Newslaundry Hindi
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के महिला छात्रावास या कारावास
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की लगभग 250 छात्राओं ने हॉस्टल के कर्फ्यू समय में बदलाव और नए दिशा निर्देशों के विरोध में कुलपति तलत अहमद को एक खुला पत्र लिखा है. 3 जुलाई को कुलपति को सौंपे गये इस पत्र में छात्राओं ने 72 घंटे में कॉलेज प्रशासन से प्रतिक्रिया मांगी है.
सेमेस्टर की शुरुआत से पहले 27 जून को छात्राओं के लिए जारी किए गये दिशा निर्देश में कर्फ्यू के समय को 10:30 रात से कम करके 9 बजे रात तक कर दिया गया है. मार्च में जामिया की छात्राओं ने “सुरक्षा” के नाम पर अनुचित कर्फ्यू समय के खिलाफ अभियान चलाया था. इस अभियान के बाद कर्फ्यू के समय को शाम के 8 बजे से 10:30 बजे तक कर दिया गया था. अब इसमें एक बार फिर से बदलाव की कोशिश की जा रही है.
न सिर्फ महिला छात्रावास के कर्फ्यू के समय में परिवर्तन बल्कि नए नियमों के अनुसार, छात्राएं हॉस्टल के समय या किसी भी नियम के विरोध में प्रदर्शन या हस्ताक्षर अभियान में भी शामिल नहीं हो सकती. नियमानुसार यदि कोई छात्रा इन शर्तों का पालन नहीं करती है तो उसकी हॉस्टल की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जा सकता है.
जामिया की मास मीडिया की तृतीय वर्ष की एक छात्रा ने न्यूज़लांड्री को नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया में महिलाओं के लिए छात्रावास नहीं कारावास है’. उन्होंने यह भी बताया की, ‘यह छात्राओं को डराने का प्रयास है, क्या अब छात्राएं अपने हक़ की आवाज़ भी नहीं उठा सकती.’
हॉस्टल की गाइडलाईन्स के अनुसार अंतर-छात्रावास द्वार 11.30 बजे बंद हो जाएंगे, यानी की इसके बाद छात्राएं हॉस्टल कैम्पस के अंदर केवल अपने ही हॉस्टल में रह सकती हैं. ‘नियमों के अनुसार अब हम 11 बजे के बाद वॉशिंग मशीन का भी प्रयोग नहीं कर सकते. इससे पहले ऐसे कोई प्रतिबंध नहीं थे.’ अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया.
मनोविज्ञान की तृतीय वर्ष की छात्रा साइमा हसन कहती हैं, “हॉस्टल प्रशासन का यह कदम पूरी तरह से छात्राओं का भरोसा तोड़ना है क्योंकि कर्फ्यू टाइम को फिर से कम कर दिया गया है.” विरोध प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा, “हम फिर से विरोध करेंगे और इस बार विरोध अधिक बड़ा होगा, प्रशासन के अनुचित नियमों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
पिंजरा तोड़, एक संगठन जिसका हॉस्टल के नियमों को लेकर विरोध करने में अहम योगदान रहा है, के अनुसार प्रशासन का यह निर्णय “हमारे विरोध दर्ज कराने और प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.” पिंजरा तोड़ ने इसे “महिलाओं की स्वतंत्रता और पिछले सत्र में 19 मार्च को लड़कियों द्वारा किए गये विरोध प्रदर्शन पर कड़ा प्रहार” बताया है.
इस संगठन ने ये भी कहा है कि लड़कों के हॉस्टल के लिए ऐसे कोई भी नियम नहीं हैं. ये निर्देश महिलाओं की आवाज़ को दबाने और कॉलेज परिसर में महिलाओं को हाशिये पर रखने का प्रशासन का तरीक़ा है.
नए नियमों को लागू करने की वजहों को जानने के लिए, न्यूज़लॉन्ड्री ने जामिया के महिला छात्रावास की वॉर्डेन से बात की. छात्रावास की वॉर्डेन फरहीन जेहरा ने बताया कि, ‘ये दिशानिर्देश उच्च पदाधिकारियों द्वारा लागू किए गये हैं, और इस निर्णय का कई अभिभावकों और विद्यार्थियों ने स्वागत भी किया है.’
जामिया में समान अधिकारों की मांग करते हुए, छात्राओं ने हॉस्टल प्रशासन के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया है और अगर 15 जुलाई को विश्वविद्यालय खुलने पर कुलपति तलत अहमद इन नियमों पर पुनर्विचार नहीं करते हैं और कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलता है तो वे दोबारा विरोध प्रदर्शन करेंगी.
न्यूज़लॉन्ड्री ने जामिया के कुलपति कार्यालय से भी इस संबंध में आधिकारिक नजरिया जानने की कोशिश की है लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं मिला है. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जायेगा.
Also Read
-
Who picks India’s judges? Inside a hidden battle between the courts and Modi’s government
-
Years after ‘Corona Jihad’ vilification: Delhi HC quashes 16 Tablighi Jamaat FIRs
-
History must be taught through many lenses
-
PIL in Madras HC seeks to curb ‘speculation blaming pilots’ in Air India crash
-
उत्तर प्रदेश: 236 मुठभेड़ और एक भी दोषी नहीं, ‘एनकाउंटर राज’ में एनएचआरसी बना मूकदर्शक