Report
गुरुग्राम: प्रशासन की सख़्ती के बीच दर्जनों घरों पर ताले, सैकड़ों लोगों ने छोड़ी एक और बस्ती
गुरुग्राम में अवैध प्रवासियों पर पुलिस की कार्रवाई के कारण बांग्ला भाषी मुस्लिम प्रवासी मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन जारी है, इनमें से कई दशकों से इस शहर में घरेलू नौकर, ड्राइवर, सफाई कर्मचारी और दिहाड़ी मजदूर के रूप में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं.
यह सिर्फ बंगाली मार्केट की बात नहीं है, जहां से लगभग 400 लोग पश्चिम बंगाल स्थित अपने गांवों को लौट गए. साउथ सिटी-2 के क्यू ब्लॉक में न्यूज़लॉन्ड्री को लगभग 200 किराए के घर मिले, जिनमें कोई नहीं रहता. कई या तो बंद थे या खाली थे, अलमारियां बांध कर बाहर रखी हुई थीं, और दरवाजों पर गद्दे रखे हुए थे. स्थानीय लोगों का अंदाज़ा है कि पिछले हफ़्ते 1,000 से ज़्यादा निवासी वहां से जा चुके हैं.
बंगाली मार्केट के विपरीत, क्यू ब्लॉक में मध्यम आय और निम्न आय वाले परिवारों की मिश्रित आबादी है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि लगभग एक हफ़्ते तक कई निवासियों को हिरासत में रखा गया या उन्हें परेशान किया गया. कम से कम दो लोगों ने गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि सत्यापन के नाम पर उन्हें परेशान न किया जाए.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जिले में कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने कमिश्नर कार्यालय को एक प्रश्नावली भेजी है. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
क्यू ब्लॉक, सेक्टर 50 पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में आता है. टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर, एसएचओ सत्यवान ने कहा, “पुलिस ने घरों का दौरा किया, लेकिन किसी को हिरासत में नहीं लिया, न ही हमें स्थानीय लोगों से कोई शिकायत मिली है. हमने पिछले चार-पांच दिनों में स्थानीय लोगों को फोन करके सूचित किया है कि सत्यापन प्रक्रिया की जाएगी… हम उनके घरों का दौरा कर चुके हैं, उनके पहचान पत्रों की जांच कर चुके हैं और उन्हें तुरंत लौटाया जा चुका है."
यह ऐसे वक्त हो रहा है, जब विभिन्न राज्यों में बिना कानूनी दस्तावेजों के भारत में रह रहे कथित बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ इसी तरह का अभियान चल रहा है, जिससे मानवाधिकारों व उचित प्रक्रिया का पालन न किए जाने की चिंताएं उभरी हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले भारतीय जनता पार्टी पर भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषियों को परेशान करने का आरोप लगाया था.
'तीन दिनों से कुछ नहीं खाया'
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने वाले क्यू ब्लॉक के ज़्यादातर स्थानीय लोगों ने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से आते हैं.
51 वर्षीय ई-रिक्शा चालक कबीर लगभग दो दशकों से इस इलाके में रह रहे हैं और मुर्शिदाबाद के मिर्जापुर के रहने वाले हैं. उन्होंने दावा किया कि आठ दिन पहले शाम करीब 4 बजे घर जाते समय उन्हें उठा लिया गया था और उसी दिन दो घंटे के भीतर रिहा कर दिया गया. "मेरे आधार कार्ड से लेकर पासपोर्ट तक, यहां तक कि मेरा जन्म प्रमाण पत्र भी दिल्ली का है."
उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनके बेटे को भी उठा लिया था. उन्होंने पुलिस कमिश्नर से शिकायत दर्ज कराई है कि पुलिस उनके परिवार को परेशान न करे. उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके बेटे के पहचान पत्र अभी भी पुलिस के पास हैं.
कबीर की 19 वर्षीय बेटी नबीला, जो ई ब्लॉक में घरेलू कामगार के रूप में काम करती हैं, रोज़ 10 घंटे काम करके 22,000 रुपये महीना कमाती हैं. जब वह सिर्फ चार महीने की थी तब उसका परिवार दिल्ली से गुरुग्राम आ गया था, और वे पिछले 19 सालों से वहीं रह रहे हैं. लेकिन जब से उसके पिता को उठाया गया है, वह काम पर नहीं गई हैं.
नबीला ने दावा किया कि उसके परिवार ने उसके भाई का पता लगाने के लिए तीन दिनों तक बार-बार पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाया. “मेरी भाभी आठ महीने की गर्भवती हैं और उनकी दो साल की बेटी है. इसके बावजूद, उन्हें भी अपने पति की रिहाई के इंतजार में तीन दिन थाने में बिताने पड़े.”
इस बीच किराना दुकान के मालिक राहुल अमीन हक, जो 12 साल से मुर्शिदाबाद से आकर गुरुग्राम में रह रहे हैं, ने दावा किया कि उन्होंने पुलिस को एक चिट्ठी सौंपी है, जिसमें बंगाली मुसलमानों को परेशान न करने की गुहार लगाई गई है. उन्होंने हमें अपना वोटर आईडी और आधार कार्ड दिखाया.
लगभग दो दशकों से इस इलाके में रह रही 42 वर्षीय अंजू ने दावा किया कि उनके बेटे को, जो गुड अर्थ मॉल में एक मोबाइल स्टोर पर काम करता है, को दो बार उठाया गया. “पहली बार, मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की. उन्होंने मुझे थप्पड़ मारने की धमकी दी.” उन्होंने आरोप लगाया कि हर बार उनके बेटे को कुछ घंटों के लिए हिरासत में लिया गया. अब वो अपने घर से मुर्शिदाबाद चला गया है.
अमीन उस्लाम 16,000 रुपये प्रति माह पर काम करते थे, ने दावा किया कि उन्हें और उनके आठ अन्य साथियों को पुलिस ने उठा लिया और उनमें से दो के साथ मारपीट भी की.
12 साल से गुरुग्राम में रह रहे सनोवाल शेख ने दावा किया कि स्थानीय लोगों को प्रशासन और मीडिया, दोनों ने त्याग दिया है. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा, "आप यहां आने वाली पहली पत्रकार हैं." उन्होंने इस मुद्दे पर संसदीय बहस की मांग करते हुए पूछा, "कोई भी मुख्यधारा का मीडिया इसे कवर क्यों नहीं कर रहा है?"
'ये अस्पष्टता है'
सेक्टर 57 के तिगरा इलाके में परिवारों के बीच इस बात को लेकर अस्पष्टता है कि अगली बार किसे उठाया जाएगा. कुछ लोग वहां से जाने के लिए तैयार लग रहे थे.
न्यूज़लॉन्ड्री ने 10 स्थानीय लोगों से बात की, जिन्होंने आरोप लगाया कि बुधवार को पुलिस द्वारा इलाके में दो लोगों को हिरासत में लेने की कोशिश के बाद डर का माहौल था.
30 वर्षीय घरेलू कामगार मनवर एसके ने दावा किया कि पुलिस ने "दोनों लोगों को तब जाने दिया, जब उन्होंने पश्चिम बंगाल में अपने इलाके के सरपंच से फोन पर बात की". उन्होंने कहा कि वह छठी कक्षा से गुरुग्राम में हैं, लेकिन अब उन्होंने मुर्शिदाबाद जाने के लिए टिकट बुक कर लिए हैं. "छोड़ने का मुख्य कारण हिरासत नहीं है. बल्कि ये अस्पष्टता है."
एक अन्य स्थानीय निवासी रूपाली खातून ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके पांच साल के बेटे के साथ मारपीट की.
यह इलाका सेक्टर 55/56 थाने के अंतर्गत आता है. टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर एसएचओ विनोद कुमार ने सभी दावों का खंडन किया. उन्होंने कहा, "हमारी टीम ने किसी को हिरासत में नहीं लिया है. हालांकि, अन्य विंग्स ने भी हिरासत में लिया होगा. हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है."
*पहचान छुपाने के लिए नाम बदल दिया गया है.
छोटी टीमें भी बड़े काम कर सकती हैं. बस एक सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत है. अभी सब्सक्राइब करें और न्यूज़लॉन्ड्री के काम को आगे बढ़ाएं.
Also Read
-
Haryana’s bulldozer bias: Years after SC Aravalli order, not a single govt building razed
-
Ground still wet, air stays toxic: A reality check at Anand Vihar air monitor after water sprinkler video
-
Chhath songs to cinema screen: Pollution is a blind spot in Indian pop culture
-
Mile Sur Mera Tumhara: Why India’s most beloved TV moment failed when it tried again
-
163 hours of missing Diwali AQI data: TOI slams India’s pollution policy