हवा का हक़
मेट्रो के फैलाव में हो रही बस सेवाओं की अनदेखी, विशेषज्ञों ने सरकार को दी ये सलाह
शहर हो या गांव हर जगह निजी वाहनों का चलन बढ़ा है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम कमज़ोर होता गया है. शहरी सड़कें कारों से पटी रहती हैं और पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह नहीं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर कुछ शहरों में मेट्रो का विस्तार ज़रूर हो रहा है लेकिन आम आदमी के लिए ज़रूरी बस सेवा खस्ताहाल होती जा रही है. शहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए न तो पर्याप्त संख्या में बसें हैं और न ही वह समय से चलती हैं. इस कारण लोग या तो अपने निजी वाहन ले रहे हैं या असुरक्षित ट्रांसपोर्ट का सहारा.
कुछ राज्यों ने महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा शुरू की लेकिन उन्हें इस कारण बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. न्यूज़लॉन्ड्री को महिला यात्रियों ने बताया कि ड्राइवर उन्हें देखकर स्टैंड पर बस रोकते नहीं और कई बार “फ्री यात्री” कहकर उनका अपमान किया जाता है.
आम बजट से पहले ग्रीनपीस इंडिया ने एक ड्राफ्ट नीति तैयार कर सरकार से मांग की है कि वह पूरे देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट, विशेष रूप से बस सेवा को दुरस्त करे और इसे सभी के लिए फ्री करे. कारें सड़कों पर कम होंगी तो ज़ाहिर है प्रदूषण भी घटेगा और यातायात सुचारू भी होगा. इससे वर्कफोर्स में महिलाओं की भागेदारी भी अधिक होगी.
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