प्रबीर पुरकायस्थ और न्यूज़क्लिक का लोगो
Khabar Baazi

न्यूज़क्लिक मामला: आरोपपत्र दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को और 10 दिन का वक्त

न्यूज़क्लिक मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अपनी जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 10 दिन का और समय दिया है. 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर ने "केस डायरी देखने और दलीलें सुनने" के बाद ये वक्त दिया. मामले की पैरवी कर रहे सरकारी वकीलों ने कहा कि "15 मार्च को मामले की जांच के दौरान पाए गए नए दस्तावेजों का विश्लेषण करने" के लिए और अधिक समय की आवश्यकता है.

मालूम हो कि न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ अक्टूबर 2023 से तिहाड़ जेल में हैं. उनकी जमानत याचिका कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आई, सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को उनकी जांच के लिए एक स्वतंत्र बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. पुरकायस्थ के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि एम्स ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. कोर्ट अब होली की छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई करेगा.

पुरकायस्थ और न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन पर पैसे लेकर चीन समर्थित एजेंडा चलाने का आरोप है. हालांकि, न्यूज़क्लिक ने अपने ऊपर लगे आरोपों का बार-बार खंडन किया है. 

इससे पहले बीते फरवरी में, अदालत ने दिल्ली पुलिस को उसकी "धीमी" जांच के लिए फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि उसने "इतनी बड़ी साजिश में 150 दिनों में केवल दो लोगों को गिरफ्तार किया है." तब कोर्ट ने पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 20 दिन का समय दिया था. 

उल्लेखनीय है कि न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ कार्रवाई अगस्त, 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के बाद की गई. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वेबसाइट अमेरिकी टेक मुगल नेविल रॉय सिंघम द्वारा वित्त पोषित चीनी प्रोपगेंडा आउटलेट्स में से एक थी. 

इसके बाद अक्टूबर में, दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों के घरों की तलाशी ली. पुलिस ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया. दिसंबर में वेबसाइट के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए. इसके बाद इस साल जनवरी में चक्रवर्ती मामले में सरकारी गवाह बन गए. 

वेबसाइट के कार्यालय पर फरवरी 2021 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापा भी मारा गया था और सितंबर 2021 में आयकर विभाग द्वारा "सर्वेक्षण" किया गया था. 

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