मुकेश चंद्राकर स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर एनडीटीवी के लिए काम करते थे.
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मुकेश की हत्या करके संकेत दिया गया है कि पत्रकार अपनी हदों में रहें: रवीश कुमार

छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद से देशभर के पत्रकारों में काफी रोष है. इसी कड़ी में मंगलवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में भी चंद्राकर की याद में सभा आयोजित की गई. इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, उर्मिलेश सिंह, परंजय गुहा ठाकुरता और आशुतोष भारद्वाज व अन्य सैकड़ों पत्रकार इकट्ठा हुए. जो पत्रकार मुकेश चंद्राकर को जानते थे या जिन्होंने उनके साथ काम किया, उन्होंने चंद्राकर के साथ किए काम के अनुभव को भी साझा किया. 

पत्रकारों ने बताया कि दिल्ली और छत्तीसगढ़ के जंगलों से पत्रकारिता करने में जमीन आसमान का फर्क है. छत्तीसगढ़ का पत्रकार जो झेलता है, वह दिल्ली का पत्रकार कभी सोच भी नहीं सकता है. वह जिन जोखिमों से गुजरता है, दिल्ली में बैठा व्यक्ति उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता है. बस्तर के पत्रकार को दिल्ली के पत्रकार के बराबर न नाम मिलता है और न ही पैसा. जबकि वह हमेशा जान जोखिम में डालकर अपनी पत्रकारिता करता है. 

बता दें कि 33 वर्षीय मुकेश चंद्राकर एक जनवरी की रात से ही अपने घर से लापता हो गए थे. बाद में उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है.

मुकेश चंद्राकर स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर एनडीटीवी के लिए काम करते थे. इसके अलावा वो यूट्यूब पर एक लोकप्रिय चैनल 'बस्तर जंक्शन' का भी संचालन करते थे, जिसमें वे बस्तर की अंदरूनी खबरें प्रसारित करते थे.

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