Newslaundry Hindi
एनएल टिप्पणी: ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौकापरस्ती और टीवी चैनलों पर कोरोना का प्रकोप
सियासत में मौकापरस्ती एक जरूरी गुण है. मौकपरस्ती यानी अवसर देख कर पाला बदल लेना. बीते हफ्ते एक बड़ा पालाबदल देखने को मिला. 18 साल तक कांग्रेसी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश और समाज की सेवा के नाम पर भाजपा का हाथ पकड़ लिया. सियासत में दिखाई जाने वाली इस तरह की तमाम कलाबाजियों को अवसरवाद कहते हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य के मामले में हमारे देश अलहदा न्यूज़ चैनलों को लगा कि ज्योतिरादित्य ने जो किया वही एक मात्र तरीका था देश में सिद्धांतवादी, और आदर्शवादी राजनीति को बचाने का. इसी तरह की कुछ उलटबासियों पर आधारित इस बार की टिप्पणी देखें.
Also Read
-
‘Inhuman work pressure’: Inside the SIR crisis pushing poll workers to the edge
-
130 kmph tracks, 55 kmph speed: Why are Indian trains still this slow despite Mission Raftaar?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms
-
Is Modi saving print media? Congrats, you’re paying for it
-
India’s trains are running on luck? RTI points to rampant drunk train driving