Report
एंड ऑफ लाइफ व्हीकल: जनता की गाड़ी स्क्रैप, पुलिस की दौड़ रही सरपट
दिल्ली में 10 साल पुराने डीज़ल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर सख्त पाबंदी लागू करने वाली सरकार और पुलिस पर अब खुद नियमों के उल्लंघन का आरोप लग रहा है. एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि दिल्ली पुलिस के बेड़े में 312 ऐसे वाहन शामिल हैं, जो तय उम्र सीमा पार कर चुके हैं, बावजूद इसके सड़कों पर दौड़ रहे हैं.
सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मिले जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि उसके पास कुल 11,051 वाहन हैं, जिनमें से 93 पेट्रोल वाहन 15 वर्ष और 219 डीज़ल वाहन 10 वर्ष से अधिक पुराने हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के 2015 के आदेश और सुप्रीम कोर्ट के 2018 में पारित दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ऐसे वाहन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में चलाए नहीं जा सकते.
दिल्ली सरकार ने भी हाल ही में 1 जुलाई 2025 से पुराने वाहनों पर पेट्रोल-डीज़ल बंद करने की नीति लागू की थी. इसके तहत, नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर चालान और जब्ती की कार्रवाई की गई. हालांकि, भारी विरोध के चलते सरकार को महज तीन दिन में पीछे हटना पड़ा. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली की हवा भी साफ करनी है, एक्यूआई भी नीचे लेकर आना है और दिल्ली की गाड़ियों को भी जब्त भी नहीं होने देना है.
इस विरोधाभास के बीच दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. कानून व्यवस्था और ट्रैफिक नियमों को लागू करने की जिम्मेदार पुलिस खुद नियमों का पालन नहीं कर रही है. ट्रैफिक स्पेशल सीपी अजय चौधरी ने कहा, "1 जनवरी 2025 से अब तक 18,000 से अधिक पुराने वाहन जब्त किए गए हैं. लेकिन जब उनसे नई नीति पर कार्रवाई के आंकड़े पूछे गए तो उन्होंने कहा, “पॉलिसी ही बदल गई है तो उस पर बात करना बेमानी है."
हालांकि, वे साथ ही कहते हैं कि जिन वाहनों को इस बीच जब्त किया गया है उन्हें 15 दिन के अंदर जुर्माना अदा करके छुड़ाया जा सकता है और एनओसी लेकर दिल्ली के बाहर ट्रांसफर करवा सकते हैं.
दिल्ली जैसे प्रदूषण-ग्रस्त शहर में सरकारी एजेंसियों का यह दोहरा रवैया वायु गुणवत्ता सुधारने की कोशिशों को कमजोर करता है. साथ ही यह भी दर्शाता है कि नियमों की सख्ती केवल आम नागरिकों पर नहीं, सरकारी विभागों पर भी समान रूप से लागू होनी चाहिए.
इससे पहले न्यूज़लॉन्ड्री ने रिपोर्ट किया था कि किस तरह दिल्ली सरकार की काफी तादाद में गाड़ियां बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के दौड़ रही हैं, इनमें से ज्यादातर का 10 और 15 साल का जीवनकाल भी समाप्त हो चुका है. हमारे पास दिल्ली सरकार के ऐसे 107 वाहनों की एक सूची है. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट.
यह लेख वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हमारे सहयोगात्मक अभियान का हिस्सा है. यहां बताया गया है कि आप ‘हवा का हक’ कैंपेन में कैसे शामिल हो सकते हैं. इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए यहां क्लिक करें.
भ्रामक और गलत सूचनाओं के इस दौर में आपको ऐसी खबरों की ज़रूरत है जो तथ्यपरक और भरोसेमंद हों. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारी भरोसेमंद पत्रकारिता का आनंद लें.
Also Read
-
2025 Rewind: TV Newsance Behind the Scenes Fun!
-
Is India’s environment minister lying about the new definition of the Aravallis?
-
How we broke the voter roll story before it became a national conversation
-
Hafta Letters: ‘Pointless’ Nikhil Kamath article, love for Dhanya and improving AQI
-
From school skit to viral church protest: How a Christmas event was recast as ‘anti-Hindu’