Video
पुंछ के ज़ख्म: 7 से 10 मई के बीच हुई तबाही, मौतों और टूटे सपनों की कहानी
6 और 7 मई की रात भारत ने पाकिस्तान के 9 आंतकी ठिकानों को निशाना बनाया. इसके बाद पाकिस्तान ने भारत की सीमा से लगने वाले रिहायशी इलाकों में भारी गोलीबारी शुरू कर दी. जिसका सबसे ज्यादा असर जम्मू-कश्मीर के पुंछ शहर में हुआ. पाकिस्तानी गोलीबारी में यहां 13 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए. पुंछ के लोगों का आरोप है कि वो मॉकड्रिल की तैयारी कर रहे थे, इसी बीच गोलीबारी शुरू हो गई. सरकार की तरफ से इस बारे में पहले न तो कोई सूचना जारी हुई न ही कोई चेतावनी दी गई. पूंछ के पीड़ित परिवारों को इस बात का भी मलाल है कि प्रधानमंत्री ने 13 मई को देश को संबोधित किया लेकिन पुंछ के मृतकों का जिक्र तक नहीं किया.
पाकिस्तानी गोलाबारी में मारे गए 16 भारतीय नागरिकों में से 13 केवल पुंछ शहर से थे. इनमें चार बच्चे भी शामिल थे. पाकिस्तान, जो यह साबित करने में लगा है कि उसने भारतीय विमान गिराए, उसने भी पुंछ में अपने सैनिकों द्वारा मारे गए भारतीय बच्चों और नागरिकों पर कुछ नहीं कहा है.
जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से जब हमने पूछा कि गोलीबारी से पहले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर क्यों नहीं पहुंचाया गया तो उन्होंने कहा, “हमें भी कोई चेतावनी नहीं मिली थी कि गोलाबारी होगी. हमें पहली चेतावनी तब मिली जब गोले शहर में गिरने लगे. जैसे ही यह हुआ, हमने लोगों को हटाने की कोशिश की.”
इस रिपोर्ट में हमने पुंछ शहर में मारे गए 13 लोगों में से सात लोगों के परिजनों से बात की. इन सभी परिवारों ने बताया कि उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नही था कि मॉकड्रिल की जगह सच में गोलीबारी होने लगेगी.
मृतक अमरीक सिंह की बेटी जपनीत कौर कहती हैं, “मेरे पिता घर में इकलौते कमाने वाले थे. अभी तो मेरी पढाई भी पूरी नहीं हुई है. उस दिन अगर सरकार हमें सूचित कर देती कि गोलीबारी होने वाली है तो पिता शायद जिंदा होते.”
ऐसे और भी कई सवाल हैं जो पुंछ के लोग उठा रहे हैं. जानने के लिए देखिए हमारी ये खास वीडियो रिपोर्ट.
Also Read
-
TV Newsance 320: Bihar elections turn into a meme fest
-
We already have ‘Make in India’. Do we need ‘Design in India’?
-
Not just freebies. It was Zohran Mamdani’s moral pull that made the young campaign for him
-
बीच चुनाव में हत्या हो रही, क्या ये जंगलराज नहीं है: दीपांकर भट्टाचार्य
-
Cheers, criticism and questions: The mood at Modi’s rally in Bhagalpur