Khabar Baazi
हैदराबाद की अदालत से दो पत्रकारों को राहत, संगठित अपराध के आरोपों को किया खारिज
हैदराबाद की एक स्थानीय अदालत ने तेलंगाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई दो महिला पत्रकारों को बड़ी राहत दी है. पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 के तहत मुकदमा दर्ज किया था. कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अदालत ने मामले को ख़ारिज करते हुए कहा, “धारा 111 के आवश्यक तत्व इस स्तर पर आकर्षित नहीं होते क्योंकि इसमें कोई मौद्रिक लेन-देन या अन्य ऐसे कारक शामिल नहीं हैं जो धारा 111 के तहत आएं."
यूट्यूब समाचार चैनल पल्स डिजिटल न्यूज नेटवर्क की प्रबंध निदेशक रेवती पोगदंडा और कर्मचारी थानवी यादव को इस महीने की शुरुआत में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक सामग्री प्रसारित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
शिकायत के अनुसार, दोनों पर आरोप था कि उन्होंने रेवंत रेड्डी को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें एक बुजुर्ग किसान ने मुख्यमंत्री की काफी तीखी आलोचना की. इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता ने दोनों पत्रकारों के खिलाफ पुलिस में अपमानजनक सामग्री फैलाने की शिकायत दर्ज करवाई. जिसके बिनाह पर मामला दर्ज किया गया.
इस बीच मुख्यमंत्री रेड्डी ने भी विधानसभा में वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर हुई आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. साथ ही पत्रकारिता को नियंत्रित करने के लिए एक नया कानून लाने की संभावना जताई.
हिन्दुस्तान टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारों के वकील जक्कूला लक्ष्मण ने उनके बचाव में अदालत को तर्क दिया कि इस मामले में धारा 111 का इस्तेमाल ठीक नहीं था. अन्य सभी धाराओं में अधिकतम सजा सात साल से कम है, इसीलिए तत्काल गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं थी. लक्ष्मण ने आगे यह भी आरोप लगाया कि दोनों महिला पत्रकारों को राजनैतिक दवाब में आकर जल्दी गिरफ्तार किया गया है.
हैदराबाद की अदालत ने इस मामले को लेकर कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 गंभीर किस्म के संगठित अपराधों से संबंधित है, जिसे पुलिस ने इन पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल किया.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पत्रकारों के खिलाफ धारा 111 का इस्तेमाल अनुचित है. हालांकि, अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) और बीएनएस की उन धाराओं के तहत अन्य आरोपों को बनाए रखा, जो झूठी जानकारी बनाने और फैलाने से संबंधित हैं.
Also Read
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
Operation Sindoor debate: Credit for Modi, blame for Nehru