Khabar Baazi
लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन, लेह में भाजपा कार्यालय आग के हवाले
लद्दाख के शहर लेह में मंगलवार को हालात उस समय तनावपूर्ण हो गए जब प्रदर्शन हिंसक रूप ले बैठे. भीड़ ने पथराव किया, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा. इस दौरान स्थानीय भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया.
ये विरोध लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की ओर से बुलाए गए बंद के दौरान भड़के. यह संगठन राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक समूहों का गठजोड़ है, जो केंद्र से राज्य का दर्जा और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिए छठी अनुसूची (सिक्स्थ शेड्यूल) के तहत सुरक्षा की मांग कर रहा है.
दरअसल, केंद्र सरकार के साथ “परिणामकारी” बातचीत में देरी पर नाराजगी जताने के लिए यह आंदोलन शुरू हुआ था. एलएबी की युवा इकाई ने इस महीने की शुरुआत में 35 दिन का भूख हड़ताल अभियान शुरू किया था. इस दौरान दो लोगों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जिसके बाद मंगलवार को बंद बुलाने की अपील की गई. इस बीच पर्यावरण एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी. उन्होंने अपील की कि इस आंदोलन को अराजकता में न बदलने दिया जाए.
फिलहाल, स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत पांच से अधिक लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर रोक है.
हिंसा की वजह और टकराव
द हिंदू से बातचीत में स्थानीय लोगों ने बताया कि जब पुलिस ने भाजपा कार्यालय के बाहर जमा लोगों को इकट्ठा होने से रोकने की कोशिश की तो झड़प शुरू हुई.
दरअसल, भाजपा कार्यालय के बाहर पथराव की सूचना आईं तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. इस दौरान भाजपा समर्थकों और भीड़ के बीच टकराव बढ़ा तो कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया. हालांकि, पुलिस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि भाजपा कार्यालय के बाहर हिंसा की शुरुआत किस कारण हुई. इन झड़पों में कई लोगों के घायल होने की खबर है, लेकिन अभी तक आधिकारिक आंकड़े सामने नहीं आए हैं.
वार्ता और चुप्पी
उल्लेखनीय है कि साल 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म करने और जम्मू-कश्मीर से अलग लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही यहां छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकारों की मांग उठ रही है. मांग इसलिए भी क्योंकि लद्दाख की 90% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति से आती है. अब केंद्र सरकार 6 अक्तूबर को एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) से नई वार्ता करने जा रही है.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
वहीं, हिंसा के बाद भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्षद फुंतसोग स्तांजिन त्सेपग पर भीड़ को भड़काने और भाजपा दफ्तर पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें साझा कर लिखा, “क्या यही वह अशांति है जिसका राहुल गांधी सपना देख रहे हैं?”
वहीं, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से अपील की कि 2019 के बाद से जमीनी हकीकत का “ईमानदारी और गहराई से मूल्यांकन” किया जाए. उन्होंने कहा कि यह विरोध कश्मीर घाटी से नहीं बल्कि लद्दाख के शांतिप्रिय और संयमित क्षेत्र से उठा है. मुफ्ती ने कहा कि सरकार को इस बढ़ते असंतोष को पारदर्शी तरीके से हल करना चाहिए.
उधर, कई लोगों ने इस मुद्दे पर मुख्यधारा मीडिया की चुप्पी पर भी सवाल उठाए.
इस बीच, रविवार से शुरू हुआ चार दिवसीय लद्दाख उत्सव हिंसा के चलते समय से पहले ही समाप्त कर दिया गया.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
‘They find our faces disturbing’: Acid attack survivor’s 16-year quest for justice and a home
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy