Khabar Baazi
नफरती भाषण: पीएम मोदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में पीएम नरेंद्र मोदी पर चुनाव प्रचार के दौरान नफरती भाषण देने और धर्म का प्रयोग करने के आरोप लगाते हुए उन्हें चुनाव के लिए अयोग्य ठहरने की मांग की गई थी.
वहीं, एक अन्य याचिका में नफरती भाषण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पर कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को दिशानिर्देश देने की मांग की गई थी. इस याचिका को भी कोर्ट ने ठुकरा दिया.
प्रधानमंत्री मोदी को 6 साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने की याचिका फातिमा ने दायर की थी. लाइव लॉ के मुताबिक, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग के पास गए बिना सीधे अदालत में आने पर सवाल उठाया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने खुद ही अपनी याचिका वापस ले ली.
याचिकाकर्ता ने यह दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी की राजस्थान में 21 अप्रैल का भाषण आचार संहिता, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम और भारतीय दंड संहिता का उल्लंघन है. याचिका में प्रधानमंत्री पर उत्तर प्रदेश में भी ऐसी ही टिप्पणी करने की बात भी कही गई.
इसी खंडपीठ ने पूर्व नौकरशाह ईएएस शर्मा और पूर्व आईआईएम डीन त्रिलोचन शास्त्री की याचिका को भी ठुकरा दिया. लाइव लॉ के मुताबिक, दोनों ने अपनी याचिका में प्रधानमंत्री मोदी और अनुराग ठाकुर पर नफरती भाषणों को लेकर कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग को दिशानिर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कोर्ट को बताया कि 2019 में इसी तरह की याचिका की सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी और चुनाव आयोग को दिशानिर्देश दिया था. लेकिन यह मामला चुनाव खत्म होने के बाद बंद हो गया.
लाइव लॉ के मुताबिक, खंडपीठ ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका में कोर्ट मामले में दखल नहीं देगा.” हेगड़े ने खंडपीठ से भविष्य में समाधान की संभावना को अनदेखा करते हुए “वर्तमान स्थिति में” आदेश पारित करने की गुजारिश की. हालांकि खंडपीठ ने मना कर दिया.
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने भाषणों की प्रकृति को लेकर अपनी आंखें मूंद ली हैं. यह आदर्श आचार संहिता, भारतीय दंड संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने पूर्व में राजनीतिक दलों के सदस्यों द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई की है.
आम चुनावों का ऐलान हो चुका है. एक बार फिर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट के पास उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेना प्रोजेक्ट्स हैं, जो वास्तव में आपके लिए मायने रखते हैं. यहां क्लिक करके हमारे किसी एक सेना प्रोजेक्ट को चुनें, जिसे समर्थन देना चाहते हैं.
Also Read
-
TV Newsance 326: A Very Curly Tale, or how taxpayers’ money was used for govt PR
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy