Ground Report
प्रयागराज महाकुंभ: भगदड़ के कई घंटों बाद भी लोग लापता परिजनों की तलाश में भटकते रहे
29 जनवरी को कुंभ मेले में भगदड़ मचने के करीब 15 घंटे बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या स्वीकार करी. महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने शाम करीब 06.45 पर संवाददाताओं को बताया कि संगम घाट पर रात 1 से 2 बजे के बीच हुई इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई. उनके मुताबिक, मौनी अमावस्या के चलते भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी और उसने “बैरिकेड्स तोड़ दिए”.
हालांकि, मीडिया की खबरों में मृतकों की संख्या इससे अधिक बताई गई है. रॉयटर्स ने स्थानीय अस्पताल के मुर्दाघर में 39 शवों की गिनती की और कहा कि तीन पुलिस सूत्रों ने लगभग 40 लोगों के मरने की पुष्टि की है. दैनिक भास्कर की रिपोर्टर ने स्थानीय अस्पताल में 20 शवों की गिनती की, जहां शवों की आखिरी गिनती 40 थी और बताया कि कम से कम 20 शव परिवारों को सौंपे जा चुके हैं.
इतना ही नहीं, इसके घंटों बाद भी कुंभ में श्रद्धालु संगम घाट पर लापता हुए अपने परिवार के सदस्यों की तलाश कर रहे हैं. न्यूजलॉन्ड्री ने महाकुंभ के सेक्टर 3 और 4 में भूले भटके शिविरों में दर्जनों लोगों से मुलाकात की. कई लोगों ने बताया कि भगदड़ के कुछ घंटों बाद ही वे अपने प्रियजनों से बिछड़ गए थे लेकिन प्रशासन से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.
सेक्टर 4 में स्थित केंद्र, भगदड़ वाली जगह के सबसे नजदीक का हेल्पलाइन कियोस्क है. काउंटर के पीछे बैठे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि सुबह 2 बजे से अब तक “करीब 200” गुमशुदा लोगों के आवेदन जमा किए जा चुके हैं. यह भगदड़ के करीब 10 घंटे बाद की बात है.
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के कचनेओ गांव के ओम प्रकाश ने पूछा, “क्या आप मेरी मदद कर सकती हैं और यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि मेरी पत्नी ट्रेन में बैठ जाए?” प्रकाश ने जब रिपोर्टर को अपनी पत्नी का आधार कार्ड दिखाया, तब वे बदहवास से लग रहे थे. “मैं एक केंद्र से दूसरे केंद्र तक भटक रहा हूं, लेकिन उन्होंने मेरी पत्नी के बारे में कोई घोषणा तक नहीं की है.”
उनकी पत्नी, 62 वर्षीय रमा कांति, संगम घाट के पास सुबह करीब 4.30 बजे शौचालय गई थीं. प्रकाश ने कहा कि उसके बाद वह वापस नहीं लौटीं. उनकी चिंता इस बात से और बढ़ गई कि उनकी पत्नी को परिवार के किसी भी सदस्य का संपर्क के लिए फोन नंबर या पता याद नहीं आ पाएगा.
यूपी के कासगंज जिले के कृष्ण गोपाल भी अपनी पत्नी ममता देवी (60 वर्षीय) के बारे में उतनी ही चिंता में थे. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को उनका आधार कार्ड दिखाया और कहा कि वह सुबह 7 बजे से लापता हैं. उन्होंने कहा, "उन्हें हमारे गांव का नाम तो याद होगा, लेकिन फोन नंबर याद आना मुश्किल है."
बिहार के छपरा जिले के हीरा लाल सिंह अपने परिवार के पांच सदस्यों- अपनी पत्नी, भाभी, बहू और दो पोते-पोतियों की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. 29 जनवरी की दोपहर न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए हीरा लाल ने कहा कि सुबह 5 बजे संगम घाट पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर "रास्ता रोकने की कोशिश की", तब वे उनसे बिछड़ गए.
उन्होंने कहा, "मैं अपने परिवार के तीन सदस्यों के साथ नौका पुल नंबर 13 से बैरिकेड के दूसरी तरफ पहुंचने में सफल रहा. लेकिन ये पांच लोग इस अफरा तफरी में खो गए."
हीरा लाल ने केंद्र के प्रभारी अधिकारियों से बार-बार अनुरोध किया कि वे माइक या लाउडस्पीकर पर अपने लापता परिवार के नामों की घोषणा करें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने कहा, "अधिकारियों के साथ मेरी तीखी बहस हुई और फिर मैंने खुद ही घोषणा की. मुझे पुलिस से कोई सहायता नहीं मिली. यह प्रशासन की विफलता थी."
पुलिस ‘मौजूद नहीं थी’ या ‘भीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थ रही’
भगदड़ के कई चश्मदीदों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि संगम घाट के पास की जगह पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा थे, जिनमें से कुछ ने शाही स्नान के शुरू होने की प्रतीक्षा करते हुए घाट के पास सोए या आराम कर रहे थे. बीती रात 10 बजे से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी. पुलिस ने ज़मीन पर आराम कर रहे लोगों को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ वहां से नहीं हिली.
इस बीच श्रद्धालुओं का एक और जत्था संगम नदी की ओर बढ़ने लगा, उनमें से कुछ कथित तौर पर घाट को अलग करने वाले बैरिकेड को पार कर गए. वे उसे धकेलते हुए आगे बढ़ गए और इससे भगदड़ मच गई.
घाट पर सुबह 2 बजे तक ड्यूटी पर मौजूद सफाई कर्मचारी करण ने बताया, “पुलिस ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी वे भीड़ को काबू नहीं कर पाए.”
बारह घंटे बाद यहां जमीन पर स्वेटर, साड़ियां, जैकेट और कंबल बिखरे पड़े हैं, जो शायद भगदड़ में मारे गए या घायल हुए लोगों के हैं. छोड़े हुए जूते और चप्पल एक किलोमीटर दूर तक बिखरे पड़े हैं. इसे साफ करने का काम करण जैसे मजदूरों पर छोड़ दिया गया, जबकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व वाला प्रशासन हेलीकॉप्टर से भक्तों पर फूल बरसा रहा था.
महादेव सिंह की एक रिश्तेदार सरोज (55 वर्षीय) भगदड़ के बाद से लापता हैं. वे कहते हैं, "मैं योगी का बहुत बड़ा भक्त हूं, लेकिन ये कार्यक्रम पूरी तरह से विफल रहा है."
महादेव ने कहा कि वे और उनके परिवार के आठ सदस्य सुबह 2 बजे मेले के सेक्टर 21 से निकले थे. जब भगदड़ हुई, तब वे संगम घाट से लगभग 100 मीटर दूर थे.
महादेव ने बताया, "पुलिस कहीं भी मौजूद नहीं थी. वे सड़कों पर या उस स्थान के पास तैनात थे, जहां साधुओं को डुबकी लगानी थी."
उनके अनुसार, महिलाओं और बच्चों को बेहोश होते देखने के बाद उन्होंने कुंभ पुलिस और मेला प्रशासन की आपातकालीन हेल्पलाइन पर फोन करने की कोशिश की. 29 जनवरी को सुबह 3.39 बजे और 3.50 बजे किए गए उनके दो कॉल किसी ने नहीं उठाए. उन्होंने रिपोर्टर को अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कई वीडियो भी दिखाए, जिनमें भगदड़ से पहले संगम घाट पर जगह बनाने के लिए लोगों के बीच धक्का-मुक्की और खींचतान को देखा जा सकता है.
प्रयागराज की मुन्नी देवी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उनकी बेटी रितु उस रात संगम घाट पर दम घुटने के कारण बेहोश हो गई थी. उन्होंने कहा, "हमें यह भी एहसास नहीं हुआ कि वह बेहोशी के कारण पीछे रह गई थी. जब एक आदमी ने उसे खींच कर उठाया, तब हम रितु को तुरंत अस्पताल ले गए."
‘हम एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे’
भगदड़ स्थल के करीब ही स्थित सेक्टर 3 में आयुष्मान प्राथमिक चिकित्सा केंद्र है. यहां मौजूद डॉ. अमित सिंह ने बताया कि वे पिछले 24 घंटों से ड्यूटी पर हैं. केंद्र से करीब 15 से 20 मरीजों को सेक्टर 2 और 4 में स्थापित सरकारी अस्पताल की इकाइयों के लिए रेफर किया था.
डॉ. सिंह ने कहा, “यहां लाए गए लोग शरीर में रक्तचाप (बीपी) में उतार-चढ़ाव के कारण कांप रहे थे. कुछ लोगों की हड्डी टूट गई थी. इसलिए उन्हें एक्स-रे के लिए रेफर करना पड़ा.” उन्होंने कहा कि भगदड़ के दौरान लोग एक दूसरे पर गिर गए थे, जिसके कारण हड्डियां टूट गईं.
इस सब के बीच, लापता लोगों की तलाश जारी है.
सेक्टर 3 के भूले भटके शिविर में, बिहार के भभुआ शहर के सतराम फर्श पर बैठे-बैठे बेसुध होकर रो पड़े. उनका बेटा जंग बहादुर सुबह 3-4 बजे से लापता है. उन्होंने कहा, “वे [अधिकारी] मेरी बात नहीं सुन रहे हैं,” ये कहकर वे फिर रो पड़े.
न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए हरियाणा के पूर्व वायुसेना अधिकारी जगदीश चंद्र मलिक ने कहा, "मैं सतराम के साथ हेल्प डेस्क पर गया था लेकिन उन्होंने उसके अनुरोध को बस इसलिए नहीं माना क्योंकि ये अपने बेटे की तस्वीर नहीं दिखा सका."
जानकी मिश्रा की मां उर्मिला देवी स्नान करने गई थीं. वह नदी किनारे से घाट पर आई ही थीं कि वे परिवार से बिछड़ गई. दिल्ली की रहने वाली मिश्रा ने कहा, "यहां झुण्ड में घूमने वाले लड़कों के शोरगुल की वजह से सुबह 7 बजे फिर भगदड़ मच गई."
उन्होंने सुबह 10 बजे गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, लेकिन तब से अधिकारियों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है.
यूपी के फर्रुखाबाद के रामकुमार जोशी को अपनी पत्नी के बारे में बात करते समय सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. 55 वर्षीय पुष्पा देवी 29 जनवरी को सुबह 4-5 बजे से लापता थीं. जोशी ने सेक्टर 4 के भूले भटके शिविर में गुमशुदगी का आवेदन दिया लेकिन फिर कुछ खबर मिलने की उम्मीद में सेक्टर 3 में केंद्र पर आ गए.
रामकुमार ने कहा, "हम एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे और घाट से 200 मीटर दूर थे, तभी अचानक वो खो गई." उन्होंने कहा कि प्रशासन को घाट में प्रवेश करने और बाहर निकलने वालों के लिए अलग-अलग रास्ते बनाने चाहिए थे.
उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से प्रशासन की कमी है."
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