Report
दिल्ली बाढ़ नियंत्रण पर उप-राज्यपाल और आप सरकार के बीच टकराव
दिल्ली के कोचिंग सेंटर में हुई मौतों ने एक बार फिर न केवल जलभराव की समस्या को उजागर किया है, बल्कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार और उपराज्यपाल प्रशासन के बीच सत्ता को लेकर खींचतान की वजह से नागरिक प्रशासन पर पड़ने वाले असर को भी सामने ला दिया है.
जहां एक तरफ पुलिस जिम्मेदार अधिकारियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज और मुख्य सचिव नरेश कुमार के बीच फरवरी से जून तक लिखे गए चिट्ठियों के सिलसिले से पता चलता है कि बाढ़ नियंत्रण के मुद्दे पर सौहार्दपूर्ण संवाद का अभाव था. न्यूज़लॉन्ड्री ने इन पत्रों को देखा है.
यह आप और भाजपा के बीच सियासी द्वंद, व दिल्ली सरकार के इस आरोप के बीच हुआ है कि उपराज्यपाल प्रशासन ने नालों की सफाई के उसके निर्देशों की अनदेखी की है. साथ ही ऐसा तीन महीने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बाढ़ के मुद्दे पर, एजेंसियों के बीच “आरोप-प्रत्यारोप” से बचने के लिए एकीकृत नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर देने के बाद हुआ.
एलजी वीके सक्सेना की पसंद माने जाने वाले कुमार का कार्यकाल पिछले साल से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दो बार बढ़ाया जा चुका है, और इस दौरान आप सरकार ने चुनी हुई सरकार के अधिकार को दरकिनार करने के कई आरोप लगाए हैं. केजरीवाल सरकार अक्सर दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार के साथ टकराव में रहती है, जिसमें एक महत्वपूर्ण पड़ाव केंद्र का विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश था, जो दिल्ली में नौकरशाहों को ट्रांसफर करने का अधिकार उपराज्यपाल को सौंपता है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले कुमार के कार्यकाल और उनके खिलाफ आप सरकार के आरोपों का विस्तृत विवरण दिया था, जिसमें भारद्वाज को “जान से मारने की धमकी”, एलजी को “सीधे” सेवा प्रस्ताव भेजना और “मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय राजधानी नगर सेवा प्राधिकरण को दरकिनार करना” शामिल थे.
पत्र
20 मई को लिखे पत्र में भारद्वाज ने कुमार को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, नगर निकायों और लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत नालों की सफाई पर स्थिति रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया था. शहरी विकास मंत्री ने एक सप्ताह के भीतर सफाई कार्य पूरा होने की समय-सीमा और मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी.
15 दिनों तक जवाब न मिलने पर मंत्री ने 5 जून को मुख्य सचिव को एक और पत्र लिखकर एक दिन के भीतर यही जानकारी मांगी. पत्र में लिखा है, "आपको याद होगा कि पिछले साल दिल्ली में मानसून के मौसम में भीषण जलभराव हुआ था. हमारे पिछले अनुभव से सभी संबंधित विभागों को इस साल दिल्ली में ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति से बचने के लिए सक्रिय होना चाहिए, लेकिन अब तक ज्यादा तैयारियां नहीं देखी गई हैं." पत्र में यह भी कहा गया है कि जलभराव से बचने के लिए गाद हटाना बहुत जरूरी है.
पत्र में आगे कहा गया, "मुझे स्थिति रिपोर्ट मांगे 15 दिन हो गए हैं, लेकिन न तो आपने स्थिति रिपोर्ट सौंपी है और न ही मेरे यूओ (अनौपचारिक) नोट का कोई जवाब दिया है. एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से यह अनअपेक्षित है."
इस बार कुमार ने उसी दिन जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने 20 मई को मंत्री महोदय का पहला पत्र प्राप्त होने पर विभागाध्यक्ष और शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा था. "इस संबंध में एसीएस (यूडी) से अभी तक कोई रिपोर्ट/प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है."
हालांकि इसमें स्थिति रिपोर्ट शामिल नहीं थी, लेकिन इसमें उल्लेख किया गया था कि दिल्ली में जलभराव का मुद्दा फरवरी से उच्च न्यायालय के "सक्रिय विचाराधीन" है, और संबंधित विभागों ने एकीकृत जल निकासी प्रबंधन प्रकोष्ठ के समक्ष अपनी कार्रवाई रिपोर्ट दायर की है, जिसने उन्हें फिर न्यायालय को सुपुर्द कर दिया.
जवाब में लिखा है, "यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि मानसून जून के अंतिम सप्ताह/जुलाई के पहले सप्ताह में दिल्ली में प्रवेश करता है, और इसलिए संबंधित विभागों द्वारा मौजूदा मुद्दों से निपटने के लिए उचित कार्रवाई की जा रही है. शहर में जलभराव से बचने हेतु उचित कार्रवाई करने के लिए अंतिम क्षणों में जागना काफी नहीं होगा, क्योंकि यह मुद्दा काफी लंबे समय से अनदेखा किया गया था."
कुमार ने मंत्री के पत्र के समय पर भी सवाल उठाया क्योंकि लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू थी. "इसके अलावा, माननीय मंत्री द्वारा आचार संहिता लागू होने के दौरान 20/5/2024 के यूओ नोट के माध्यम से इस मामले की समीक्षा करने की इच्छा, खासकर जब यह मामला पहले से ही माननीय उच्च न्यायालय के सक्रिय विचाराधीन है और मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है, स्पष्ट नहीं है."
‘बेकार बहाना’
कुमार के जवाब के बाद 14 जून को मंत्री भारद्वाज ने एक और जवाब दिया, जिसमें उन्होंने उनके पत्र की भाषा को “आपत्तिजनक” बताया. उन्होंने यह भी लिखा कि मुख्य सचिव आवश्यक जानकारी उपलब्ध न कराने के लिए “बेकार बहाना” दे रहे हैं.
केंद्रीय गृह सचिव को पत्र की एक प्रति भेजते हुए भारद्वाज ने कुमार की “देर से जागने” वाली टिप्पणी को चिह्नित किया, और उस वाक्य के संदर्भ को स्पष्ट करने के लिए कहा.
भारद्वाज ने यह शिकायत भी की कि 13 फरवरी को उनके द्वारा “दिल्ली में जलभराव से बचने के लिए वैज्ञानिक नाला प्रबंधन की व्यापक रणनीति” के संबंध में बुलाई गई बैठक में कोई भी विभागाध्यक्ष शामिल नहीं हुआ. “अधिकांश विभागों के विभागाध्यक्ष इस मामले में इस हद तक लापरवाह थे कि कोई भी विभागाध्यक्ष बैठक में शामिल नहीं हुआ.”
भारद्वाज ने 23 फरवरी को कुमार को एक अन्य पत्र में विभागाध्यक्षों की अनुपस्थिति को चिह्नित किया था, जिसमें कार्रवाई की मांग की गई थी. पिछले मानसून में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के बीच अंतर-विभागीय समन्वय की कमी के कारण, 13 फरवरी 2024 को जीएनसीटीडी के सभी संबंधित विभागों की एक बैठक बुलाई गई थी. हालांकि, यह देखा गया कि पिछले मानसून के मौसम में सामने आई स्थिति की पुनरावृत्ति से बचने के लिए सभी संबंधित विभागों को एकमत करने के लिए हुई बैठक में कोई भी विभाग प्रमुख/सचिव शामिल नहीं हुआ.
कुमार द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष चल रही रिट याचिका का संदर्भ दिए जाने पर भारद्वाज ने 14 जून के पत्र में पूछा कि क्या मुख्य सचिव को “निर्वाचित सरकार” को गाद हटाने से संबंधित जानकारी प्रदान करने से रोकने वाला कोई आदेश है. “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्य सचिव निर्वाचित सरकार के साथ साझा किए बिना ही उच्च न्यायालय में एटीआर जमा कर रहे हैं.”
आचार संहिता के संदर्भ में भारद्वाज ने दावा किया कि कुमार को अप्रैल में भाजपा उम्मीदवार रामबीर सिंह बिधूड़ी की उपस्थिति में, दक्षिण दिल्ली निर्वाचन क्षेत्रों के कुछ कॉलोनियों में आचार संहिता लागू होने के दौरान आरडब्ल्यूए सदस्यों के साथ देखा गया था.
पत्र कहता है, "मुख्य सचिव नरेश कुमार फिर से आचार संहिता का निरर्थक बहाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यह बात सभी जानते हैं कि आचार संहिता के दौरान भी विभाग की रिपोर्ट मांगने पर कोई रोक नहीं है... बेहतर होगा कि मुख्य सचिव आचार संहिता के ऐसे नियमों का सहारा न लें."
न्यूज़लॉन्ड्री ने टिप्पणी के लिए मुख्य सचिव के कार्यालय से संपर्क किया. यदि कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
Also Read
-
Lucknow’s double life: UP’s cleanest city rank, but filthy neighbourhoods
-
Govt ‘idiotically misinterpreted’ organisation’s reply: Sonam Wangchuk’s wife on FCRA license cancellation
-
Delays, poor crowd control: How the Karur tragedy unfolded
-
‘Witch-hunt against Wangchuk’: Ladakh leaders demand justice at Delhi presser
-
September 29, 2025: Another season of blame game in Delhi soon?