर प्रदर्शन कर रहे एक स्थानीय पत्रकार का ट्रांसफर कर दिया गया.
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार ने न्यूज़लॉन्ड्री को फोन पर बताया कि, प्रदर्शन को रायपुर में संभाल रहे रायपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रफुल ठाकुर को नवभारत अखबार ने वर्तमान पोस्टिंग से 460 किलोमीटर दूर दूसरे संस्करण में ट्रांसफर कर दिया गया.
प्रफुल चीफ रिपोर्टर हैं नवभारत अखबार में और वह कमल शुक्ला और अन्य पत्रकारों के साथ हुई मारपीट के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल थे. शायद इसी कारण से अखबार ने बिना किसी कारण के उन्हें जशपुर भेज दिया.
वरिष्ठ पत्रकार आगे बताते हैं कि, पत्रकार के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद सरकार ने छह पत्रकारों की एक हाईपावर कमेटी का गठन कर मामले की जांच के आदेश दिए. कमेटी एक अक्टूबर को बनी और 10 अक्टूबर को रिपोर्ट भी जमा कर दी गई.
सबसे हैरानी की बात यह रही कि, कमेटी ने एक से लेकर छह तारीख तक रायपुर में धरना दे रहे कमल शुक्ला और सतीश यादव से कोई मुलाकात नहीं की और जब कमेटी सात तारीख को कांकेर पहुंची (जहां घटना हुई थी) तो दोनों पत्रकारों से कहा, वह यहां आकर कमेटी के सामने अपने बयान दर्ज कराए.
हालांकि तबीयत खराब होने के कारण दोनों पत्रकार अस्पताल में भर्ती थे और कमेटी के सामने पेश नहीं हो सके. जिसके बाद कमल शुक्ला के बेटे ने कमेटी को वाइस रिकॉर्ड बयान भेजे, लेकिन कमेटी ने 10 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट में कहा, उन्हें पत्रकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, कांकेर में हुई मारपीट आपराधिक घटना थी. ऐसे मामलों में राज्य का गृह विभाग कमेटी बनाता है, जिसमें पत्रकार के साथ ही शासन के अधिकारी शामिल होते है. लेकिन इस कमेटी में सिर्फ छह पत्रकारों को शामिल किया गया. जो सरकार के खास माने जाते हैं.
बता दें कि पिछले महीने भूमकाल के संपादक कमल शुक्ला और सतीश यादव कुछ पत्रकारों के साथ एक अन्य पत्रकार के साथ हुई मारपीट का विरोध कर रहे थे. इसी दौरान कुछ गुंडे मौके पर आ गए और उनके साथ मारपीट करने लगे. वह जोर-जोर से वरिष्ठ पत्रकार को गालियां दे रहे थे और मारने की बात कह रहे थे. इस दौरान उन्हें कुछ चोटें आई. इस पूरे घटना का वीडियो वायरल होने पर छत्तीसगढ़ सरकार की काफी किरकिरी हुई थी.
गौरतलब हैं कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए पत्रकारों की सुरक्षा संबंधी कानून का मसौदा भी जारी किया था, जिसे अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है. इस बिल को लेकर भी कमेटी ने सरकार से जल्द इस कानून को अमल में लाने की बात कही है.
Also Read
-
A conversation that never took off: When Nikhil Kamath’s nervous schoolboy energy met Elon Musk
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?