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ANI की पत्रकारिता यानि फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा न करें

अगर आप ईश्वरीय सत्ता में यकीन रखते हैं तो यह बात आप जरूर मानते होंगे कि हर झूठ और पाप का एक दिन मुकर्रर है. दीपक चौरसिया के लिए वह दिन था पांच अप्रैल. हर दिन टीवी पर्दे पर दीपक द्वारा फैलाए जाने वाले आधे सच-अधूरी खबरों से उस दिन स्वयं दीपक का धैर्य भी टूट गया.

टीवी चैनलों की दुनिया में फैला यह अंधेरा ही आज का सच है. बीते कुछ समय में दीपक चौरसिया या उनके जैसे तमाम एंकर इसी तरह के विरोधाभासी बिंब रचते आ रहे हैं.

बात यहीं खत्म नहीं हुई. सोनल मानसिंह प्राख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना, राज्यसभा सांसद और पद्म विभूषण हैं. लेकिन उनकी ताज़ा पहचान एक पर्यावरणएक्टिविस्ट की है. इस हफ्ते टीवी की दुनिया में घटित ऐसी ही कुछ विचित्र घटनाओं पर टिप्पणी.

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