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सामूहिक दफन के दावों के हफ्तों बाद धर्मस्थला की खबरों से जुड़े 8,000 से ज्यादा लिंक्स पर रोक का आदेश
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ स्थित श्री क्षेत्र धर्मस्थल मंदिर के एक पूर्व सफाई कर्मचारी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों से जुड़े 8,842 ऑनलाइन लिंक हटाने के लिए धर्मस्थल धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के भाई हर्षेंद्र कुमार डी ने निषेधाज्ञा यानि गैग ऑर्डर हासिल कर लिया है.
इस ऑर्डर के अधीन सामग्री में अखबारों, टीवी चैनलों, डिजिटल पोर्टल, यूट्यूब क्रिएटर्स और सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएटर्स द्वारा इस मामले पर किया गया कवरेज शामिल है. इनमें द न्यूज़ मिनट, डेक्कन हेराल्ड, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, न्यूज 18, पीटीआई, एएनआई, टीवी 9, इंडिया टीवी और दाईजी वर्ल्ड के साथ-साथ कन्नड़, मलयालम, तमिल और हिंदी के क्षेत्रीय प्रकाशन और प्रसारक शामिल हैं.
द न्यूज़ मिनट ने इस मुद्दे के आरोपों, आधिकारिक निष्क्रियता और कानूनी विवाद समेत पूरे मामले पर व्यापक रूप से रिपोर्ट किया था. हर्षेंद्र ने 8,842 लिंक सूचीबद्ध किए, जिनमें 4,140 यूट्यूब वीडियो, 932 फेसबुक पोस्ट, 3,584 इंस्टाग्राम पोस्ट, 108 समाचार लिंक, 37 रेडिट पोस्ट और 41 ट्वीट शामिल हैं. निषेधाज्ञा में द न्यूज़ मिनट द्वारा बनाए पांच वीडियो का उल्लेख भी किया गया है. इनमें 'लेट मी एक्सप्लेन' के दो एपिसोड भी शामिल हैं.
निषेधाज्ञा में हर्षेंद्र, उनके परिवार के सदस्यों, वादी के परिवार द्वारा संचालित संस्थानों और श्री मंजूनाथस्वामी मंदिर के खिलाफ अगली सुनवाई तक डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया पर किसी भी अपमानजनक सामग्री और जानकारी के प्रकाशन, प्रसार, अग्रेषण, अपलोड करने और प्रसारण पर भी रोक लगाई गई है.
मालूम हो कि धर्मस्थला मंदिर प्रशासन में पहले एक सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत 48 वर्षीय दलित व्यक्ति के आरोपों के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अपनी शिकायत में उन्होंने दावा किया कि उन्हें 1995 से 2014 के बीच महिलाओं और बच्चों के शवों को दफनाने का निर्देश दिया गया था. साथ ही आरोप लगाया कि कुछ पीड़ितों पर यौन उत्पीड़न के निशान थे. कर्मचारी ने पुलिस को कंकाल के अवशेष भी सौंपे, जिन्हें कथित तौर पर एक कथित दफन स्थल से खोदकर निकाला गया था.
मंत्री ने एसआईटी संबंधी खबरों का खंडन किया
इस मामले में शनिवार को एसआईटी गठित की गई. इसका नेतृत्व डीजीपी प्रणब मोहंती कर रहे हैं. उनके अलावा डीआईजी (भर्ती) एमएन अनुचेथ, डीसीपी (सीएआर मुख्यालय) सौम्यलता और एसपी जितेंद्र कुमार दयामा भी एसआईटी में शामिल हैं.
बीते सोमवार को, ऐसी अफवाहों के बीच कि एसआईटी में नियुक्त एक आईपीएस अधिकारी ने टीम से बाहर किए जाने की मांग की है, कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि ये दावे सच्चाई से कोसों दूर हैं.
न्यायाधीश विजय कुमार राय ने कहा कि अदालत पूरी तरह से संतुष्ट है कि वादी ने प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला बनाया है. आदेश में कहा गया है, "इसके अलावा, सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है और यदि एकपक्षीय अस्थायी निषेधाज्ञा नहीं दी जाती है तो वादी को अपूर्णीय नुकसान और कठिनाई होगी."
हर्षेंद्र द्वारा अपनी याचिका में 338 संगठनों और व्यक्तियों के नाम लेने के बावजूद उन्होंने ‘जॉन डो’ आदेश पर ज़ोर दिया, जिसे न्यायाधीश ने मान लिया. जॉन डो आदेश का अर्थ है कि यह प्रतिबंध सभी नामित और अनामित पक्षों पर लागू होगा.
देश भर के मीडिया संस्थान, सफाई कर्मचारी द्वारा की गई शिकायत और उससे जुड़ी कानूनी प्रक्रियाओं पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं. अपनी शिकायत में सफाई कर्मचारी ने कहा कि वह मंदिर के लिए काम करता है, लेकिन उसने किसी भी अपराध के लिए जिम्मेदार किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया है. हालांकि, उसने यह जरूर कहा है कि 'पर्यवेक्षकों' ने उसे शवों को दफनाने के लिए धमकाया और मजबूर किया था. धर्मस्थला मंदिर के कर्मचारियों ने पहले भी इसी तरह का एक ‘जॉन डो’ ऑर्डर प्राप्त किया था.
प्रतिवादियों की सूची में थर्ड आई, धूता, समीर एमडी और डीटॉक्स शामिल हैं, जिन्होंने यूट्यूब पर वीडियो डाले हैं. सूची में कुछ मीडिया संगठन हैं जैसे द न्यूज मिनट, डेक्कन हेराल्ड, द हिंदू, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, प्रजावाणी, कन्नड़ प्रभा, होसा दिगंथा, बैंगलोर मिरर, उदयवाणी, दिनमणि, दीना थांथी, दिनाकरन, संयुक्त कर्नाटक, विजयवाणी, विश्ववाणी, न्यूज़18, केरल, केरल कौमुदी, राजस्थान पत्रिका, ईसंजे, संजीवनी, दिनसुधार, सन्मार्ग, हिंदुस्तान टाइम्स, पीटीआई, एएनआई और आईएएनएस, मातृभूमि, मलयाला मनोरमा, न्यूज 18, केरल कौमुदी, टीवी9 ग्रुप, इंडिया टीवी, न्यूज एक्स, न्यूज18, सुवर्णा, न्यूज फर्स्ट और दाइजी वर्ल्ड टीवी.
अपनी याचिका में हर्षेंद्र कुमार डी ने तर्क दिया कि श्री मंजूनाथस्वामी मंदिर, श्री क्षेत्र धर्मस्थल, धर्मस्थल एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा संचालित संस्थान, मंदिर द्वारा स्थापित विभिन्न संगठन, स्वयं वादी के बड़े भाई डी. वीरेंद्र हेगड़े और परिवार के अन्य सदस्य, मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित 'झूठी, मनगढ़ंत और कपोलकल्पित' सामग्री से प्रभावित हो रहे हैं."
याचिका में कहा गया है, "मैं मानता हूं कि यदि वादी, उनके बड़े भाई और उनके परिवार के सदस्यों, मंदिर और उनके द्वारा संचालित संस्थानों के खिलाफ बिना किसी आधार के कोई भी बेतुका आरोप लगाया जाता है तो उनकी अमूल्य प्रतिष्ठा प्रभावित होगी."
हर्षेंद्र ने न्यायाधीश से अनुरोध किया कि अगली सुनवाई तक हर्षेंद्र, उनके परिवार के सदस्यों, उनके परिवार द्वारा संचालित संस्थानों और श्री मंजूनाथस्वामी मंदिर, धर्मस्थल का डिजिटल मीडिया, जिसमें यूट्यूब चैनल और सभी सोशल मीडिया शामिल हैं, या किसी भी प्रकार के प्रिंट मीडिया में उल्लेख न किया जाए.
न्यायाधीश ने कहा, "अदालत इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकती कि यद्यपि प्रत्येक नागरिक की प्रतिष्ठा अत्यंत महत्वपूर्ण है, फिर भी जब किसी संस्थान और मंदिर के विरुद्ध कोई आरोप लगाया जाता है, तो इसका प्रभाव व्यापक लोगों पर पड़ता है, जिनमें विभिन्न कॉलेजों और स्कूलों में पढ़ने वाले कर्मचारी और छात्र भी शामिल हैं. इसलिए एक भी झूठा और अपमानजनक प्रकाशन, संस्थानों के कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा."
याचिका में नामित यूट्यूब पोर्टल, थर्ड आई ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, और तर्क दिया है कि यह आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और इसे रद्द करने की मांग की है.
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