हब पावर कंपनी के दिए गए पते पर ताला लगा मिला.
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चंदा देने वाली हब पावर पाकिस्तानी है या कोई हिंदुस्तानी शेल कंपनी? 

इलेक्टोरल बॉन्ड् खरीदने और उसे भुनाने वाले राजनीतिक दलों की सूची जारी होने के कुछ देर बाद ही हब पावर कंपनी की चर्चा शुरू हो गई. चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए डाटा के मुताबिक, इस कंपनी ने साल 2019 के अप्रैल महीने में 95 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदे. हालांकि, 2019 के बाद एक बार भी इस कंपनी द्वारा बॉन्ड खरीदे जाने की जानकारी सामने नहीं आई है. 

हब पावर कंपनी का नाम आते ही बताया जाने लगा कि यह एक पाकिस्तानी कंपनी है. जिसने पुलवामा हमले के दो महीने बाद बॉन्ड खरीदे. कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाए कि वो एक पाकिस्तानी कंपनी से चंदा ले रहे थी. यह खबर तेजी से फैली. मालूम हो कि साल 2019 में फरवरी महीने में पुलवामा हमला हुआ था. जिसमें 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे.  

गौरतलब है कि हब पावर कंपनी लिमिटेड (HUBCO) पाकिस्तान की सबसे बड़ी स्वतंत्र बिजली उत्पादक है. 

भारत सरकार, भारतीय जनता पार्टी या किसी भी जांच एजेंसी की ओर से हब पावर कंपनी को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है. तो क्या ये वाकई पाकिस्तानी कंपनी है या फिर भारत में भी ऐसी कोई कंपनी है? 

न्यूज़लॉन्ड्री की पड़ताल में सामने आया कि कॉरपोरेट मंत्रालय में इस नाम से किसी कंपनी की जानकारी दर्ज नहीं है. 

कॉरपोरेट मंत्रालय की वेब सर्च का स्क्रीनशॉट
दिल्ली के जीएसटी विभाग में दर्ज जानकारी

हालांकि, गूगल करने पर ‘हब पावर कंपनी’ के नाम से दिल्ली की गीता कॉलोनी के एक पते पर रजिस्टर एक कंपनी की जानकारी सामने आई. इसके संचालक के तौर पर रवि मेहरा का नाम लिखा था. साथ ही दिल्ली राज्य में इसके जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जानकारी भी सामने आई. 

हमारी टीम जब गीता कॉलोनी के इस पते पर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था. रवि मेहरा के बारे में पूछने पर पड़ोसियों ने बताया कि यहां रवि मेहरा नहीं रवि अरोड़ा रहते हैं. जो कि एक सरकारी कर्मचारी हैं और उनका कोई कारोबार नहीं है. 

पड़ोसी अनिल ने बताया, “रवि अरोड़ा लंबे समय तक यहां रहे हैं. उनकी पत्नी एलआईसी में काम करती हैं. पिता डीटीसी में थे और वो खुद रेवेन्यू विभाग में हैं. कोरोना के बाद वे लोग यहां से चले गए, हालांकि, घर अभी उनके नाम पर ही है. हमारी जानकारी में उनका कोई कारोबार तो नहीं था.’’

गीता कॉलोनी स्थित रवि अरोड़ा का मकान

उनके पड़ोस में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि अरोड़ा का बिजली का कारोबार है. कौन सा कारोबार, इसकी वो कोई साफ जानकारी नहीं दे पाती हैं. कहती हैं, ‘‘बिजली जब जाती थी तो हम उनके पास ही आते थे वो मदद कर देते थे.’’

इसी बीच हमने जीएसटी विभाग से इस कंपनी की डिटेल्स निकाली, जिसमें सामने आया कि यह एक फर्जी कंपनी थी. जिसे बाद में बंद कर दिया गया. 

विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “ऐसा लगता है कि यह कंपनी फर्जीवाड़ा करने के लिए ही खुली थी. जीएसटी रजिस्ट्रेशन के बाद जब हमने जांच की तो पता लगा कंपनी जो दावा करती है वो कारोबार करती ही नहीं. ऐसे में विभाग ने स्वतः संज्ञान लेकर इसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया.” 

अधिकारी ने बताया कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ तस्वीर दी गई और कोई डाक्यूमेंट उपलब्ध नहीं कराया गया. जानकारी के मुताबिक, जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए आधार और पैन कार्ड देना पड़ता है. हमने इस अधिकारी से पूछा तो वो कहते हैं, ‘‘यह सब फ्रॉड करने वाले लोग करते हैं. जब हमारी जानकारी में आ जाता है तो हम कार्रवाई करते हैं.’’

अब तक यह साफ हो गया था कि दिल्ली में रजिस्टर हब पावर कंपनी एक फर्जी कंपनी है. तो आखिर यह कंपनी है किसकी? 

जीएसटी डिटेल्स में रवि अरोड़ा का पता दर्ज है. गूगल पर नाम रवि मेहरा का है. जीएसटी रजिस्ट्रेशन में दी गई तस्वीर अरोड़ा की नहीं है. लेकिन पता उनका दर्ज है.  

हब पावर कंपनी के नाम पर जीएसटी विभाग को दी गई तस्वीर

हमने इस बारे में 2/40 गीता कॉलोनी के मालिक रवि अरोड़ा से बात की. फिलहाल, वह भारत सरकार के रेवेन्यू विभाग में प्रिंसिपल प्राइवेट सेक्रेटरी हैं. हमने उनसे पूछा कि आपके पते पर एक कंपनी रजिस्टडर्ड है, जिसने 95 लाख का बॉन्ड् खरीदा है तो क्या हब पावर कंपनी आपकी है? इस सवाल का जवाब वो ना में देते हैं. रवि कहते हैं, ‘‘जब हम वहां रहते थे तब भी हमारे यहां कई बार पुलिस आई. बैंक वाले यह कहते हुए आए कि लोन लिया गया है. हालांकि, वो शख्स जिसका नाम रवि मेहरा है वो ओल्ड गीता कॉलोनी में 2/40 के सेकेंड फ्लोर पर रहता है. उसका मुझसे कोई लेना देना नहीं.’’

न्यूज़लॉन्ड्री की टीम रवि अरोड़ा के बताए पते यानी 2/40 ओल्ड गीता कॉलोनी पहुंची. यहां 40 नंबर के तीन मकान हैं. यह रवि अरोड़ा के घर से महज सौ मीटर की दूरी पर हैं. यहां ऐसे किसी शख्स की आसपास के लोगों को जानकारी नहीं है. हमने आस-पड़ोस के लोगों से पता किया. जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए दी गई तस्वीर दिखाई लेकिन किसी ने भी उस शख्स की पहचान नहीं की. सेठी डेयरी चलाने वाले कमल सेठी कहते हैं, ‘‘हमने इस नाम के बारे में कभी नहीं सुना है. इस बिल्डिंग में तो इस नाम का कोई रहता भी नहीं था.’’ तो क्या कभी पुलिस, बैंक अधिकारी या कोई और ऐसे किसी शख्स को ढूंढते हुए यहां आए? इसका जवाब वो ना में देते हैं. 40 नंबर मकान कमल सेठी का ही हैं. 

ओल्ड गीता कॉलोनी स्थित मकान
ओल्ड गीता कॉलोनी स्थित मकान

एक ओर रवि अरोड़ा दावा कर रहे हैं कि कई बार पुलिस और बैंक वाले उनके पते पर आए है. जिन्हें उन्होंने ओल्ड गीता कॉलोनी भेजा. लेकिन दूसरी ओर वहां सालों से रह रहे लोग ऐसे किसी शख्स के होने से ही इनकार करते हैं. 

सवाल यह उठता है कि झूठ कौन बोल रहा है? और यह फर्जी कंपनी किसकी थी? क्या यह कोई शेल कंपनी थी? और क्या यह वही हब पावर कंपनी है, जिसने इलेक्ट्रोल बॉन्ड् ख़रीदे हैं? 

अभी तक जो जानकारी सार्वजनिक हुई है उस आधार पर इन सवालों का जवाब नहीं दिया जा सकता है. ना ये दावा किया जा सकता है कि ये कंपनी भारत वाली है या फिर पाकिस्तान वाली.  

भाजपा को सबसे ज्यादा चुनावी चंदा

अभी तक चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक इलेक्ट्रोल बॉन्ड् के जरिए किस दल को कितना चंदा मिला है इसकी जानकारी साझा की है. इस समयावधि में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज़्यादा 6,060 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस को 1,609 करोड़ और कांग्रेस पार्टी 1,421 करोड़ रुपये मिले हैं. सबसे ज्यादा चंदा किन कंपनियों ने दिया जानने के लिए पढ़िए न्यूज़लॉन्ड्री की ये रिपोर्ट.

एसबीआई 1 मार्च 2018 से 15 फरवरी 2024 तक 16518 करोड़ रुपये के 28030 बॉन्ड्स बेचे थे. अभी तक 12,516 करोड़ रुपये की कीमत के 18,871 बॉन्ड् की ही जानकारी सामने आई है. बाकी बचे 4002 करोड़ रुपये के बॉन्ड् की जानकारी भविष्य में आने की संभावना है. 

इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर हमारी बाकी रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं.

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