अवधेश कुमार और मृतक पवन के पिता.
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दिल्ली: श्मशान में दलितों के लिए अलग स्थान को लेकर विवाद

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का सपना था कि भारत जाति-मुक्त हो. इसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी. इसी की बदौलत कुछ हद तक आज दलित समाज सम्मान के साथ अपना जीवन यापन कर रहा है. लेकिन कुछ जगहों पर आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.  

ताजा मामला दिल्ली के महरौली का है. यहां एक वाल्मीकि समाज के युवक के शव को श्मशान में पहले से निर्धारित स्थान पर अंतिम संस्कार करने को कहा गया. पंडित ने उसका संस्कार ऐसी जगह करने से मना कर दिया, जो कि कथित रूप से ऊंची जाति वालों के लिए निर्धारित है. 

दरअसल, 5 अप्रैल को वाल्मीकि समाज के 40 वर्षीय युवक पवन की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई. उसे अंतिम संस्कार के लिए इलाके में स्थित श्मशान घाट ले जाया गया. वहां मौजूद पंडित मोहन लाल शर्मा ने कहा कि वाल्मीकियों के लिए श्मशान घाट में अंतिम संस्कार की जगह पहले से निर्धारित है, इसीलिए वहीं पर संस्कार करें. इसके बाद वाल्मीकि समाज ने आपत्ति जताई. हालांकि, काफी कहासुनी के बाद भी पवन का अंतिम संस्कार पहले से दलित समाज के लिए बनी जगह पर ही हुआ. लेकिन इस मामले का वीडियो वायरल हो गया और लोगों में काफी तेज प्रतिक्रिया देखने को मिली. न्यूज़लॉन्ड्री ने भी मौके पर पहुंच कर इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल की. 

मृतक पवन के पिता रतन लाल कहते हैं, "हमारे साथ अच्छा नहीं हुआ है. मरने के बाद भी जाति खोजी जा रही है. जब हम अपने बेटे को जला रहे थे तो पंडित ने मना कर दिया कि यह जाट, बनिया, गुर्जर और पंडित समाज की जगह है. वाल्मीकियों के लिए पीछे बनी हुई है. इसलिए फिर हमने पीछे गंदगी में ही अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया. बताइए देश आजाद हो गया, क्या हम आजाद नहीं हैं, क्या वाल्मीकि आजाद नहीं हैं?”

वहीं, मृतक पवन के पड़ोसी, जयप्रकाश कहते हैं, "जब सजा सबको एक जैसी होती है तो फिर हमारे साथ ये भेदभाव क्यों किया जा रहा है."


देखिए पूरी रिपोर्ट-

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