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एनएल चर्चा 128: 370 समाप्ति का एक बरस और और पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक्शा
एनएल चर्चा का 128वां अंक विशेष तौर पर धारा 370 की समाप्ति के एक बरस पूरा होने और पाकिस्तान द्वारा अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी करने पर केंद्रित रहा. इसके साथ ही राममंदिर भूमिपूजन पर हुई टीवी रिपोर्टिंग, लेबनान में हुआ धमाका, भारत में हुई एक दिन में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज़ों में बढ़ोतरी और सीबीआई द्वारा रिया चक्रवर्ती पर दर्ज किया गया केस आदि विषयों का भी जिक्र किया गया.
इस बार की चर्चा में बीबीसी के लिए पाकिस्तान-अफग़ानिस्तान से रिपोर्ट करने वाले पत्रकार सिकंदर किरमानी, दैनिक भास्कर के स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट राहुल कोटियाल और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. इस चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने पाकिस्तान द्वारा जारी किए गए नए पॉलिटिकल मैप पर बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा कि, जूनागढ़, लद्दाख और कश्मीर को पाकिस्तान ने अपने हिस्से में दिखाया है. यहां गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तान ने लद्दाख और कश्मीर से सटी सीमाओं को स्पष्ट करने से परहेज किया है. वहां लिखा है कि इस इलाके पर भारत का अवैध रूप से कब्जा है. सिकंदर से सवाल करते हुए अतुल ने पूछा, “इस नए मैप को किस तरह से देखा जाए, क्योंकि भारत का अभी चीन के साथ सीमा पर तनाव चल रह है और दोनों देश की सेनाएं एक दूसरे के सामने है, ऐसे में क्या पाकिस्तान का यह कदम भारत की उलझन का फायदा उठाने की कोशिश है?”
सिकंदर ने इसके जवाब में कहा, “पाकिस्तान हुक़ूमत द्वारा जारी किया गया यह नया मैप आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद एक प्रतीकात्मक मैसेज देने के लिए लाया गया है. हाल ही में सरकार ने कश्मीर पर एक नया गाना भी बनाया था. बाद में इस्लामाबाद में कश्मीर हाईवे का नाम बदलकर श्रीनगर हाईवे कर दिया गया. अगर आप देखे जूनागढ़ तो सालों से भारत का हिस्सा है, उसे मैप में शामिल करने से यह सच्चाई बदल नहीं सकती. यह एक तरह से प्रेशर पॉलिटिक्स है. पाक हुकूमत इस कदम के द्वारा इंटरनेशल लेवल पर कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहा है. दूसरी तरफ जूनागढ़ का एक इतिहास भी रहा है, जब देश आजाद हुआ था, उस समय वह पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था, लेकिन बाद में वह भारत का हिस्सा बना.”
इस पर अतुल ने श्रोताओं को संक्षेप में जूनागढ़ का इतिहास भी बताया. उन्होंने बताया कि जूनागढ़ के शासक मुसलमान थे और बहुसंख्यक जनता हिंदू वहीं कश्मीर में शासक हिंदू थे और जनता मुस्लिम. विलय समझौता करा रहे सरदार पटेल एक समय तक इस बात के हामी थे कि जूनागढ़ को हम ले लेंगे और कश्मीर को पाकिस्तान को सौंप देंगे, लेकिन बाद में पाकिस्तान द्वारा एकतरफा जूनागढ़ को पाकिस्तान में शामिल करने की घोषणा के बाद स्थितियां बदल गईं और दोनों हिस्से भारत के साथ जुड़े रहे.
अतुल ने फिर से सवाल करते हुए कहा कि आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में पाकिस्तान कोई समर्थन पाने में असफल रहा है और उसकी अंदरुनी राजनीतिक में इमरान खान की कमजोर हालत के कारण भी शायद यह कदम उठाया गया है.
इस पर सिंकदर कहते हैं, “आप ने सही कहा, ऐसा लगता है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान इस बात को मान चुके हैं कि वो कश्मीर पर कोई सैनिक कदम नहीं उठा सकते. आर्मी के जरिए वो कोई संदेश दे नहीं सकते लिहाजा इस तरह के संदेश देना उनकी मजबूरी है. इस नए मैप से जमीनी हालात नहीं बदलने जा रहे.”
यहां पर अतुल ने मेघनाथ और राहुल को चर्चा में शामिल करते हुए कहा, पाकिस्तान के इस कदम से दोनों देशों के बीच हुए कई द्विपक्षीय समझौतों को खुद पाकिस्तान नहीं मान रहा है. ऐसे में क्या यह माना जाए कि पाक ने खुद पुराने समझौतों पर सवाल खड़ा कर दिया है. हालांकि उसकी कोशिश लगातार रही है कि कोई तीसरा पक्ष कश्मीर के मामले में दखल दे.
इस पर मेघनाथ कहते हैं, “सिकंदर ने जो बात कहीं कि पाक द्वारा जूनागढ़, कश्मीर को नए मैप में शामिल किए जाना एक सिंबॉलिक दवाब की राजनीति है. यह सिंबॉलिक राजनीति हमारे द्वारा आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद भी की गई थी. अगर देखे तो कश्मीर में पहले ही भारत का संविधान लागू पूरी तरह से लागू था. आर्टिकल 370 को उसी की एक अलग व्याख्या के द्वारा यह धारा हटाया जाना भी एक सिंबॉलिक कदम था.एक साल पहले भारत द्वारा हटाए गए आर्टिकल 370 के बाद अब पाकिस्तान का यह कदम ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि पहले से उम्मीद की जा रही थी, वह ऐसे कदम उठा सकता है.”
राहुल से सवाल करते हुए कहा अतुल ने कहा कि क्या सरकार को 4जी और टेलीफ़ोन चालू करने का डर है. आखिर सरकार ने शुरुआत में कहा कि यह प्रतिबंध 2 महीने के लिए है या 4 महीने के लिए लेकिन अब तो एक साल हो गए है.
इस पर राहुल कहते है, “आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही सरकार को डर है. मेरी कश्मीर में कुछ लोगों से बात हो रही थी कि शायद आर्टिकल 370 को हटाए जाने एक साल पूरा होने पर फिर से ब्लैक आउट कर दिया जाएगा. अगर देखे तो सरकार ने आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया था, साथ ही सरकार को अंदेशा था कि कश्मीर में हालात बिगड़ सकते है, इसलिए सरकार ने बड़े पैमाने पर सुरक्षा की तैयारियां की थी, लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं. कई जगह विरोध हुआ लेकिन धीरे-धीरे वह भी खत्म हो गया. कोरोना और लॉकडाउन के कारण भी इन घटनाओं में कमी देखी जा रही है.”
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पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
सिकंदर किरमानी
राहुल कोटियाल
इंडियन एक्सप्रेस पर प्रकाशित- प्रताप भानु मेहता का लेख
विलियम डेलरिम्पल की किताब- द एनार्की
मेघनाथ
एनएल वर्से एनएल पॉडकास्ट - इज रिजर्वेशन डिजायरअेबल
अतुल चौरसिया
रामचंद्र गुहा की किताब - इंडिया आफ्टर गांधी
शीतला सिंह- अयोध्या: रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद का सच
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