Report
क्या आपने हमारे सांसद को देखा है? भोपाल में जैसे-जैसे कोविड के मामले बढ़ रहे हैं, प्रज्ञा सिंह ठाकुर लापता हैं
रविवार को भोपाल में कोविड-19 के 1678 नए मामले सामने आए जिससे शहर के कुल संक्रमित मामले 11770 हो गए. भोपाल जिले के अंतिम संस्कार ग्रहों में अप्रैल महीने के अंदर 2500 से ज्यादा मौतें दर्ज हुईं जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह केवल 104 थीं.
जब शहर के लोग ऑक्सीजन, दवाइयों और अस्पताल में बिस्तरों के लिए भीख तक मांग रहे हैं, तब शहर से एक व्यक्ति साफ तौर पर लापता है, वह हैं भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर.
नाराज नागरिक और विपक्ष के नेता एक हफ्ते से ज्यादा समय से सोशल मीडिया पर एक अभियान चला रहे हैं जिसमें उनके लापता "सांसद" को ढूंढने वाले को इनाम दिया जाएगा. लापता होने के पोस्टर बांटे जा रहे हैं जिन पर लिखा है कि जो भी उन्हें ढूंढेगा उसे बिस्तर, ऑक्सीजन और दवाइयां मिलेंगी.
प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2019 में 3:30 लाख वोटों के बड़े अंतर से सांसद चुनी गई थीं.
भोपाल की एक सामाजिक कार्यकर्ता कांक्षी अग्रवाल जो लोगों की अस्पतालों में बिस्तर ढूंढने और बाकी कोविड संबंधित सामग्री ढूंढने में मदद कर रही हैं, न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि उन्होंने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को फोन करने की कोशिश की थी.
वे कहती हैं, "मुझे उनका फोन नंबर लोकसभा की वेबसाइट से मिला और मैंने कॉल किया. पहली बार ऐसा करने पर कोई जवाब नहीं मिला लेकिन अगले दिन मुझे उस नंबर से फोन आया."
कांक्षी यह दावा करती हैं कि फोन पर प्रज्ञा ही थीं, "उन्होंने अपना परिचय अपने को खुद का पर्सनल सेक्रेटरी बता कर दिया और पूछने लगीं कि मैंने फोन क्यों किया था. मैंने उन्हें भोपाल में मचे कोहराम के बारे में बताया. उसके बाद वह जैसे मेरा साक्षात्कार सा लेने लगीं कि मैं कौन हूं, मैं क्या करती हूं, मैं कहां रहती हूं. तब तक मैं समझ चुकी थी कि वह खुद ही फोन पर हैं."
पर कांक्षी को कैसे पता था कि फोन पर प्रज्ञा ही थीं?
उन्होंने केवल प्रज्ञा सिंह ठाकुर की आवाज ही नहीं पहचानी, वह दावा करती हैं कि बात करते समय उस 'सेक्रेटरी' ने कहा, "मैंने पिछले साल एक नंबर (हेल्पलाइन) बांटा था", जो कि पिछले साल प्रज्ञा सिंह ठाकुर ही ने बांटा था.
न्यूजलॉन्ड्री के पास प्रज्ञा ठाकुर से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है. भोपाल में भाजपा के 5 सदस्यों ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि वह आवाज प्रज्ञा ठाकुर की ही है.
फोन पर बात करने वाले व्यक्ति ने कांक्षी को एक नंबर भी यह कह कर दिया, कि प्रज्ञा ठाकुर का स्टाफ "उत्तर देकर मदद मुहैया कराएगा." लेकिन जब उनसे पूछा गया कि किस क्षेत्र में मदद मिलेगी, तो जवाब था कि "नंबर पर फोन करके पता करें."
कांक्षी न्यूजलॉन्ड्री से कहती हैं, "मैं उनके जवाब से स्तब्ध रह गई. लोगों की मदद करना उनका काम है… वह यहां से बिल्कुल लापता हैं. मैंने उनके दिए नंबर पर कोशिश की लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला."
क्योंकि हम इस दावे की पुष्टि नहीं कर सकते थे, इसीलिए हमने प्रज्ञा सिंह ठाकुर से फोन, संदेश और ईमेल के द्वारा संपर्क किया, और पूछा कि क्या उन्होंने फोन पर एक सेक्रेटरी बन कर बात की थी.
उन्होंने व्हाट्सएप पर जवाब दिया. हालांकि उन्होंने सेक्रेटरी बन कर बात करने के सवाल का सीधे-सीधे जवाब नहीं दिया, पर उन्होंने कहा, "लोग कुछ भी कहते हैं.… मैं क्यों लापता होउंगी? इसका कोई कारण नहीं है. कोविड से बिल्कुल पहले मेरी तबीयत सही में काफी खराब हो गई, मुझे भोपाल से मुंबई इलाज के लिए लाया गया और अभी भी इलाज चल रहा है. मैं लोगों की मदद कर रही हूं… उन्हें बिस्तर, ऑक्सीजन दिलाने के लिए काम कर रही हूं."
उन्होंने यह भी कहा कि, "लोग जो चाहे वह कह सकते हैं लेकिन मैं शांतिपूर्वक काम करती रहूंगी क्योंकि मैं संन्यासी हूं. मैं अपना काम बिना किसी प्रचार के करती हूं. जो लोग बकवास करते हैं मुझे उनसे प्रमाण पत्र नहीं चाहिए और उन्हें जवाब भी नहीं देना चाहती. जिन लोगों की मैंने मदद की है वह जानते हैं मैं क्या कर रही हूं."
न्यूजलॉन्ड्री ने लोकसभा की वेबसाइट पर जो प्रज्ञा ठाकुर का नंबर था उस पर भी संपर्क किया. अपने आप को स्वदीप भदौरिया कहने वाले व्यक्ति ने फोन उठाया और बताया कि प्रज्ञा ठाकुर व्यस्त हैं.
जब अपने संसदीय क्षेत्र में लोगों की मदद करने में नाकाम रहने के बारे में हमने पूछा, तो उत्तर में भदौरिया ने कहा, "मैं आपका सवाल पहुंचा दूंगा लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि उन्होंने पिछले साल से ही अपने ऑफिस का नंबर सब जगह दे रखा था. वह हेल्पलाइन नंबर अभी भी चालू है. उनकी टीम काम कर रही है और हम प्रशासन के संपर्क में हैं. वह खुद यहां पर नहीं हैं लेकिन मुझे नहीं लगता उसकी आवश्यकता है. आप उनके कार्यालय के ट्वीट देख सकते हैं."
उन्होंने यह भी कहा, "मैं भी दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की अनुपस्थिति पर सवाल उठा सकता हूं. आपको उनके ट्विटर और फेसबुक देखने चाहिए, वे काम कर रही हैं. लोग उनके खिलाफ अफ़वाहें फैलाते हैं."
सुदीप से इस बातचीत के एक दिन बाद भोपाल में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के सरकारी आवास के सभी लोग कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए.
नागरिक अपनी मदद खुद करने के लिए मजबूर
भोपाल के नाराज नागरिकों ने अब अपने जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी ठहराने के लिए अभियान शुरू कर दिए हैं.
28 वर्षीय मोहसिन खान ने नेताओं के पोस्टरों और उनसे संपर्क करने की जानकारी के साथ "घंटी बजाओ, भोपाल बचाओ" अभियान शुरू किया है, जिसमें वह नागरिकों से उन्हें फोन कर "उनको नींद से जगाने" को कह रहे हैं. इन नेताओं में प्रज्ञा सिंह ठाकुर और भोपाल से कई विधायक जैसे विश्वास सारंग, आरिफ मसूद, रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौड़ और आरिफ अकील शामिल हैं.
मोहसिन कहते हैं, "हमने यह अभियान इसलिए शुरू किया क्योंकि लोगों को मूलभूत चीजों की भी बहुत ज़्यादा ज़रूरत थी और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं था. उन्हें ऑक्सीजन अस्पतालों में बिस्तर दवाइयां इत्यादि नहीं मिल पा रहे. अस्पताल में भर्ती होने से लेकर श्मशान में अंतिम संस्कार या कब्रिस्तान तक संघर्ष करना पड़ रहा है. लोग असहाय हैं और उनकी सहायता करने वाला कोई नहीं है."
मसूद बताते हैं कि कुछ विधायक आगे आए हैं, जैसे कि भाजपा के रामेश्वर शर्मा और विश्वास सारंग तथा कांग्रेस के आरिफ मसूद. लेकिन उनका कहना है, "प्रज्ञा ठाकुर कहीं दिखाई नहीं पड़तीं. वह सोशल मीडिया तक पर नैतिक तौर पर भी सहायता नहीं कर रहीं. वह केवल केंद्र और राज्य सरकारों के संदेश साझा कर रही हैं और उसके साथ त्योहारों की शुभकामनाएं दे रही हैं."
मसूद खान ने यह भी कहा कि पिछले साल कोविड-19 की पहली लहर में भी प्रज्ञा सिंह ठाकुर गायब रही थीं. तब भी उनके लापता होने के पोस्टर बंट गए थे और उनके दल ने कहा था कि उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में "कैंसर और आंखों के इलाज" के लिए भर्ती कराया गया है.
भोपाल की एक डॉक्टर 24 वर्षीय अनुप्रिया सोनी ने कहा कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपने "दायित्वों को तिलांजलि" दे दी है.
अनुप्रिया कहती हैं, "लोग त्रस्त हैं और मर रहे हैं. पूरी तरह कोहराम मचा हुआ है लेकिन वह सक्रिय नहीं हैं. वह केंद्र में हमारी प्रतिनिधि हैं और वहां से शहर के लिए स्वास्थ्य संसाधन लाना उनसे अपेक्षित है. वह अपनी सांसद निधि का उपयोग ऑक्सीजन और बाकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए कर सकती हैं."
अनुप्रिया ने यह भी कहा कि कोई नहीं जानता प्रज्ञा सिंह ठाकुर कहां हैं. वे पूछती हैं, "क्या वह केवल 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए हैं? लोग बहुत नाराज हैं और पूछ रहे हैं कि वह कहां हैं. वह लोग जिनके कुछ संबंध हैं, काम करा पा रहे हैं लेकिन आम आदमी का क्या जिसके बड़ी जगहों में दोस्त नहीं हैं? सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवी मदद कर रहे हैं लेकिन उनके संसाधन सीमित हैं. वह एक सांसद हैं जिसके पास काफी संसाधन मौजूद हैं, वे उनका प्रयोग लोगों की मदद करने में क्यों नहीं करतीं?"
22 वर्षीय श्रेया वर्मा ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि उन्हें अपने पिता के इलाज के लिए रेमडेसिवीर का इंतजाम करने में 100 फोन कॉल और 4 दिन लगे. श्रेया कहती हैं, "ऐसी संकट की घड़ी में प्रज्ञा ठाकुर कहीं तस्वीर में हैं ही नहीं. सरकार तक की प्रतिक्रिया बहुत धीमी है, इतनी धीमी कि जांच के नतीजे आने के बाद कोविड के मरीजों की मदद के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से एक हफ्ते बाद फोन आता है."
श्रेया के पिता के बाद उनकी मां भी कोविड-19 पॉजिटिव पाई गई थीं. उनकी मां के मामले में, राज्य की हेल्पलाइन से मदद मांगने पर जवाब 9 दिन बाद आया.
भोपाल के बहुत से नागरिकों के पास इस प्रकार की कहानियां हैं. 27 वर्षीय राजू कामले बताते हैं कि एक स्थानीय अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध ना होने की वजह से उनका 14 वर्षीय भतीजा गुज़र गया. उन्होंने कहा, "लोग मर रहे हैं और यह लोग उन्हें सुनने तक के लिए यहां नहीं हैं. मैं इससे ज्यादा क्या कह सकता हूं?"
भोपाल की एक सामाजिक कार्यकर्ता सीमा करूप ने बताया कि वह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर कहां हैं. वे कहती हैं, "उन्हें वोट देकर जनता का प्रतिनिधि इसलिए बनाया गया था जिससे कि हम उनसे संपर्क कर सकें. लेकिन लोगों ने उन्हें कभी संकट के समय नहीं देखा. वे सांप्रदायिक मामलों या दक्षिणपंथी दलों से जुड़े प्रदर्शनों के लिए बाहर आती हैं."
भाजपा की राज्य इकाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ने कहां की प्रज्ञा ठाकुर को "टिकट तुक्के से मिल गया था" और वह चुनाव मोदी लहर की वजह से जीत गईं. सूत्र ने बताया कि, "लेकिन उन्होंने अपने को एक राजनेता की तरह सांसद बनने के बाद भी विकसित नहीं किया. वह सांसद होने लायक नहीं हैं."
Also Read
-
Another Election Show: What’s the pulse of Bengal’s youth? On Modi, corruption, development
-
‘Godi in Delhi, Didi media in WB’: Bengal journo Suman Chattopadhyay on Mamata, Modi, media
-
‘Defaming me’: Shiv Sena UBT’s Amol Kirtikar on ED notice, Hindutva, Sena vs Sena
-
Modi’s ‘Hindu-Muslim’ assertion amplified unchecked. Thanks to a media in coma
-
उत्तराखंड के कई जंगलों में नहीं है कोई फायर लाइन?