Video
क्या डिप्टी सीएम घोषित होने से महागठबंधन की मुसीबतें ख़त्म हो गई हैं? ‘सन ऑफ मल्लाह’ मुकेश सहनी से बातचीत
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और महागठबंधन से उप-मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मुकेश सहनी बिहार विधानसभा चुनाव के चर्चित चेहरों में से एक है. सहनी का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ावों से भरा रहा है.
सहनी एक वक्त में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी थे लेकिन इस बार वो महागठबंधन के साथ हैं. सहनी का एनडीए से मोहभंग क्यों हुआ और उन्हें उप-मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के पीछे क्या कोई महागठबंधन की मजबूरी है? वहीं, सामाजिक रूप से जिस समाज की भागेदारी को ढाई प्रतिशत के रूप में आंका जाता है, उस समाज से आने वाले सहनी क्या खुद को जरूरत से ज्यादा आंक रहे हैं या फिर सहनी का 11 फीसदी का दावा सही है?
सहनी का दावा है कि बिहार के मल्लाह, निषाद और बिंद समाज की आबादी करीब 11% है, लेकिन अब तक उन्हें सत्ता में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. उनका आरोप है कि नीतीश कुमार ने उनके विधायकों को तोड़कर उनकी पार्टी को कमजोर किया, जबकि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने में उनकी पार्टी की अहम भूमिका रही थी.
सहनी कहते हैं, “हम एहसान नहीं, अपना हक़ मांग रहे हैं.” वहीं, सहनी नीतीश कुमार को “मानसिक रूप से थके हुए नेता” बताते हुए अब तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नया विकल्प पेश करने की बात कर रहे हैं.
इस बीच, सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में चल रही खींचतान और वीआईपी की सीमित ताक़त पर सवाल भी उठ रहे हैं. लेकिन एक बात साफ़ है कि बिहार की राजनीति में सहनी एक अहम ताक़त बन कर उभरे हैं.
देखिए सहनी के साथ ये खास बातचीत.
बिहार चुनाव से जुड़े हमारे इस सेना प्रोजेक्ट में योगदान देकर बिहार के लिए नई इबारत लिखने वाले इन चुनावों की कहानियां आप तक लाने में हमारी मदद करें.
Also Read
-
Month after govt’s Chhath ‘clean-up’ claims, Yamuna is toxic white again
-
The Constitution we celebrate isn’t the one we live under
-
Why does FASTag have to be so complicated?
-
Malankara Society’s rise and its deepening financial ties with Boby Chemmanur’s firms
-
‘Not a Maoist, just a tribal student’: Who is the protester in the viral India Gate photo?