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फुटपाथ या निजी पार्किंग? न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में अतिक्रमण की हकीकत
यह रिपोर्ट सार्वजनिक स्थानों पर प्रभावशाली वर्गों द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण और उनके प्रति सिस्टम की अनदेखी पर आधारित हमारी श्रृंखला का हिस्सा है। इस शृंखला की पिछली रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के एक गार्ड ने इस रिपोर्टर से कहा, "कृपया इस पर न चलें." उसका इशाराब ब्लॉक सी में एक बंगले के बाहर एक सार्वजनिक फुटपाथ की ओर था. लोहे की जंजीरों से घिरी इस जगह को आरक्षित पार्किंग स्थल में बदल दिया गया है. अब यह पैदल चलने वालों के लिए नहीं है.
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में इस तरह के अतिक्रमण कोई अपवाद नहीं हैं. यह एक ऐसे शहर में आम बात है जहां बीते कुछ महीनों में अतिक्रमण हटाओ अभियानों में हजारों लोग विस्थापित कर दिए गए हैं. जिनमें से ज्यादातर कमजोर तबके से हैं.
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी का यह हाल दिल्ली सरकार के दिव्यांगजन आयुक्त की 2021-22 की एक रिपोर्ट के बावजूद है, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि कैसे अवैध अतिक्रमण से लेकर कार पार्किंग जैसे अवरोधों और कब्जों ने शहर को असुरक्षित और दुर्गम बना दिया है. "दिल्ली में पैदल चलने की सुविधा बढ़ाने" पर 2019 के डीडीए नियमों में बताया गया था कि शहर में रोजाना की 34 प्रतिशत यात्रा पैदल होती है. इसके अलावा 2016 में दिल्ली में यातायात जाम कम करने पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि फुटपाथों पर अतिक्रमण को "नगरपालिका अधिनियम के तहत एक संज्ञेय अपराध बनाया जाना चाहिए".
लेकिन राजधानी के सबसे धनी इलाकों में से एक न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में ज़्यादा कुछ नहीं बदला है.
बैरिकेड लगे फुटपाथ, अवैध ड्राइववे
न्यूज़लॉन्ड्री ने ब्लॉक सी में 20 से ज़्यादा घरों का दौरा किया और हमें वहां एक भी बिना बैरिकेड वाला फुटपाथ नहीं दिखाई दिया. सैकड़ों वर्ग फुट जगह नारंगी रंग के ट्रैफिक कोन, गमले और जंजीरों से बंधे ड्राइववे से घिरी हुई थी. ब्लॉक बी में घुसते ही एक सुरक्षा गार्ड ने गाड़ियों के नंबर नोट किए और उस दौरे के बारे में पूछा. गेट के आगे फुटपाथ, या तो बैरिकेड, या गमले या खड़ी कारों से बंद थे, जिससे पैदल चलने वालों को सड़क पर आना पड़ता था. ब्लॉक ए भी कुछ अलग नहीं था: हर घर से मेल खाते फुटपाथ टाइलों से बने थे, ड्राइववे सड़क में मिल गए थे और पार्किंग, कोन, गमलों या जंजीरों से चिह्नित थी.
लेकिन ये सिर्फ गेट वाले ब्लॉकों के अंदर की गलियों तक सीमित नहीं था. तैमूर नगर डीडीए फ्लैट्स के सामने वाली मुख्य सड़क पर भी अवैध रूप से बनाए गए ड्राइववे और अस्थायी बैरिकेड लगे हुए थे.
बीते तीन साल से इस कॉलोनी के घरों में काम करने वाली रेशमा कहती हैं, "मैंने कॉलोनी में कभी कोई ऐसी जगह नहीं देखी जहां कोई कार न हो, या उस जगह को कोन या जंजीरों से चिह्नित न किया गया हो."
गुज्जर ग्रामीणों से ली गई जमीन पर 1970 के दशक में एक हाउसिंग सोसाइटी द्वारा विकसित की गई इस कॉलोनी में अब चार ब्लॉकों में लगभग 1,300 घर हैं. इनमें वकील, राजनेता और व्यवसायी रहते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के एक वकील के घर के सामने एक चमचमाता हुआ धातु का बैरिकेड लगा था, जिससे दो कारें फुटपाथ को अवरुद्ध कर रही थीं. यह कई घरों में से एक था.
विडंबना यह है कि सिर्फ दो महीने पहले ही 5 मई को इसके बगल की तैमूर नगर झुग्गी बस्ती में एक अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था. यह अभियान पड़ोसी महारानी बाग की एक सहकारी आवास समिति द्वारा दायर एक याचिका का नतीजा था, जिसमें एक नाले की सफाई की जरूरत बताई गई थी.
उसी समिति के एक सदस्य से जब न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में इसी तरह के अतिक्रमणों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "वो अलग बात है. हमें अपनी जगह बाहरी लोगों की पार्किंग से बचानी है."
इस तर्क के चलते फुटपाथों पर बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग कर दी गई है. यह तर्क भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है. आईआरसी के अनुसार, पार्किंग रोकने के लिए बोलार्ड यानी छोटे खंभे लगाए जा सकते हैं, लेकिन पैदल चलने वालों के लिए कम से कम 1.8 मीटर जगह खाली छोड़ना आवश्यक है.
2022 में कॉलोनी में अशोक पार्क की ओर जाने वाली 2 किलोमीटर लंबी सड़क ग्रिल, गमलों और बैरिकेड्स के कारण 1.5 लेन की रह गई. एक आरडब्ल्यूए सदस्य ने याद किया कि इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए नगरपालिका का अभियान सफल रहा था. "लेकिन एक दिन बाद ही लोग नए गमले ले आए, फिर से बैरिकेडिंग शुरू कर दी और स्थिति फिर पहले जैसी हो गई."
'हमारे हाथ में नहीं है'
2023 की दिल्ली दुर्घटना रिपोर्ट के अनुसार, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी ट्रैफिक सर्कल में 11 जानलेवा और 49 गैर-जानलेवा दुर्घटनाएं दर्ज की गईं. लेकिन पुलिस उचित फुटपाथ सुनिश्चित करने में असहाय मालूम होती है.
उक्त सर्कल में कार्यरत एक ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा, "यह हमारे हाथ में नहीं है. कॉलोनी के अंदर, हमें अवैध कारों को हटाने के लिए शायद ही कोई कॉल आती है और क्योंकि कई लोग पार्किंग की जगह घेरने के लिए बैरिकेडिंग करते हैं, इसलिए हम इस बारे में ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते."
ब्लॉक बी के एक अन्य निवासी ने कहा, "इस कॉलोनी की समस्या ये है कि सबसे पहले तो यहां फुटपाथ नहीं हैं, और जहां हैं भी, उन पर अतिक्रमण है. हम निवासियों के रूप में, दूसरों से बैरिकेडिंग न करने या वाहन पार्क न करने के लिए कहते हैं. लेकिन वे जवाब देते हैं, “अगर हम अपनी गाड़ी यहां खड़ी नहीं करेंगे तो हम उनका क्या करेंगे?”
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, श्रीनिवासपुरी नगर निगम वार्ड का हिस्सा है, जिसके पार्षद राजपाल सिंह ने कहा, "कभी-कभी लोग जमीन पर दोबारा अतिक्रमण कर लेते हैं लेकिन जब हमें कोई शिकायत मिलती है, तो एमसीडी कार्रवाई करती है. सबसे हालिया शिकायत 27 जून को हुई थी. हम कॉलोनी में कमोबेश जागरूकता अभियान चलाते हैं, ताकि लोगों को फुटपाथ की जरूरत के बारे में जागरूक किया जा सके और अतिक्रमण हटाया जा सके."
न्यूज़लॉन्ड्री ने एनएफसी रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष लाल सिंह से टिप्पणी के लिए संपर्क किया. अगर उनका जवाब आता है, तो इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
एमसीडी में सहायक अभियंता राहुल वर्मा ने कहा, "अतिक्रमण से जुड़ी शिकायतें सीधे एसटीएफ तक नहीं पहुंचतीं. शिकायत दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क जैसे जोनल कार्यालय में दर्ज की जाती है और आखिर में अतिक्रमण से संबंधित कोई भी कार्रवाई केवल वही करते हैं."
न्यूज़लॉन्ड्री ने डीसीपी (दक्षिण पूर्व) हेमंत तिवारी, एमसीडी दक्षिण के अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव और सहायक जन सूचना अधिकारी (यातायात/दक्षिण पूर्व) भानु प्रताप से टिप्पणी के लिए संपर्क किया. यदि उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस रिपोर्ट में जोड़ दी जाएगी.
मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
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