मृतक रमेश की तस्वीर.
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रामलीला से भगाया, दलित ने घर आकर की आत्महत्या

सोमवार 7 अक्टूबर की सुबह उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में एक दलित व्यक्ति ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इसके पीछे की वजह बहुत हैरान करने वाली है. दरअसल, यहां के सलेमपुर बीबी गांव के 50 वर्षीय रमेश चंद्र रविवार रात (6 अक्टूबर) को अपने गांव के ही पंचायत भवन में रामलीला देखने गए थे. 

परिजनों का आरोप है कि इस दौरान वे कुर्सी पर सबसे आगे बैठ गए. उनका ऐसा करना रामलीला के आ योजकों को नागवार गुजरा. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की. जिसके बाद पुलिस रमेश को वहां से उठाकर ले गई और पिटाई कर वहां से भगा दिया. उनकी पिटाई वहां मौजूद लोगों के सामने की गई थी. जिससे वो परेशान हो गए. ये बेइज्जती उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और अगली सुबह घर पर फांसी लगा ली.

इस मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ परिजनों ने विरोध प्रदर्शन कर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कोतवाली सोरों में तहरीर दी है. जिसमें आरोप लगाया है कि इस घटना से आहत रमेश पूरी रात रोते रहे और सुबह के सात बजे के करीब आत्महत्या कर अपनी जान दे दी. 

यह तहरीर रमेश की पत्नी रामरती द्वारा दी गई है. तहरीर में लिखा है कि खाली कुर्सी पर एक दलित के बैठने की बात रामलीला के पदाधिकारियों को अच्छी नहीं लगी. इसके बाद 112 नंबर की गाड़ी पर मौजूद कांस्टेबल बहादुर और विक्रम चौधरी ने कमेटी के इशारे पर रामलीला प्रांगण में भारी भीड़ के सामने उनके पति को पीटा और जातिसूचक गालियां दीं. उनके गले में पड़े गमछे को पकड़कर खींचा और जमीन पर गिरा दिया. उन्हें लात घूंसों से भरी सभा में पीटा गया. इसके बाद वे रोते हुए अपने घर आ गए. सभा में उनके रोने का भी मजाक बनाया गया. दिमागी पीड़ा के कारण उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

रमेश एकलौते कमाने वाले थे. वे ठेले पर फेरी लगाकर सब्जियां बेचा करते थे. उनके परिवार में पत्नी और छह बच्चे हैं. चार बेटी और दो बेटे. दो बेटियों की शादी हो गई है, जबकि चार अभी नाबालिग हैं. 

इस हादसे के बाद परिजनों का बुरा हाल है. न्यूज़लॉन्ड्री से मृतक रमेश की बेटी संगीता कहती हैं, ‘‘अभी मैं बात करने की स्थिति में नहीं हूं. लेकिन एक बात जान लीजिए हमारे साथ गलत हुआ है.’’ 

संगीता ने हमें एक वीडियो व्हाट्सएप की है जिसमें उनके पिता रामलीला के दौरान कुर्सी पर बैठते हैं तभी कोई पीछे से आता है और उनके पिता का गिरेबान पकड़कर वहां से खींचकर ले ले जाता है. इसके बाद रामलीला देख रहे दर्शक खड़े हो जाते हैं. इस बीच माइक पर आवाज आती है कि बैठ जाइए कुछ नहीं हुआ है. 

7 अक्टूबर को ही रामरती ने इस मामले को लेकर शिकायत दी लेकिन तीन दिन गुजर जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई. ऐसे में मृतक रमेश के दामाद मानसिंह कहते हैं, “न एफआईआर दर्ज हुई और न ही कोई कार्रवाई हुई है. हमें न्याय कैसे और कब मिलेगा?.’’

सिंह आगे कहते हैं, “मेरे ससुर, घटना के बाद जब घर आए तो बार-बार कह रहे थे कि आज मेरी बहुत बेइज्जती हुई है. पुलिस वालों ने सबके सामने, भरी सभा में बेइज्जती की. मैं अब किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा. अब गांव वाले मेरा मजाक बनाएंगे.”

जब इस मामले को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने कोतवाली सोरों के एसएचओ भोजराज अवस्थी से बात की तो उनका दावा है कि रमेश ने उस वक़्त शराब पी रखी थी. वो कहते हैं, ‘‘ये तकरीबन रात 9 बजे की बात है, रामलीला का मंचन चल रहा था. ये व्यक्ति शराब पीकर मंच और दर्शकों के बीच खाली हिस्से में मौजूद कुर्सी पर बैठ गया. जिसकी शिकायत आने के बाद एक पुलिसकर्मी ने वहां से हटा दिया.’’

अवस्थी आगे कहते हैं, ‘‘पुलिस के हटाने के बाद रमेश अपने घर चला गया. फिर पता नहीं इनके परिवार में झगड़ा हुआ या क्या हुआ कि सुबह 7 बजे आत्महत्या कर ली. अब घर वालों का कहना है कि रामलीला में जो हुआ उससे इसका ईगो हर्ट हो गया, जिसकी वजह से फांसी लगा ली. जबकि पुलिस ने रामलीला से रात 9 बजे हटाया था और आत्महत्या सुबह में की है.’’

पुलिस के इस आरोप पर रमेश के दामाद मानसिंह कहते हैं, “मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि उस रात को उन्होंने शराब पी थी. लेकिन अगर पी भी थी तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी को पीटेंगे. कमेटी में पंडित और ठाकुर जाति के ही लोग हैं, जिनके इशारे पर उनकी पिटाई की गई थी.” 

पुलिस ने क्या कहा

क्या रमेश को रामलीला आयोजकों के कहने पर वहां से हटाया गया? इस पर एसएचओ अवस्थी कहते हैं, " मैं मौके पर मौजूद नहीं था लेकिन जैसा पता चला कि जो लोग वहां रामलीला देख रहे थे, उन्होंने एक स्वर में कहा कि दीवानजी इन्हें यहां से हटा दीजिए क्योंकि ये महिलाओं की ओर मुंह करके बैठे हुए है. वहां से हटाते हुए रमेश के साथ मारपीट नहीं की गई थी."

अब तक इस मामले में हुई कार्रवाई के सवाल पर अवस्थी बताते है? "शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. इसके अलावा दो पुलिसकर्मियों, हैड कॉन्स्टेबल बहादुर सिंह और एक सिपाही विक्रम सिंह को लाइन हाजिर किया गया है."

एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो किस आधार पर दो पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई है? हमारे इस सवाल का जवाब अवस्थी ने नहीं दिया. वो बार-बार फोन काट रहे थे.

कासगंज के अपर पुलिस अधीक्षक राजेश भारती ने मीडिया में भी जो बयान जारी किया उसमें वहीं बात दोहराई जा रही हैं, जो एसएचओ अवस्थी ने हमें फोन पर बताई.  लेकिन सवाल यही है कि आखिर कार्रवाई कब होगी?  

हमने इस बारे में रामलीला कमेटी से भी बात करने की कोशिश की. हालांकि, कमेटी वालों से संपर्क नहीं हो सका. संपर्क होने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा. 

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