Report
जनादेश 2024 एपिसोड 2: परिवारवाद का ‘खात्मा’ और भाजपा के दावों की पड़ताल
एक के बाद एक चुनावों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय मतदाताओं के बड़े हिस्से को इस विचार के साथ लुभाया है कि उनकी सरकार के तहत उनके ‘भ्रष्ट’ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का परिवारवादी शासन समाप्त हो गया है. हालांकि, उनके नेतृत्व में नई भाजपा भी परिवारवाद से अछूती नहीं है.
जितिन प्रसाद, अनुराग ठाकुर, पीयूष गोयल, बांसुरी स्वराज और रीता बहुगुणा जोशी जैसे नेताओं की मौजूदगी में मोदी के नेतृत्व वाली नई भाजपा परिवारवाद से मुक्त नहीं हो पाई है. मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराकर भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने वाले पूर्व शाही परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया भी भाजपा में ही हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार भी गुना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. वहां श्रीनिवासन जैन की उनके पुत्र और सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी महानआर्यमन सिंधिया से मुलाकात हुई. वह लोकसभा क्षेत्र के गांवों में जाकर लोगों से वोट मांग रहे थे. संभवतः यह उनके राजनीति में प्रवेश करने की तैयारी चल रही है.
हालांकि, महानआर्यमन “परिवारवाद” के आरोपों को सिरे से नकार देते हैं. वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने को राजनीति में प्रवेश से नहीं जोड़ते. उनका कहना है कि वह अपने पिता के समर्थन में वोट मांग रहे हैं. केवल जनसेवा को ही अपनी विरासत मानकर वे जोर देते हुए कहते हैं कि अभी उनका सारा ध्यान सिर्फ अपनी कंपनी पर है. उनका मानना है, “जब बेटा अपने पिता का व्यापार संभालता है तो वह परिवारवाद नहीं होता है.”
हालांकि भाजपा अपने बचाव में बेहद जटिल तर्क देती है.
अजित पवार और जयंत चौधरी जैसे वंशवादी घरानों के भाजपा से गठबंधन के प्रश्न पर एक भाजपा नेता का जवाब है, “आपको पता है कि राजा राम ने रावण को हराने में किसकी मदद ली थी? मैं इससे बड़ा उदाहरण नहीं दे सकता. रावण को खत्म करने के लिए हमें विभीषण की जरूरत है. हमारे लिए लक्ष्य ज्यादा जरूरी है.”
ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं को पार्टी द्वारा चुनाव में उतारे जाने के सवाल पर एक दूसरे भाजपा नेता कहते हैं, “इसमें परिवारवाद नहीं है. परिवारवाद तब होता है जब आपको एकदम से लांच किया जाए. महाराज सिंधिया बहुत परिश्रम करके यहां तक आए हैं. वह जनता से जुड़े हुए हैं. वह पीड़ितों और प्रभावितों के घर जाते हैं.”
लेकिन गुना के सुदूर इलाकों में विकास की हालत पतली है. लोगों का कहना है कि सिंधिया आखिरी बार वहां तब आए थे जब वह कांग्रेस में थे. इसके बावजूद, लोगों का इस घराने में विश्वास अडिग है.
एक स्थानीय व्यक्ति क्षेत्र में अबाधित बिजली नहीं मिलने और बेरोजगारी के मुद्दे को उठाते हैं. उनका कहना है कि इसके बावजूद वह भाजपा नेता सिंधिया को वोट देंगे. वे कहते हैं, “हमारा उनपर (सिंधिया) विश्वास है, वे हमारी समस्याओं का निराकरण जरूर करेंगे.”
श्रीनिवासन जैन का भाजपा के दावों की पड़ताल करता जनादेश 2024 का यह दूसरा एपिसोड.
Also Read
-
‘Foreign hand, Gen Z data addiction’: 5 ways TV anchors missed the Nepal story
-
No bath, no food, no sex: NDTV & Co. push lunacy around blood moon
-
Mud bridges, night vigils: How Punjab is surviving its flood crisis
-
Adieu, Sankarshan Thakur: A rare shoe-leather journalist, newsroom’s voice of sanity
-
Corruption, social media ban, and 19 deaths: How student movement turned into Nepal’s turning point