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बीएचयू छात्र: प्रॉक्टर पित्ज़ा और पेप्सी लाने वाली गाड़ी का साक्ष्य प्रस्तुत करें या माफ़ी मांगें

पिछले साल सितम्बर में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने महिला सुरक्षा की मांगों को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया था. आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की वारदात पर 25 अप्रैल को जस्टिस वीके दीक्षित की रिपोर्ट आई है. इस कमेटी का गठन बीएचयू के पूर्व कुलपति जीसी त्रिपाठी ने किया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि बीएचयू का आंदोलन सुनियोजित था. “छात्रों के आंदोलन की आड़ में बाहरी लोगों ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया”, रिपोर्ट में बताया गया है.

वीके दीक्षित की रिपोर्ट आने के बाद ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर ‘आंदोलन का सच’ बताने बीएचयू परिसर आए. ज़ी न्यूज़ से बातचीत में बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर प्रो. रोयना सिंह ने छात्रों के प्रदर्शन के संदर्भ में कहा कि, “हमने वीडियो में देखा कि एक बड़ी सी गाड़ी आई उसमें से पानी, पित्ज़ा, पेप्सी की बोतलें आईं. आम तौर पर ऐसा होता नहीं है. हमारे बच्चे कई घंटे भूखे रहते हैं. लेकिन इन बच्चों को बाकायदा स्पॉन्सर किया जा रहा था कि तुम खाओ पियो, हम तुम्हारे साथ हैं.”

चीफ प्रॉक्टर के इस बयान के बाद छात्र भड़क गए. 2 मई छात्रों का एक समूह ज्ञापन लेकर चीफ प्रॉक्टर प्रो. रोयना सिंह से जबाव मांगने पहुंचा. छात्रों की मांग थी कि प्रो. रोयना सिंह उन्हें वीडियो दिखाएं या अपने गैर जिम्मेदाराना बयान के लिए माफी मांगें. छात्रों को लंबा इंतज़ार करवाने के बाद चीफ प्रॉक्टर ने व्यस्तता बताकर मिलने से इनकार कर दिया. नाराज़ छात्र-छात्राओं ने नारेबाज़ी शुरू कर दी. छात्रों के हंगामे में प्रॉक्टर ऑफिस में लगा कांच का दरवाजा टूट गया, जिसके बाद कैंपस में पुलिस बुला ली गई. 3 मई को प्रो. रोयना सिंह ने लंका थाना में तहरीर देकर 12 छात्र-छात्राओं पर नामजद एफआईआर दर्ज करा दिया है. छात्रों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 353, 332, 427, 504, 307 और 395 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

एफआईआर से गुस्साये छात्रों ने प्रॉक्टर प्रो. रोयना सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. “हमलोगों के पास वीडियो फुटेज है. वहाँ नाममात्र की भी हिंसा नहीं हुई थी. हमलोग चीफ प्रॉक्टर द्वारा बोले गए झूठ का जवाब मांगने गए थे. जब प्रो. रोयना सिंह हमलोगों से मिली ही नहीं तो उनके साथ हिंसा कैसे हो गयी? ये एफआईआर. उतनी ही झूठी है जितना उनका बयान. हमलोग कैंपस के सवालों पर लगातार मुखर रहे हैं इसलिए हमलोग को जानबुझकर टारगेट किया जा रहा है,” शिवांगी ने कहा. चीफ प्रॉक्टर से जबाव मांगने गए छात्रों के समूह में शिवांगी भी शामिल थीं.

बीएचयू की एक अन्य छात्रा गरिमा ने कहा, “मैं प्रॉक्टर ऑफिस गयी तक नहीं थी लेकिन मुझे फंसाया जा रहा है क्योंकि मैं इसके पहले अपने छात्रावास की समस्याओं (भेदभाव, हॉस्टल के सामने हस्तमैथुन) को लेकर आवाज़ उठाती रही हूँ. उस वक्त मैं अपने हॉस्टल में थी जो एंट्री रजिस्टर में दर्ज भी है.”

ज्ञात हो कि कई छात्रों का यह आरोप है कि वे वहां मौजूद नहीं थे बावजूद उनका नाम एफआईआर में डाल दिया गया है. एक ऐसे ही छात्र विकास सिंह ने बताया कि बार-बार उनका नाम नाम एफआईआर में डाल दिया जाता है. “छात्रों पर निराधार मुकदमे थोपने से उनका करियर प्रभावित होता है. साथ ही यह हमारे मानवाधिकारों का भी हनन है,” विकास ने कहा.

छात्र मीडिया की खास तरह की रिपोर्टिंग की शिकायत करते हैं.  वे बताते हैं कि उनकी मांगों को दरकिनार कर मीडिया गैर-जरूरी प्रश्नों को जन्म देता है ताकि लोगों को मुख्य मुद्दे से भटकाया जा सके. “मीडिया यह नहीं पूछ रहा है कि छात्राओं के इतने बड़े आंदोलन के बाद बीएचयू के भीतर महिला सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. इसके बजाय मीडिया पित्ज़ा और पेप्सी की रिपोर्टिंग कर रहा है”, नाम न उजागर करने की शर्त पर एक छात्रा ने कहा.

त्रिवेणी हॉस्टल की मनीषा रॉय बताती हैं, “सितम्बर में हुई घटना मेरे ही हॉस्टल की लड़की के साथ हुई थी. छात्राओं की शिकायत के बाद वार्डेन हमें ही नैतिकता का पाठ पढ़ाने लगी थी. वार्डेन के सामने मीडिया बाईट ले जाती है, लड़कियां डर से अपनी बात नहीं रख पाती. कुछ चिन्हित लोगों से ही बातचीत की जाती है उसमें भी उनकी पूरी बात को नहीं दिखाया जाता है.”

बताते चलें कि सितंबर में बीएचयू के हंगामे के बाद प्रो. रोयना सिंह को चीफ प्रॉक्टर बनाया गया था. वे बीएचयू की प्रथम महिला प्रॉक्टर हैं.

इस बीच बीएचयू के छात्रों का प्रशासन की झूठी बयानबाजी और ज़ी की एजेंडा पत्रकारिता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. छात्र प्रॉक्टर प्रो. रोयना सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.