Video
फ्लड प्लेन पर बढ़ता अतिक्रमण, कंक्रीट की परतें और नालों की गंदगी घोंट रही दिल्ली में यमुना का दम
हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली में वायु और यमुना नदी का प्रदूषण सुर्खियों में है. एक तरफ दिल्ली की हवा की गुणवत्ता दिन प्रतिदिन गंभीर श्रेणी में जा रही है तो दूसरी तरफ यमुना के पानी में उफान मारती जहरीली गैसें और झाग (टॉक्सिक फोम) चिंता का विषय बना हुआ है. लेकिन इसके अलावा एक और चीज है जो दिल्ली की लाइफलाइन कही जाने वाली यमुना के प्राकृतिक इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा रही है. इसके फ्लड फ्लेन पर अतिक्रमण और कंक्रीट की परतों की बिछावट लगातार बढ़ रही है.
अगस्त महीने में केंद्रीय प्रदूषण नियमंत्र बोर्ड द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा यमुना के फ्लड फ्लेन में छ: जगह पर कंंक्रीट बिछाया गया है. जिसमें सूरघाट, वासुदेव घाट, बांसेरा पार्क, सराय काले खां के पास बना पीडब्ल्यूडी का कास्टिंग यार्ड, सिग्नेचर ब्रिज के पास बना दिल्ली मेट्रो का कास्टिंग यार्ड और असिता ईस्ट में कंक्रीट का जिक्र है.
फ्लड प्लेन नदी के लिए एक तरह से फेफड़े का काम करते हैं. फ्लड प्लेन नदी में आई बाढ़ को नियंत्रित करने, ग्राउंडवाटर को रिचार्ज करने के साथ-साथ नदी के प्राकृतिक इकोसिस्टम को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.
इसीलिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की बहुत ही सख्त गाइडलाइन है कि यमुना के फ्लड प्लेन में किसी भी तरह का निर्माण या कंक्रीट की बिछावट नहीं होगी. लेकिन दिल्ली में विकास और सौंदर्यीकरण के नाम पर न सिर्फ यमुना के फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण बढ़ रहा है बल्कि कंक्रीट की बिछावट भी बढ़ रही है.
दिल्ली में यमुना के फ्लड प्लेन पर बढ़ते अतिक्रमण और उसके कंक्रीटीकरण पर देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट.
Also Read
-
Forget the chaos of 2026. What if we dared to dream of 2036?
-
लैंडफिल से रिसता ज़हरीला कचरा, तबाह होता अरावली का जंगल और सरकार की खामोशी
-
A toxic landfill is growing in the Aravallis. Rs 100 crore fine changed nothing
-
Efficiency vs ethics: The AI dilemmas facing Indian media
-
Dec 24, 2025: Delhi breathes easier, but its green shield is at risk