Newslaundry Hindi
यूपी में पत्रकार की गोली मारकर हत्या, पिता ने पुलिस पर लगाया आरोप
उत्तर प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था हमेशा से सवालों का मुद्दा रहा है. रामराज्य का वादा करके सत्ता में आई योगी आदित्यनाथ की सरकार में कानून व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है. ताजा मामला पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में देखने को मिला, जहां एक टीवी पत्रकार की गांव के दंबगों गोली मारकर हत्या कर दी.
45 वर्षीय पत्रकार रतन सिंह की सोमवार रात ग्राम प्रधान के घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस का कहना है कि “रतन सिंह का पटवारियों से पुराना विवाद था. रतन सिंह के पिता विनोद कुमार सिंह की शिकायत पर 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया हैं जिसमें से 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह हत्या जमीन विवाद को लेकर किया गया है, इसका उनकी पत्रकारिता से कोई संबंध नहीं है.”
बलिया पुलिस ने साथ ही ट्ववीट कर बताया की दोनों पक्षों के बीच 2019 में भी मारपीट हुई थी, जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज कराया था. हालांकि बाद में रतन सिंह के खिलाफ केस गलत पाया गया था. केस में सही से कारवाई ना करने पर प्रभारी निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है.
अमर उजाला की ख़बर के मुताबिक, पोस्टमार्टम के बाद जब शव को घर लाया गया तो पत्रकारों व ग्रामीणों ने रसड़ा-फेफना मार्ग को जाम कर दिया. जिसके बाद सपा व कांग्रेस के प्रतिनिधि भी मौके पर पहुंच गए.
इस दौरान पत्रकारों ने एडीएम को ज्ञापन सौंपकर पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी, आरोपियों पर रासुका लगाने के साथ ही उनके घर को जमीदोंज करने तथा मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करने की मांग की थी.
इस घटना पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
पिता ने स्थानीय पुलिस इंस्पेटर पर लगाया आरोप
घटना के बाद मृतक रतन सिंह के पिता विनोद कुमार सिंह ने स्थानीय पुलिस इंस्पेटर पर आरोप लगाते हुए कहा, “थानाध्यक्ष मौके पर आए थे, लेकिन बिना कारवाई के वह वहां से चले गए. अगर वह नहीं गए होते तो आज रतन सिंह जिंदा होता. उन पर भी एफआईआर दर्ज कर कारवाई की जानी चाहिए.”
परिजनों के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों ने एडीएम के आश्वासन के बाद अपना धरना खत्म कर दिया. एडीएम ने परिजनों को आश्वासन देते हुए कहा कि रतन सिंह के पत्नी को संविदा पर नौकरी दिया जाएगा, मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख का आर्थिक मुवावजा और कृषि बीमा के तहत 5 लाख रुपए दिए जाएंगे.
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटनाएं सिलसिलेवार ढंग से हो रही हैं. इससे पहले गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गई थी जब उन्होंने अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया था. वहीं जून महीने में उन्नाव में पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जून महीने में ही शाहजहांपुर के स्थानीय पत्रकार राजेश तोमर को बदमाशों ने चाकू मार कर हत्या कर दी थी. इससे पहले साल 2019 में कुशीनगर और सहारनपुर में भी पत्रकारों की हत्या हो चुकी है.
एक तरफ हत्याएं है तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश का पुलिस प्रशासन भी पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई में लिप्त है. चाहे स्क्रोल की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा का मामला हो या द वायर के सिद्धार्थ वरदारजन का मामला. पत्रकारों के खिलाफ उत्तर प्रदेश शासन और प्रशासन का रवैया प्रताड़ित करने का रहा है.
Also Read: फोटो पत्रकार जयदीप बंसल की कोविड 19 से मौत
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?