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पीएम मोदी के 'करीबी' टॉरेंट ग्रुप ने खरीदे 185 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड
पांच साल पहले, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक कंपनी को 285 करोड़ रुपये के संपत्ति कर का भुगतान करने से छूट दी थी.
चुनाव आयोग द्वारा जारी डाटा से पता लगा है कि उसी कंपनी ने 7 मई, 2019 से 10 जनवरी, 2024 तक 185 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
यह टॉरेंट ग्रुप कंपनी का समूह है. जिसकी सहायक कंपनियां टोरेंट पावर लिमिटेड और टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड हैं. इसकी दोनों कंपनियां चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेज में चुनावी बॉन्ड के खरीदारों के रूप में दर्ज है.
ध्यान देने वाली बात है कि समूह के मानद चेयरमैन सुधीर मेहता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है. न्यूज़लॉन्ड्री को यह भी पता चला कि 2007 से लेकर 2014-15 तक, कंपनी ने भाजपा को 33.11 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा दिया.
चर्चा में आई ये तस्वीरें.
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कई सालों के ‘करीबी संबंध’
चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार, 7 मई और 10 मई 2019 को टॉरेंट पावर और टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स ने 14.9 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
दो हफ्ते बाद 27 मई, 2019 को राज्य सरकार ने एक सरकारी प्रस्ताव जारी किया. इसमें कहा गया कि भिवंडी नगर निगम को टॉरेंट पावर से ब्याज और जुर्माना सहित 285 करोड़ रुपये का संपत्ति कर एकत्र करने की आवश्यकता नहीं है.
प्रस्ताव में कहा गया है: “चूंकि राज्य सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि इस तरह के संपत्ति कर की वसूली अंततः भिवंडी के नागरिकों के हित में नहीं है, राज्य सरकार नगर निगम को टॉरेंट पावर से संपत्ति कर की वसूली के लिए सभी कार्यवाही वापस लेने का निर्देश दे रही है.”
यह प्रस्ताव तब जारी किया गया, जब टॉरेंट पावर ने राज्य सरकार को सूचित किया कि संपत्ति कर वसूलने से "ज़्यादा शुल्क लगेगा जो नागरिकों के हित में नहीं होगा". इसके तुरंत बाद, स्थानीय नागरिकों ने टॉरेंट पावर पर भिवंडी में "माफिया की तरह के ऑपरेशन" चलाने का आरोप लगाते हुए एक अभियान शुरू किया.
अनुमानित रूप से 37,000 करोड़ रुपये के टॉरेंट ग्रुप की शुरुआत 1940 के दशक में उत्तमभाई नाथालाल मेहता ने की थी. इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है और इसके वर्तमान अध्यक्ष सुधीर मेहता हैं.
मेहता और उद्योगपति गौतम अडानी, प्रधानमंत्री मोदी के “पुराने दोस्त” हैं. वे तब उनके साथ खड़े रहे जब 2003 में गुजरात दंगों के तुरंत बाद जब भारतीय उद्योग परिसंघ ने उस समय के मुख्यमंत्री मोदी की कड़ी आलोचना की थी. रिसर्जेंट गुजरात ग्रुप का हिस्सा होने के नाते, उन्होंने एक बयान जारी कर सीआईआई से "राज्य की छवि खराब करने का सुनियोजित प्रयास" न करने का आग्रह किया. बयान में दंगों को "एक दुर्भाग्यपूर्ण सामाजिक दुर्घटना" बताया गया था, इसके बाद सीआईआई ने मोदी से माफी मांगी.
2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स नई दवा मूल्य निर्धारण नीति के तहत अपनी नई विकसित दवा के लिए मूल्य नियंत्रण से छूट हासिल करने वाली पहली कंपनी थी. जनवरी 2015 में दिल्ली में बराक ओबामा और मोदी के बीच भारत-अमेरिका सीईओ फोरम में मेहता और अडाणी मोदी के 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. वे नवंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया में मोदी के प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे.
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यह रिपोर्ट एक सहयोगी परियोजना का हिस्सा है, जिसमें तीन समाचार संगठन - न्यूज़लॉन्ड्री, स्क्रॉल, द न्यूज़ मिनट और कई स्वतंत्र पत्रकार शामिल हैं.
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