Video
ब्यावर: ‘सरकार सूचना के अधिकार को कमज़ोर कर रही लेकिन हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई’
साल 1996, तब राजस्थान का ब्यावर एक पिछड़ा इलाका था. यह जिला भी नहीं बना था. तभी अरुणा रॉय, निखिल डे और शंकर सिंह के नेतृत्व में यहां सूचना के अधिकार (आरटीआई) को लेकर आंदोलन शुरू हुआ. यह आंदोलन मज़दूर किसान शक्ति संगठन ने किया था.
यहां के चांग गेट पर 40 दिनों का धरना हुआ. इस आंदोलन के शुरुआती दिनों में जुड़े मोहन बा, अब इस दुनिया में नहीं है. उन्होंने सूचना के अधिकार को लेकर नारा दिया था. ‘‘पहले वाले चोर भैया बंदूकों से मारते थे, अभी वाले चोर तो कलमों से मारते हैं, राज चोरों का.’’
आंदोलन की शुरुआत से जुड़े लाल सिंह कहते हैं, ‘‘हम लोग मज़दूरों के हक़ के लिए लड़ रहे थे, इस बीच हुई एक छोटी सी घटना ने सूचना को लेकर हमें जागरूक किया. उसके बाद जानने का अधिकार हमारे लिए जीने के अधिकार जैसा बन गया था. हमने तब समझा कि सूचना के बिना हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है.’’
इस आंदोलन में ज़्यादातर महिलाएं थी. स्थानीय पत्रकार और दैनिक निरंतर के संपादक और प्रमुख रामप्रसाद कुमावत इस आंदोलन को पहले दिन से कवर कर रहे थे. वो बताते हैं, ‘‘तब लोगों का मानना था कि सरकार ऐसा कोई कानून बनाने नहीं जा रही है, लेकिन साल 2005 के अक्टूबर महीने में भारत सरकार ने सूचना के अधिकार को कानूनी रूप दिया. वो बेहद ख़ुशी का दिन था.’’
इसी दिन के 19 साल पूरे होने पर ब्यावर के जवाहर भवन में 19 और 20 सितंबर को जश्न-ए- संविधान का आयोजन किया गया.
तो क्या थी वो घटना, जिसने सूचना के अधिकार का बीज डाला? और सूचना के अधिकार का आंदोलन आगे कैसे बढ़ा, क्या-क्या मुश्किलें आई. क्या आज सरकार सूचना के अधिकार को कमज़ोर कर रही है? जानने के लिए देखिए ये वीडियो.
Also Read
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
TV Newsance 317 Diwali Special: Godi hai toh mumkin hai, NDTV’s Adani makeover, Taliban flip
-
Delhi’s Diwali double standard: Markets flout cracker norm, govt’s pollution plan falters
-
‘Jailing farmers doesn’t help anyone’: After floods wrecked harvest, Punjab stares at the parali puzzle
-
South Central 47: Dashwanth’s acquittal in rape-murder case, the role of RSS in South India