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टीवी-9 भारतवर्ष और बार्क की रेटिंग व्यवस्था के बीच एनबीए के जरिए हमलावर रजत शर्मा

भारतीय टेलीविजन की दुनिया में रोज नया इतिहास लिखा जा रहा हैं. बीते दिनों रिपब्लिक भारत के एक शो के दौरान सेना से रिटायर और बीजेपी के कट्टर समर्थक मेजर जनरल जीडी बख्शी ने एक पैनलिस्ट को मां की गाली दे दी. इस घटना के कुछ दिन बीते ही थे कि एक सीनियर पत्रकार टीवी स्क्रीन पर सिगरेट पीते नज़र आए. इससे पहले भी गाली देने और हाथापाई के कई मामले टेलीविजन चैनलों की शोभा बढ़ा चुके हैं. लेकिन पिछले दिनों टीवी की दुनिया में एक और घटना हुई जिसने कई चैनल मालिकों की नींद गायब कर दी है.

31 मार्च, 2019 को नोएडा के फिल्मसिटी में टीवी 9 भारतवर्ष नामक चैनल शुरू हुआ. इसके उद्घाटन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे. चैनल शुरू होने के महज एक साल तीन महीने बाद ही तमाम चैनलों को पछाड़ते हुए यह टीआरपी के मामले में नम्बर दो पर पहुंच गया है.

टीवी-9 भारतवर्ष के नम्बर दो पर पहुंचने को लेकर न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्सएसोसिएशन (एनबीए) ने चिंता जाहिर करते हुए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) को जांच के लिए एक पत्र लिखा है.

एनबीए द्वारा बार्क को पत्र लिखना था कि विवाद शुरू हो गया. ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि वर्तमान में एनबीए के चेयरमैन रजत शर्मा है. यह पत्र भी रजत शर्मा द्वारा ही लिखा गया है. रजत शर्मा एनबीए के प्रमुख होने के साथ-साथ इण्डिया टीवी चैनल के मालिक भी है. जिसे रेटिंग में पछाड़कर टीवी-9 भारतवर्ष आगे बढ़ा है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या एनबीए का बार्क को पत्र किसी खास मकसद से लिखा गया है. कहीं इसमें इंडिया टीवी और रजत शर्मा का निजी हित तो शामिल नहीं है?

क्यों एनबीए ने लिखा बार्क को पत्र

14 जुलाई को एनबीए ने एक प्रेस रिलीज जारी किया. यह प्रेस रिलीज एनबीए के जनरल सेक्रेट्री एनी जोसेफ द्वारा जारी किया गया है. प्रेस रिलीज की शुरुआत में जोसेफ ने बताया है कि 8 जुलाई को एनबीए के चेयरमैन रजत शर्मा ने बार्क के चेयरमैन कोटीवी-9 भारतवर्ष के दर्शकों की संख्यामें अभूतपूर्व वृद्धि और अंग्रेजी के चैनलों में रेटिंग बढ़ने को लेकर पत्र लिखा था.

इसके बाद जोसेफ ने रजत शर्मा द्वारा 8 जुलाई को बार्क को लिखा पत्र को जस का तस रिलीज से अटैच कर दिया. इस पत्र में शर्मा ने टीवी-9 भारतवर्ष के दर्शकों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि पर सवाल खड़े किए है.

बार्क को लिखे पत्र में शर्मा लिखते हैं, ‘‘यह आपके ध्यान में लाया जाता है कि पिछले 8 सप्ताह या उससे अधिक के लिए रेटिंग असमान्य रही हैं. विशेष रूप से टीवी-9 भारतवर्ष की रेटिंग सामान्य से अधिक रही है. इस संबंध में हम आपका ध्यान निम्नलिखित तथ्यों की तरफ आकर्षित करना चाहते हैं, जो कि टीवी 9 भारतवर्ष के दर्शकों में अप्रत्याशित वृद्धि और अंग्रेजी चैनलों की रेटिंग में लगातार बदलाव के संबंध में है.’’

इसके बाद शर्मा ने 12 पॉइंट के जरिए अपनी बता बार्क को समझाने की कोशिश की है. इन तमाम पॉइंट में वे बताने की कोशिश करते हैं कि जब तमाम चैनलों की रेटिंग गिर रही थी तब भी टीवी-9 की रेटिंग में गिरावट आने के बजाय वृद्धि हुई. वे इस पूरे मामले में साजिश की तरफ इशारा करते हैं और इसके लिए बार्क के जिम्मेदारी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हैं.

अपने पहले पॉइंट में शर्मा लिखते हैं, ‘‘लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा न्यूज़ व्यूअरशिप आने के बाद इसमें धीरे-धीरे हर स्तर पर गिरावट देखी गई. साल के 12वें सप्ताह से 25वें सप्ताह तक खबर देखने पर खर्च समय (News Time Spend) में 36% की गिरावट आई. यह गिरावट लगभग सभी चैनलों में देखने को मिली सिवाय टीवी-9 के. यहां ठीक इसके उलट 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई.’’

यहां आपको बता दें कि टीवी-9, 25वें और 26वें सप्ताह (20 जून से 3 जुलाई तक) में चैनलों की रेटिंग में नम्बर दो पर पहुंच गया है. अब टीवी-9 के आगे सिर्फ आज तक है. लम्बे समय से चल रहे ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी और एबीपी को टीवी-9 भारतवर्ष पीछे छोड़ चुका है. एक साल में चैनल के दर्शकों में हुई इस असमान्य वृद्धि से रजत शर्मा समेत बाकी लोगों की चिंता बढ़ गई है और इसमें किसी फ्रॉड की तरह वो इशारा कर रहे हैं.

शर्मा पत्र में लिखते हैं, ‘‘जहां टेलीविजन न्यूज़ उद्योग के बाकी चैनलों में साल के 12वें और 13वें सप्ताह में दर्शकों की ज्यादा संख्या सामने आई वहीं टीवी-9 भारत वर्ष में यह 25वें सप्ताह में हुआ. यह तब का समय है जब लॉकडाउन खत्म हो गया और ज्यादातर लोग काम पर लौटने लगे थे. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि टीवी-9 के इस मुकाम पर पहुंचाने में ज्यादातर शहरी लोगों का योगदान है ना कि ग्रामीण आबादी का.’’

अपने पूरे पत्र में शर्मा टीवी-9 भारतवर्ष के दर्शकों की संख्या में आई अचानक वृद्धि की तरफ इशारा करते है. वे बताने की कोशिश करते है कि ये जो वृद्धि है वो भरोसे के लायक नहीं है. आठ वें पॉइंट में शर्मा टीवी-9 के एंकरों पर सीधे निशाना साधते हुए कहते हैं, ‘‘चैनल में चार बड़े एंकर, निशांत चतुर्वेदी, सुमैरा खान, समीर अब्बास और दिनेश गौतम हैं. नाम सुनकर इनके चेहरे को आप याद नहीं कर सकते हैं ऐसे में जो रेटिंग में वृद्धि हुई है वो हैरान करने वाली है.’’

तमाम तथ्य रखने के बाद आखिर में रजत शर्मा लिखते हैं, ‘‘यह सब जानते है कि इससे पहले भी टीवी-9 ग्रुप के कई चैनलों को अपने व्यूअरशिप डेटा में हेरफेर करते हुए पकड़ा गया है. ऐसा उन्होंने इसलिए किया था कि टीवी रेटिंग में आगे आ सकें. ऐसा करने के कारण बार्क द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया था. हम मांग करते है कि बार्क एक स्वंत्रत थर्ड पार्टी से पूरे मामले की जांच कराए. और जो भी अधिकारी इस पूरे मामले में शामिल है उनपर भी कार्रवाई हो.’’

रजत शर्मा पर हमलावर हुए टीवी-9 भारतवर्ष के एंकर

14 जुलाई को जैसे ही यह प्रेस रिलीज जारी हुआ टीवी-9 भारतवर्ष के एंकर रजत शर्मा पर हमलावर हो गए.

शर्मा ने अपने पत्र में जिन चार एंकरों का नाम लिया है उसमें से एक सुमैरा खान ने ट्वीट करते हुए रजत शर्मा पर सवाल उठाये. उन्होंने लिखा, ‘‘सर, मेरी रीकॉल वैल्यू क्या है, ये मेरे शो की रेटिंग तय कर रही है जो अपने बैंड में शीर्ष पर है. अगर बड़े ब्रांड और बड़े नाम की ही रीकॉल वैल्यू होती तो “आप की अदालत” अपने बैंड में 7वें पायदान पर ना होता. सर महिलाओं को भी आगे बढ़ने दें.’’

दूसरे एंकर निशांत चतुर्वेदी ने भी ट्वीट करके आरोपों का जवाब दिया. उन्होंने लिखा, ‘‘जब लोग तुम्हारे खिलाफ बोलने लगें तो समझ लो तरक्की कर रहे हो. बड़ा तो सिर्फ जनता बनाती है और हम उसी जनता जनार्दन के माध्यम है. हां इन्होंने हमें रीकॉलकिया ये बहुत कुछ बताता है.’’

टीवी-9 एक तरफ से एनबीए पर हमलावर हो गया तो दूसरी तरफ टीवी-9 नेटवर्क ने एक प्रेस रिलीज भी जारी किया है. इसमें चैनल के सीईओ वरुण दास काफी डिटेल में अपनी बात रखते हैं. उसमें वे बताते हैं, ‘‘हमने एनबीए को 22 फरवरी को एक पत्र लिखा था जिसमें महामारी के समय में रेटिंग को सस्पेंड करने के लिए कहा था. यह पत्र इसलिए लिखा गया क्योंकि रेटिंग के लिए लोग अपने रिपोर्टर और कैमरामैन की जिंदगी खतरे में ना डाले.’’

रिलीज में वरुण दास द्वारा एनबीए को लिखा गया मेल और एनबीए द्वारा दिया गया जवाब भी शामिल है. एनबीए ने टीवी 9 की इस मांग को ख़ारिज कर दिया. वरुण दास कहते हैं, ‘‘हमारी मांग को अगले दिन ही एनबीए ने ठुकरा दिया.अब जब टीवी-9 रेटिंग में आगे बढ़ गया तो कहानी बदल गई है.’’

भले ही वरुण दास ने ऐसा एनबीए को लिखा हो, लेकिन लॉकडाउन और कोरोना के दौर में टीवी-9 भारतवर्ष में कर्मचारियों के साथ ज्यादती के कई मामले सामने आए थे. संस्थान के कई कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. कोरोना पॉजिटिव लोगों की बढ़ती संख्या से लोग डरकर ऑफिस आना बंद कर दिए तो संस्थान के संपादक संत प्रसाद ने कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए धमकाया. उन्होंने लिखा था- “जो सचमुच बीमार है, उनके लिए ऑर्गेनाइजेशन खड़ा है. जो ठीक हैं, उनका ये दायित्व है कि मुश्किल वक़्त में वो संस्थान का साथ दें. अगर कोई बेवजह छुट्टी ले रहा है, कायर की तरह डर कर घर बैठ रहा है, झूठ बोलकर खुद को अलग कर रहा है और ऐसे वक़्त में काम को प्रभावित कर रहा है उसके लिए ये आखिरी और सख्त चेतावनी है.”

संत सिंह का स्क्रीनशाट

14 जुलाई को टीवी-9 के सीईओ वरुण दास ने बताया कि टीवी-9 के बढ़ते रेटिंग में कोई छेड़छाड़ नहीं किया गया है. दास से बातचीत के आधार पर एडगली नाम की एक वेबसाइट ने खबर प्रकाशित की जिसका शीर्षक है-‘हमपर संदेह करने वालों को अपना होमवर्क करना चाहिए’ है. एडगली की इस खबर को टीवी-9 के एग्जीक्यूटिव एडिटर समीर अब्बास ने भी ट्वीट किया.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ एनबीए ही नहीं न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) ने भी टीवी-9 की अचानक बढ़ी रेटिंग को लेकर बार्क को पत्र लिखा है. एनबीएफ बीते दिनों एनबीए के तर्ज पर उससे अलग होकर रिपब्लिक चैनल के मालिक अर्नब गोस्वामी के नेतृत्व में शुरू हुआ एक नया संगठन है.

टीवी-9 भारतवर्ष के नम्बर दो पर पहुंचने को लेकर किए गए सवाल के जवाब में वरुण दास कहते हैं, ‘‘हमारे इस मुकाम पर पहुंचने के तीन कारण है. कंटेंट, प्रोमोशन और डिस्ट्रीब्यूशन.’’

वरुण बताते हैं, ‘‘हम चैनल को दोबारा जनवरी में लांच करने की योजना बना रहे थे, लेकिन मंत्रालय ने लोगो बदलने में थोड़ा समय ले लिया. इस तरह मार्च के तीसरे सप्ताह में चैनल रिलॉन्च हुआ. इसके बाद हमने चैनल के नए लुक का प्रचार करना शुरू किया. हमने कुछ प्रचार बाद में किए लेकिन अपने स्थानीय टीवी चैनल और डिजिटल पर हमने अपना जबर्दस्त प्रमोशन किया.’’

वरुण आगे बताते हैं, ‘‘चैनल के रिलॉन्च होते ही लॉकडाउन हो गया जिस दौरान दर्शकों की संख्या में इजाफा हुआ. जिससे हमें यह मदद मिली की आखिर दर्शक देखना क्या चाहते हैं. उनकी पसंद क्या है.’’

वहीं एनबीए और एनबीएफ द्वारा उठाये गए सवाल के जवाब में वरुण दास कहते हैं, ‘‘जिन लोगों को पर हमपर संदेह है, उन्हें अपना होमवर्क करना चाहिए. उन्हें हमारे कंटेंट के साथ-साथ व्यूअरशिप का अध्ययन करना चाहिए. टीवी 9 के दर्शकों की संख्या में जो इजाफा हुआ है वो एक स्ट्रेटेजी के तरह फोकस होकर की गई मेहनत का नतीजा है.’’

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस पूरे मामले को लेकर कुछ सवाल टीवी-9 के सीईओ ऑफिस को भेजा है. हमने उनसे पूछा की, रजत शर्मा ने एनबीए के प्रमुख के तौर पर यह पत्र भेजा हैं, लेकिन वो इंडिया टीवी के मालिक भी है जिसे आपने पछाड़ा है. ऐसे में इस पत्र के पीछेकहीं व्यावसायिक स्पर्धा तो नहीं है?

हमने दूसरा सवाल किया कि रजत शर्मा द्वारा एक थर्ड पार्टी से पूरे मामले की जांच की मांग के लिए क्या टीवी 9 तैयार है?

इन सवालों पर टीवी-9 के सीईओ वरुण दास के दफ्तर के एक सीनियर कर्मचारी ने कहा, “हमने प्रेस रिलीज के जरिए जो कहना था वह कह दिया है. अब हमें नहीं लगता कि कुछ कहना बाकी रह गया है.”

हमने रजत शर्मा से भी उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया. लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हमने उन्हें कुछ सवालों की फेहरिस्त भेजी है, लेकिन उनका जवाब भी तक नहीं मिला है.

क्या यह ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' का मामला है

क्या एनबीए प्रमुख रजत शर्मा द्वारा टीवी-9 को लिखा गया पत्र हितों का टकराव यानी ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' का मामला है. क्या ऐसा होने पर एनबीए का पक्ष कमजोर होगा. इस सवाल का जवाब हमने एडिटर्स गिल्ड के सदस्य और इंडिया टुडे पत्रिका के पूर्व संपादक दिलीप मंडल से पूछा. वो कहते हैं, ‘‘इस पत्र को लिखे जाने का जो समय है वो ज़रूर इस तरफ इशारा करता है कि यह पत्र निजी हित को ध्यान में रखकर लिखा गया है.’’

दिलीप मंडल भारत में रेटिंग की जो व्यवस्था है उसकी कमियों की तरफ इशारा करते हुए कहते है, ‘‘अब तक टीआरपी और रेटिंग की भारत में जो व्यवस्था है वो सही नहीं है, जिसके कारण यह हमेशा संदेह के घेरे में रहा है. इसपर सवाल उठते रहे हैं. बतौर एनबीए प्रमुख आपकी कोशिश किसी चैनल पर सवाल उठाने के बजाय इस पूरी व्यवस्था पर सवाल करना होना चाहिए था. अगर आप इंडिया टीवी के मालिक के तौर पर शिकायत कर रहे तो आपको इसका हक है, लेकिन एनबीए के प्रमुख के तौर पर आपको पूरे सिस्टम पर बात करनी चाहिए. आज आप उस जगह है जहां आप पूरे रेटिंग को व्यवस्थित करने और वैज्ञानिक बनाने की कोशिश करते, लेकिन आपने इसे निजी शिकायत का विषय बनाया.’’

न्यूज़लाउंड्री से बात करते हुए मीडिया समीक्षक और शिक्षक विनीत कुमार कहते हैं, ‘‘इस पूरे मामले में रजत शर्मा पूर्वाग्रह से ग्रसित दिखते हैं. अगर वो जांच की मांग कर रहे हैं तो जांच होनी चाहिए, लेकिन बार्क ने अब तक जो उनको नम्बर दो और तीन पर रखा है उसका आधार टीआरपी ही है ना? टीआरपी में गड़बड़ियां शुरू से होती रही हैं, इसको लेकर लोग सवाल उठाते रहे हैं. अगर रजत शर्मा टीआरपी सिस्टम को लेकर इतने जिम्मेदार है तो यह आवाज़ अभी टीवी-9 भारतवर्ष को लेकर क्यों उठा रहे है? अगर रजत शर्मा यह सवाल इंडिया टीवी के मंच से उठाते तो यह अलग विषय है, लेकिन उन्होंने एनबीए का मंच अपने निजी व्यवसायिक हित के लिए इस्तेमाल किया है जो कि ठीक नहीं लगता.’’

इस मामले में बार्क का पक्ष जानना महत्वपूर्ण है. बार्क इंडिया के प्रवक्ता ने न्यूज़लाउंड्री को एक लिखित बयान दिया. उन्होंने कहा, “बार्क इंडिया एक ग़ैर लाभकारी संस्था है. जो चिंताएं उठाई गई है उसको लेकर बार्क के सभी सदस्यों के बीच यथोचित विचार-विमर्श किया गया है.’’

उन्होंने आगे बताया, “भारतीय टेलीविजन पर जो देखा-सुना जा रहा है उसको बार्क बेहद जिम्मेदारी से रिपोर्ट करता है. हर हफ्ते जो रेटिंग डाटा हम जारी करते हैं वह आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण और उनकी सुरक्षा वैधता सुनिश्चित करने के बाद जारी करते हैं.’’

बार्क का यह जवाब किसी भी पक्ष की बात न करते हुए एक बीच का रास्ता लेता नज़र आता है, लेकिन इतना तय है कि वह अपने दिए गए रेटिंग डाटा पर कायम है.

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