Newslaundry Hindi
एनएल टिप्पणी: ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौकापरस्ती और टीवी चैनलों पर कोरोना का प्रकोप
सियासत में मौकापरस्ती एक जरूरी गुण है. मौकपरस्ती यानी अवसर देख कर पाला बदल लेना. बीते हफ्ते एक बड़ा पालाबदल देखने को मिला. 18 साल तक कांग्रेसी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश और समाज की सेवा के नाम पर भाजपा का हाथ पकड़ लिया. सियासत में दिखाई जाने वाली इस तरह की तमाम कलाबाजियों को अवसरवाद कहते हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य के मामले में हमारे देश अलहदा न्यूज़ चैनलों को लगा कि ज्योतिरादित्य ने जो किया वही एक मात्र तरीका था देश में सिद्धांतवादी, और आदर्शवादी राजनीति को बचाने का. इसी तरह की कुछ उलटबासियों पर आधारित इस बार की टिप्पणी देखें.
Also Read
-
Corruption, social media ban, and 19 deaths: How student movement turned into Nepal’s turning point
-
India’s health systems need to prepare better for rising climate risks
-
Muslim women in Parliament: Ranee Narah’s journey from sportswoman to politician
-
नेपाल: युवाओं के उग्र प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री का इस्तीफा
-
No bath, no food, no sex: NDTV & Co. push lunacy around blood moon