ढाका टाइम्स के रिपोर्टर मेहदी हसन, जो ढाका में झड़पों को कवर करते समय मारे गए।
Khabar Baazi

आरक्षण विरोधी प्रदर्शन: बांग्लादेश के सरकारी चैनल में लगाई आग, एक पत्रकार की मौत

बांग्लादेश में चल रहे आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है. अब ये प्रदर्शन जानलेवा हो चले हैं. प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने सरकारी चैनल की इमारत में ही आग लगा दी.  

दरअसल, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तनाव को शांत करने की कोशिश करते हुए सरकारी चैनल से संबोधित किया. एक दिन बाद बांग्लादेशी प्रदर्शनकारियों ने बीटीवी की इमारत में आग लगा दी. जिसमें अब तक कम से कम 39 लोग मारे गए हैं.

ढाका टाइम्स के रिपोर्टर मेहदी हसन की उसी दिन ढाका में हिंसक झड़पों को कवर करते हुए हत्या कर दी गई थी. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी मौत पुलिस की गोली में हुई या नहीं. ढाका टाइम्स के संपादक अरिउफुर रहमान डोलन ने न्यू एज को बताया कि उन्हें सिर में गोली मारी गई थी. 

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के मुक्ति संग्राम में पूर्व सैनिकों के बच्चों सहित विशिष्ट समूहों के लिए सरकारी नौकरियों में कोटा को खत्म किया जाए. उनका कहना है कि इस योजना से उन बच्चों को लाभ होता है, जो हसीना का समर्थन करते हैं और 2009 से सत्ता में हैं. 

हसीना ने सरकारी संस्थानों को कमजोर करने और असंतोष को दबाने के आरोपों के बीच लगातार जनवरी में चौथी बार चुनाव जीता था. 

ढाका में विरोध प्रदर्शन के बीच पुलिस की गोलीबारी में कई लोगों के मारे जाने के बाद लोगों ने पुलिस का पीछा करने की कोशिश की. इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने बीटीवी परिसर पर हमला कर दिया. 

एक अधिकारी ने एएफपी को बताया कि भीड़ ने नेटवर्क की रिसेप्शन बिल्डिंग और बाहर खड़े दर्जनों वाहनों को आग लगा दी. 

रॉयटर्स के अनुसार बीटीवी का प्रसारण फिलहाल बंद है.

राजधानी पुलिस बल के प्रवक्ता फारुक हुसैन ने बताया, कल झड़पों में  करीब 50 पुलिस बूथों को जला दिया गया और करीब 100 पुलिसकर्मी घायल हो गए.

पुलिस ने बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं. हसीना (76) की सरकार ने स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया है. 

प्रदर्शनकारियों की ‘हत्या’ की निंदा करने के लिए वह बुधवार रात चैनल पर दिखीं. हसीना ने कहा कि राजनीतिक झुकाव की परवाह किए बिना हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी. वहीं, पुलिस ने रबर की गोलियों और आंसू गैस के गोलों से प्रदर्शनों पर लगाम लगाने की कोशिश की लेकिन हिंसा और भड़क गई.

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को कम से कम 32 लोग मारे गए, जबकि सप्ताह की शुरुआत में सात लोग मारे गए थे.

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