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पत्रकार संगठनों ने भिंड पुलिस पर की कार्रवाई की मांग, पत्रकारों पर हमले की कड़ी निंदा
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने संयुक्त बयान जारी कर भिंड (मध्य प्रदेश) के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. बयान में 1 मई को पत्रकार शशिकांत गोयल और अमरकांत चौहान के खिलाफ की गई पुलिसिया कार्रवाई की कड़ी निंदा की गई है.
बयाना में कहा गया है कि गोयल और चौहान को ‘चाय’ के बहाने एसपी असित यादव के चैंबर में बुलाया गया, जहां पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट की. दोनों पत्रकारों ने चंबल नदी में चल रहे अवैध रेत खनन को उजागर किया था, जिसे कथित रूप से पुलिस की मिलीभगत से संचालित किया जा रहा है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, अन्य पत्रकारों को भी एसपी ऑफिस में अपमानित किया गया. इसके बाद गोयल और चौहान के साथ मारपीट की गई.
बयान के मुताबिक, 4 मई को जब दोनों दिल्ली जा रहे थे, तो उन्हें ग्वालियर स्टेशन से बहाने से उठाकर एक ढाबे ले जाया गया, जहां पहले से मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें “समझौते” के लिए एसपी के बंगले पर ले जाकर दबाव डाला.
फिर 5 मई को उन्हें एक वीडियो बयान देने को मजबूर किया गया, जिसमें दिखाया गया कि उनके और पुलिस के बीच मामला सुलझ गया है. यह वीडियो व्हाट्सऐप पर फैलाकर उनकी साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई.
इसके बाद लगातार हो रहे उत्पीड़न से तंग आकर दोनों पत्रकार 19 मई को दिल्ली पहुंचे और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत दर्ज कराई.
पत्रकार संगठनों ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कैलाश माकवाना से स्वतंत्र जांच की मांग की है और प्रेस काउंसिल से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है. उन्होंने सभी सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को संरक्षित करने का निर्देश देने की मांग भी की.
बयान में कहा गया है, “अवैध गतिविधियों को उजागर करना अपराध नहीं, पत्रकारों का कर्तव्य है. इस कर्तव्य के लिए उन्हें प्रताड़ित करना लोकतंत्र के लिए खतरा है.”
पत्रकारों की पूरी कहानी जानने के लिए पढ़िए न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित ये रिपोर्ट.
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