Khabar Baazi
बांग्लादेशी महिला पत्रकार पर भीड़ का हमला, भारत की एजेंट होने का लगाया आरोप
ढाका में रविवार शाम को एक वरिष्ठ बांग्लादेशी पत्रकार मुन्नी साहा को भीड़ ने उस वक्त घेर लिया जब वह अपने दफ्तर से निकल रही थीं. इस दौरान भीड़ ने उनके साथ गाली जलौज की. आरोप है कि वे बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही हैं. मामला बढ़ता देख पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. हालांकि पत्रकार भीड़ के सामने बार-बार कहती रही कि यह भी मेरा देश है.
बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुन्नी साहा एक केस में वांछित थीं, जो एक छात्र की मौत से जुड़ा है. यह घटना आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई थी, जिसने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना तक को सत्ता से हटा दिया था.
पुलिस ने बताया कि उन्हें ढाका के कावारन बाजार इलाके से बचाया गया, जहां भीड़ ने उन्हें घेर लिया था. ढाका पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी रेज़ाउल करीम मलिक ने द डेली स्टार अखबार को बताया, "उनकी स्वास्थ्य स्थिति और यह देखते हुए कि वह महिला पत्रकार हैं, हमने उन्हें रिहा कर दिया." मुन्नी साहा को अदालत से जमानत लेने और भविष्य में पुलिस की पूछताछ में सहयोग करने के लिए कहा गया है.
इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. वीडियो में मुन्नी साहा को भीड़ से घिरे हुए देखा जा सकता है. इस दौरान लोगों को कहते हुए सुना जा सकता है कि "आप इस देश को भारत का हिस्सा बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं. आपके हाथों पर छात्रों का खून लगा है." मुन्नी साहा सिर हिलाकर सभी आरोपों का खंडन करते हुए दिखाई दीं.
भीड़ में से किसी ने कहा, "आप इस देश की नागरिक होते हुए भी देश का नुकसान कैसे कर सकती हैं?" इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मैंने क्या नुकसान किया? यह भी मेरा देश है."
बता दें कि 55 वर्षीय मुन्नी साहा बंगाली चैनल एटीएन न्यूज़ की पूर्व न्यूज़ हेड हैं. शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद, उन पर और अन्य पत्रकारों पर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगाए गए थे.
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away