Podcast
रिपोर्टर्स विदाउट ऑर्डर्स: स्वतंत्र पत्रकारिता की चुनौतियां और वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे
रिपोर्टर्स विदाउट ऑर्डर्स के इस अंक में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मद्देनजर मीडिया की आज़ादी और पत्रकारों के सामने आ रही चुनौतियां पर चर्चा हुई.
पॉडकास्ट में इस बार मेहमान के रूप में तंजील आसिफ, नीतू सिंह और सागर पटेल शामिल हुए. बिहार के तंजील आसिफ ‘मैं मीडिया’ के फाउंडर है. लखनऊ की नीतू सिंह शेड्स ऑफ़ रूरल इंडिया की फाउंडर हैं और गुजरात के अहमदाबाद से सागर पटेल, स्वमान मीडिया के को-फाउंडर हैं.
तीनों ने ही मेनस्ट्रीम मीडिया में कुछ वक़्त काम करने के बाद स्वतंत्र पत्रकारिता का रास्ता अपनाया है. पॉडकास्ट के दौरान हमने जाना कि इस फैसले के पीछे क्या वजह रही. साथ ही ये भी समझने की कोशिश हुई कि एक स्वतंत्र संस्थान चलाने की क्या चुनातियां हैं? इसके अलावा भारत में मीडिया की स्थिति को लेकर भी मेहमानों से खुलकर चर्चा हुई.
‘मैं मीडिया’ बिहार के सीमांचल क्षेत्र में और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके में काम करता है. तंजील बताते हैं कि स्थानीय होने के नाते कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन ज़्यादा परेशानी उन्हें धर्म के कारण होती है. हाल ही वह जब एक स्टोरी के लिए गए तो लोगों ने सवाल पूछते ही उनके धर्म की तरफ इशारा किया और कहा कि मुस्लिम हो इसलिए ऐसा सवाल कर रहे हो. ऐसा कई बार हुआ है.'
गांव कनेक्शन में लंबा सफर तय करने के बाद नीतू सिंह शेड्स ऑफ़ रूरल इंडिया चला रही हैं. इनका फोकस महिलाओं और आदिवासियों के मुद्दों पर है. नीतू बताती है, 'दूसरी संस्थानों में काम करते हुए महसूस हुआ कि मन का काम नहीं कर पा रही हूं. कोरोना के समय में नौकरी छोड़ी और गांव लौट गई. वहां से एक रोज ऐसे ही मन में आया कि अपना कुछ करते हैं. एक फोन और लैपल माइक से सफर शुरू किया. आज देश के अलग-अलग हिस्सों से जाकर रिपोर्ट करती हूं. अपना संस्थान चलाना मुश्किल रहा लेकिन लोगों ने काफी मदद की.'
सागर पटेल एक अंतराष्ट्रीय मीडिया संस्थान में बीते सात साल से काम करते थे. कुछ मनमुटाव के कारण उन्होंने संस्थान छोड़ दिया. उसके बाद अपने तीन साथियों के साथ मिलकर स्वमान की शुरुआत की. दो महीने के सफर में ही स्वमान को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पटेल बताते हैं, ‘हाल ही में वो और उनकी टीम रिपोर्टिंग के लिए गई थी. वहां उन्हें रिपोर्टिंग से रोक दिया गया. जो कुछ रिकॉर्ड हुआ, उसे डिलीट करा दिया गया. यहीं नहीं पूरे दिन पुलिस इधर-उधर घुमाती रही. शाम को अहमदाबाद लौटने के लिए कह दिया गया.'
पटेल आगे कहते हैं, 'पुलिस यहीं तक नहीं रुकी. जब हम वहां से निकले तो अहमदाबाद तक एक गाड़ी हमारे साथ आई. जहां हम खाने के लिए रुकते थे वहां वो भी रुकते. यह सब डराने के लिए हो रहा था. हालांकि हम कहानी कहने के लिए अपनी संस्थान खोले है. हम रुकने वाले नहीं है.'
देखिए आरडब्लूयओ का ये अंक.
टाइमकोड्स
00:00:00 - परिचय
00:02:02 - मेनस्ट्रीम मीडिया छोड़ने की वजह
00:12:28 - स्वतंत्र मीडिया की चुनौतियां
00:23:24 - स्वतंत्र पत्रकारों की रुकावटें
00:56:48 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय-क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
नीतू
Pahalgam Attack में मारे गए Shubham Dwivedi की पत्नी Aishanya Dwivedi ने हमले के बारे में क्या बताया
सागर
કણબી પટેલોના નાક વાઢવાની હચમચાવી દે તેવી કહાણી| Journalist Naresh Shah | Patidar Samaj History Video
किताब -शतरंज
तंज़ील
सीरीज़ - Common People
BAKKHO Documentary | A Pasmanda Muslim Story | बक्खो | पसमांदा मुस्लिम की कहानी | Bihar Caste Census
बसंत
रिपोर्ट - What Killed Mukesh Chandrakar - The Reporters' Collective
प्रोडक्शन और संपादन - सैफ अली इकराम
Also Read
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
TV Newsance 317 Diwali Special: Godi hai toh mumkin hai, NDTV’s Adani makeover, Taliban flip
-
Delhi’s Diwali double standard: Markets flout cracker norm, govt’s pollution plan falters
-
‘Jailing farmers doesn’t help anyone’: After floods wrecked harvest, Punjab stares at the parali puzzle
-
South Central 47: Dashwanth’s acquittal in rape-murder case, the role of RSS in South India