Khabar Baazi
इस बार इन्हें मिला आईपीआई-इंडिया अवार्ड
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट इंडिया अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज़्म के लिए इस वर्ष यूक्रेन और मणिपुर से आई रिपोर्टिंग को सराहा गया है. आईपीआई ने एक बयान में कहा कि जूरी ने इस बार प्रसारण श्रेणी में किसी एक को पुरस्कार देने के योग्य नहीं माना है. ऐसे में पांच पत्रकारों/संस्थानों को अवार्ड दिया गया है.
मणिपुर संघर्ष के विभिन्न पहलुओं को कवर करने के लिए पांच आवेदनों को अवार्ड देने का निर्णय लिया गया. ये अवार्ड अरुणाभ सैकिया और तोरा अग्रवाल (स्क्रॉल), विजेता सिंह (द हिंदू), ग्रीष्मा कुटार (द कांरवा), आशुतोष मिश्रा (इंडिया टुडे), और द प्रिंट को दिए गए.
प्रेस संस्थान ने कहा कि यह निर्णय उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में मानव त्रासदी के विभिन्न पहलुओं को सामने लाने के लिए मीडिया के प्रयासों को सराहना के रूप में लिया गया है.
प्रिंट श्रेणी में यह पुरस्कार भानु प्रकाश चंद्रा, द वीक के फोटो पत्रकार को उनके फोटो निबंध "Sunflower Fields and No Man’s Land" के लिए दिया गया. इस निबंध के जरिए उन्होंने यूक्रेन युद्ध से अपने अनुभवों को दस्तावेज़ किया था.
बता दें कि मणिपुर संघर्ष पिछले वर्ष प्राइमटाइम समाचार का तब हिस्सा बना, जब यौन उत्पीड़न का एक वीडियो सामने आने के बाद पीएम मोदी ने पहली बार चुप्पी तोड़ी. राज्य में 3 मई 2023 से हिंसा जारी है. लेकिन कुछ ही मीडिया संस्थानों ने पत्रकारों को राज्य में भेजकर ग्राउंड रिपोर्टिंग कराई. जबकि पीएम की अमेरिका और फ्रांस यात्राओं को प्रमुख एंकरों और संपादकों ने कवर किया. मणिपुर हिंसा मुद्दे पर कवरेज धीरे-धीरे फीकी पड़ गई है, जबकि यहां अभी भी तनाव बरकरार है.
2003 में स्थापित, यह पुरस्कार अब तक प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 मीडिया संगठनों और पत्रकारों को दिया जा चुका है. वियना में स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट एक वैश्विक संगठन है जो प्रेस स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और पत्रकारिता के अभ्यास में सुधार करने के लिए समर्पित है. चयन एक जूरी द्वारा किया गया था, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने की, और इसमें आईपीआई-इंडिया के अध्यक्ष और मलयाला मनोरमा के मुख्य सहयोगी संपादक और निदेशक रियाद मैथ्यू, कॉलम लेखिका शोभा डे, और पीटीआई के मुख्य संपादक विजय जोशी भी शामिल रहे.
झूठी जानकारी के इस दौर में, आपको ऐसी खबरों की जरूरत है जिन पर आप भरोसा कर सकें. इसलिए न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और हमारे काम को मजबूती दें.
Also Read
-
Gujarat’s invisible walls: Muslims pushed out, then left behind
-
Let Me Explain: Banu Mushtaq at Mysuru Dasara and controversy around tradition, identity, politics
-
गुजरात: विकास से वंचित मुस्लिम मोहल्ले, बंटा हुआ भरोसा और बढ़ती खाई
-
September 15, 2025: After weeks of relief, Delhi’s AQI begins to worsen
-
Did Arnab really spare the BJP on India-Pak match after Op Sindoor?