Who Owns Your Media
आपके मीडिया का मालिक कौन: विवादों और सपनों से उबरने की राह पर है न्यू इंडियन एक्सप्रेस
दक्षिण भारत में रामनाथ गोयनका की विरासत की निरंतरता का नाम है न्यू इंडियन एक्सप्रेस. और इस तरह यह उस परंपरा की भी एक कड़ी है जिसकी शुरुआत 1932 में एक्सप्रेस के संस्थापक वरदराजुलु नायडू ने तमिलनाडु में इसका पहला संस्करण प्रकाशित करके की थी. बीजी वर्गीज़ की किताब वॉरियर ऑफ द फोर्थ एस्टेट के अनुसार, इसके कम से कम पांच साल बाद गोयनका ने प्रकाशन का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में लिया था.
लेकिन द न्यू इंडियन एक्सप्रेस (टीएनआईई) का बीज एक तरह से इसके सालों बाद बोया गया, जब गोयनका ने अपने पोते-पोतियों को उनकी क्षमताओं का आकलन करने के लिए प्रबंधन में शामिल किया. वर्गीज़ की किताब बताती है कि गोयनका ने अंततः अपनी बेटियों कृष्णा और राधा के बेटों, विवेक खेतान और मनोज संथालिया को इस काम के योग्य समझा. गोयनका ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनके अपने पुत्र भगवानदास की 1979 में हृदयाघात से मृत्यु हो गई. भगवानदास अपना कोई पुरुष उत्तराधिकारी छोड़कर नहीं गए थे.
किताब में कहा गया है कि खेतान और संथालिया क्रमशः मुंबई एवं दिल्ली केंद्रों और मद्रास और दक्षिणी संस्करणों का प्रबंधन करते थे. यद्यपि गोयनका ने यह नहीं सोचा होगा कि एक्सप्रेस ग्रुप बंट जाएगा लेकिन जब 1991 में उनके निधन के बाद ऐसा हुआ तो बंटवारा इसी तर्ज पर हुआ.
लेकिन यह विभाजन आसान नहीं था.
जैसा कि न्यूज़लॉन्ड्री ने 'मीडिया का मालिक कौन' सीरीज के तहत 'द इंडियन एक्सप्रेस' से जुड़ी रिपोर्ट में बताया था:
गोयनका ने एक ट्रस्ट बनाने पर भी विचार किया था क्योंकि कुछ वरिष्ठ संपादकों और करीबी दोस्तों की तरह वह भी एक्सप्रेस को एक राष्ट्रीय संस्था मानते थे. लेकिन 1991 में एक बड़ा दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने विवेक को गोद ले लिया और नुस्ली वाडिया, वेणु श्रीनिवासन और विवेक जैसे करीबी सहयोगियों के साथ एक्सप्रेस बोर्ड का पुनर्गठन किया. लेकिन उनके इस कदम के कारण परिवार में दरार पैदा हो गई.
गोयनका ने 62.72 प्रतिशत शेयर विवेक और 33.12 प्रतिशत शेयर मनोज को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया. शेष 0.16 फीसदी हिस्सेदारी राधा संथालिया के पास रही. 1991 में गोयनका के निधन के बाद नुस्ली वाडिया ने उनके इस फैसले का मान रखा.
लेकिन मनोज और सरोज (भगवानदास की पत्नी) ने इसके खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. हालांकि, निर्णय उनके पक्ष में नहीं आया. अंततः 1995 में मनोज और विवेक के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत संथालिया ने मद्रास, बैंगलोर, हैदराबाद, कोचीन और अन्य दक्षिणी संस्करणों (और प्रकाशनों) का प्रभार संभाला, जबकि विवेक ने दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, पुणे और गुजरात के साथ-साथ फाइनेंशियल एक्सप्रेस का प्रभार अपने पास रखा. मनोज को मिले दक्षिण भारत के संस्करण मिलकर अंततः द न्यू इंडियन एक्सप्रेस बन गए.
हालांकि, शुरुआत में पूरी तरह से अलग होने की योजना नहीं थी. मार्च 1995 में इंडिया टुडे ने रिपोर्ट किया कि "निरंतरता बनाए रखने के लिए दोनों भाई संस्करणों का तुरंत बंटवारा नहीं कर रहे हैं और विज्ञापनों के लिए सभी संस्करणों का संयुक्त सर्कुलेशन बताएंगे. उन्हें कम से कम अगले 36 महीनों तक साथ रहना चाहिए".
रिपोर्ट में आगे कहा गया, "दोनों भाई न केवल विज्ञापन से मिलने वाला राजस्व (अपने संस्करणों के प्रसार के अनुपात में) आपस में बांटेंगे, बल्कि एक्सप्रेस समाचार सेवा भी साझा करेंगे जिसके तहत सभी समाचार एकत्र करने वाले कर्मचारी आते हैं. एचके दुआ उनके साझा प्रधान संपादक रहेंगे, दोनों भाइयों के करीबी सूत्रों का दावा है कि उनकी संपादकीय नीति और कंटेंट भी लगभग एक जैसा रहेगा."
उस समय दोनों भाइयों की उम्र 37 साल थी.
वर्गीज़ की किताब के अनुसार, मनोज की मां राधा विकलांगता से पीड़ित थीं और 1965 में उनके पति श्याम सुंदर संथालिया का किडनी फेल होने के कारण निधन हो गया. मनोज के बड़े भाई अनिल भी मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं. इसलिए, 1995 के अदालती फैसले ने मनोज और विवेक के बीच समझौते को अंतिम रूप देने के अलावा, अनिल के हित, शेयर और भविष्य की वित्तीय स्थिति का भी ख्याल रखने के लिए एक समाधान तलाशने का आदेश दिया. इस उद्देश्य के लिए, कोर्ट ने आदेश दिया: मनोज कुमार संथालिया तत्काल एक ट्रस्ट स्थापित करें और उसे अनिल कुमार संथालिया और उनके आश्रितों, उत्तराधिकारियों और आनेवाली प्रत्येक पीढ़ी में उनके कानूनी प्रतिनिधियों के लाभ के लिए उपलब्ध कराएं. और आज (9 मार्च, 1995) से एक सप्ताह के भीतर 1 करोड़ रुपए का योगदान उक्त ट्रस्ट को देने के लिए उक्त राशि श्री एन राम, संपादक, फ्रंटलाइन के पास जमा करें.
एन राम और वरिष्ठ वकील एनआर चंद्रन को ट्रस्टी नियुक्त किया गया. वे ट्रस्ट के प्रबंधन के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार थे, और इसके लिए प्रशासनिक खर्चों को छोड़कर वह किसी भी तरह का वेतन नहीं ले सकते थे. उनके कामकाज पर किसी भी दूसरे पक्ष का नियंत्रण या निर्देशन नहीं था.
इसके अलावा, उनके लिए आवश्यक था कि इस पैसे का निवेश वह अधिकतम लाभ कमाने के लिए करें. उन्हें यह भी सुनिश्चित करना था कि कोष घटे नहीं और प्रयास करना था कि मासिक आय 1 लाख रुपए से कम न हो. उनसे अपेक्षा थी कि वह ट्रस्ट को होने वाले लाभ से अनिल और उनके आश्रितों के सुखमय जीवनयापन के लिए जरूरी वित्त उपलब्ध कराएंगे और उनकी पत्नी वीणा देवी की मांगों को स्वीकार करेंगे, सिवाय इसके कि जहां उन्हें यह मांगे अनावश्यक लगें. किसी भी ट्रस्टी की मृत्यु या अयोग्य हो जाने की स्थिति में जीवित ट्रस्टी को किसी व्यक्ति को नामांकित करने का अधिकार होगा, और नामांकित व्यक्ति तदनुसार जीवन भर ट्रस्टी रहेगा.
उस समय, इंडिया टुडे ने यह भी रिपोर्ट किया था कि इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व वित्तीय सलाहकार गुरुमूर्ति, संथालिया के प्रमुख सलाहकार के रूप में उभर रहे थे और इससे दक्षिण में कर्मचारियों के बीच घबराहट पैदा हो गई थी कि क्या गुरुमूर्ति के आरएसएस समर्थक विचारों का प्रभाव न्यू इंडियन एक्सप्रेस पर होगा. अप्रैल 2023 में कारवां ने भी गुरुमूर्ति की प्रोफाइल में उनके और संथालिया के बीच की नजदीकियों को उजागर किया था.
बंटवारे के बाद - नया नाम, नया तरीका
1997 में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की प्रमुख कंपनी का नाम इंडियन एक्सप्रेस (मदुरै) प्राइवेट लिमिटेड से बदलकर एक्सप्रेस पब्लिकेशन्स (मदुरै) लिमिटेड कर दिया गया.
बंटवारे के लगभग एक दशक बाद, 2004 में एक्सचेंज4मीडिया ने संथालिया के एक साक्षात्कार में बताया कि वह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और भारतीय जनसंचार संस्थान के निदेशक मंडल के सदस्य होने के साथ-साथ विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए बने बाला मंदिर कामराज ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे.
इस साक्षात्कार में समूह में हुए परिवर्तनों का पता चला. संथालिया ने कहा कि टीवी, रेडियो और इंटरनेट जैसे प्लेटफार्मों के होते हुए, प्रिंट से ब्रेकिंग न्यूज़ की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन, उन्होंने कहा, कि "द एक्सप्रेस ग्रुप" सफल है क्योंकि वह अभी भी न्यूज़ ब्रेक करते हैं. "कभी-कभी हमारी इनवेस्टिगेटिव स्टोरीज़ इतनी महत्वपूर्ण होती हैं कि टीवी चैनल उन्हें बहस का मुद्दा बना लेते हैं."
पाठकों की पसंद और बाज़ार की ज़रूरतों को देखते हुए, संपादकीय नीति भी बदल रही थी. उन्होंने कहा, “इसलिए हम राजनीति तक ही सीमित नहीं हैं जैसे ज्यादातर अखबार 1980 के दशक तक थे. जीवन के अन्य पहलू भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं और हम उनके साथ तालमेल बिठा रहे हैं...फिर भी, अन्याय, अपराध और बेईमानी के बारे में ख़बरें हमेशा प्रासंगिक रहेंगी".
नागरिक मुद्दों को भी प्रमुखता मिल रही थी. उन्होंने कहा, “लोग स्थानीय मुद्दों के बारे में जागरूक हो गए हैं...हमारा पाठक वर्ग अब डेमोग्राफिक रूप से बहुत अधिक विविध है, और हम उनकी रुचियों का ध्यान रखते हैं... हम जानते हैं कि नई प्रौद्योगिकियां, नौकरी भर्तियां, कॉर्पोरेट समाचार, फैशन और मनोरंजन के उभरते ट्रेंड्स, स्वास्थ्य जानकारी और महिलाओं के मुद्दे भी आधुनिक पाठकों के रुचि के विषय हैं. लेकिन हमने अपने सिटी सप्लीमेंट्स, सिटी एक्सप्रेस और एक्सप्रेस वीकेंड पर मेहनत की है, और नागरिक अभियान इन सप्लीमेंट्स की विशिष्टता हैं.”
समूह न्यूज़प्रिंट की गुणवत्ता में भी महत्वपूर्ण सुधार कर रहा था, और विज्ञापन स्पेस को कॉलमों की जगह वर्ग सेंटीमीटर में नापा जा रहा था. संथालिया ने उपरोक्त इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने indiavarta.com के साथ इंटरनेट पर भी शुरुआत की है. लेकिन यह लिंक अब काम नहीं कर रहा है, और समूह की वेबसाइटों पर भी इसका ज़िक्र नहीं है. इसके अलावा, ऐसे ही नाम वाली एक डिजिटल इकाई, इंडिया वार्ता न्यूज़, का समूह से कोई संबंध नहीं दिखता है.
उक्त साक्षात्कार में संथालिया ने खुलासा किया था कि उच्च नेट-वर्थ वाले लोग ही उनके टारगेट ऑडियंस थे.
“द न्यू इंडियन एक्सप्रेस स्पष्ट रूप से हमारा प्रमुख ब्रांड है... हमारे तामिल दैनिक दिनमणि के पाठकों की प्रोफ़ाइल कई प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों के पाठकों की तुलना में अधिक है. इसी तरह, हमारी मलयालम पत्रिका, समकलिका मलयालन वारिका, मलयाली लोगों में सबसे अधिक बौद्धिक और अभिजात वर्ग द्वारा पढ़ी जाती है.
पांच अन्य कन्नड़ दैनिकों से गहन प्रतिस्पर्धा के बावजूद, कन्नड़ प्रभा उन जानकार पाठकों की पसंद बनी हुई है जो निष्पक्ष, विश्वसनीय समाचार रिपोर्ट चाहते हैं.”
कुल मिलाकर, संथालिया इस बात से उत्साहित दिखे कि इन सुधारों से कंपनी को "विकास की एक नई गति" मिलेगी. उन्हें उम्मीद थी कि एक या दो साल के बाद "कंपनी अपने अब तक के सबसे सफल (वर्षों) का अनुभव करेगी".
बड़े सपने और बढ़ते विवाद
2007 में मिंट ने रिपोर्ट किया कि एक्सप्रेस पब्लिकेशंस (मदुरै) लिमिटेड की योजना आईपीओ लॉन्च करने की है. इससे पहले कंपनी ने एक प्राइवेट इक्विटी फर्म को हिस्सेदारी बेचने की भी योजना बनाई थी.
संथालिया ने मिंट से कहा था, "कंपनी बड़े पैमाने पर विस्तार की योजना बना रही है और इन माध्यमों से जुटाए गए फंड से इसे परिचालन और विस्तार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी."
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थी. “पिछला कुछ समय हमारे लिए उथल-पुथल भरा रहा और हमने मार्केट का फ़ायदा नहीं उठाया. लेकिन अब हम सभी प्रकाशनों को विकास करने के लिए सक्रिय कर रहे हैं.”
वित्तीय वर्ष 2007 में कंपनी का घाटा 15.4 करोड़ रुपए था, और ईपीएमएल ने अपनी अधिकृत पूंजी (सर्वाधिक शेयर कैपिटल) 12 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 16 रुपए रुपये और वित्तीय वर्ष 2009 में 18 करोड़ रुपए कर दी.
मिंट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि समूह का लक्ष्य द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के सर्कुलेशन को बढ़ाकर दस लाख करना और पाठक संख्या चालीस लाख करना था, यह देखते हुए कि द हिंदू तमिलनाडु में अग्रणी था, और डेक्कन क्रॉनिकल और टाइम्स ऑफ इंडिया हैदराबाद और बेंगलुरु में अग्रणी थे.
गौरतलब है कि समूह में सबसे अधिक सर्कुलेशन टीएनआईई और न्यू संडे एक्सप्रेस पत्रिका का था, कम से कम 2011 और 2023 की अवधि के बीच (जिसका सर्कुलेशन डेटा कंपनी के दस्तावेजों में उपलब्ध है, 2013 और 2014 को छोड़कर). हालांकि, 2011 में टीएनआईई के सर्कुलेशन के चरम पर भी यह पांच लाख तक भी पहुंचने में कामयाब नहीं हुआ.
2010 में समूह के दैनिक कन्नड़ प्रभा, उसके अधीनस्थ ब्रांड और संबंधित संपत्तियां सभी कन्नड़ प्रभा पब्लिकेशंस लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी गईं.
2011 के मध्य तक केपीपीएल की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी एशियानेट न्यूज नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी गई थी, जिसके प्रमोटर भाजपा राजनेता राजीव चन्द्रशेखर हैं.
एएनएन ने कथित तौर पर इसके लिए करीब 150 करोड़ रुपए दिए थे.
उसी वर्ष समूह ने अपनी बी2बी पत्रिका ऑल दैट ग्लिटर्स को बंद कर दिया, और अगस्त 2012 में इसे फिर से लॉन्च किया, जिसमें धनी पाठकों को लक्षित करते हुए लग्जरी आभूषण और घड़ियों के ब्रांडों पर ध्यान केंद्रित किया गया था. क्रमशः अप्रैल और जून 2011 में, इसने दिल्ली में संडे स्टैंडर्ड और दिनमणि भी लॉन्च किया.
इसके कुछ ही समय बाद द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के विवेक गोयनका ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक्सप्रेस पब्लिकेशन (मदुरै) लिमिटेड के खिलाफ मामला दायर किया कि वह संडे स्टैंडर्ड में द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को एक ब्रांड के रूप में प्रदर्शित कर रहे हैं.
डीएनए ने रिपोर्ट किया कि गोयनका के अनुसार, इससे 1995 के समझौते का उल्लंघन हुआ था, जिसके तहत समूह को केवल तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और उड़ीसा में इस शीर्षक का उपयोग करने की अनुमति थी.
द इंडियन एक्सप्रेस समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीएनए को बताया, "मुद्दा साप्ताहिक का नहीं है, बल्कि संडे स्टैंडर्ड के विभिन्न हिस्सों में द न्यू इंडियन एक्सप्रेस शीर्षक के उपयोग को लेकर है. जब तक वे इस शीर्षक का उपयोग नहीं करते हैं, हमें संडे स्टैंडर्ड से कोई समस्या नहीं है."
टीएनआईई के वकील की दलील थी कि शीर्षक एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है, यह संगठन का विशेषाधिकार है कि वह इसे अपनी इच्छानुसार कहीं भी उपयोग कर सके.
इस समय, दोनों समूहों के बीच विज्ञापन राजस्व से संबंधित एक और विवाद पहले से ही चल रहा था.
12 अगस्त 2005 के एक समझौते के अनुसार, ईपीएमएल और द इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर्स मुंबई लिमिटेड (आईईएनएम) दोनों में प्रकाशित विज्ञापनों से प्राप्त राजस्व एबीसी सर्कुलेशन आंकड़ों के आधार पर दोनों के बीच शेयर किया जाना था. एबीसी ऑडिट के अनुसार, आईईएनएम की ओर से एबीसी आंकड़े न मिलने पर ईपीएमएल ने अपने स्वयं के आंकड़ों और 2000 में प्राप्त आईईएनएम के सर्कुलेशन डेटा के आधार पर, राजस्व में अपनी हिस्सेदारी 55 प्रतिशत तय कर ली.
इसलिए, ईपीएमएल के हिसाब से वित्तीय वर्ष 2006, 2007 और 2008 के लिए 12.18 करोड़ रुपए की 'कंटिंजेंट इनकम' (ऐसी आय जो किसी तीसरे पक्ष के कार्यों पर निर्भर हो) उसे मिलनी चाहिए थी. आईईएनएम ने इसे असहमति जताई. फलस्वरूप ईएमपीएल बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक दीवानी मुकदमा दायर किया और अदालत से एबीसी प्रमाणित सर्कुलेशन आंकड़ों के आधार पर या 1 अप्रैल, 2005 से एबीसी दिशानिर्देशों के अनुसार उक्त समझौते के संदर्भ में सही और विश्वसनीय विवरण प्रस्तुत करने का आदेश देने की गुहार लगाई.
वित्तीय वर्ष 2023 के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, मुकदमा अभी भी अदालत में लंबित है, और अंतिम राशि कोर्ट के फैसले और/या विवाद के आपसी निपटारे पर निर्भर करेगी. हालांकि ऐसा लगता है कि 2005 का समझौता 2011 में समाप्त हो चुका है.
ईएमपीएल की 2012 की वार्षिक रिपोर्ट में उस साल को 'फिर से एक नई शुरुआत' का साल माना गया, क्योंकि प्रकाशन "जनवरी-फरवरी 2011 से इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर्स मुंबई लिमिटेड के साथ समझौते की समाप्ति के बाद, ऑल-इंडिया मार्केटिंग के फायदे के बिना बाज़ार में उतरा था".
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि वित्तीय वर्ष 2012 की पहली और दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही के शुरुआती दिनों में, प्रकाशन की विज्ञापन आय लगातार गिरती रही. लेकिन अक्टूबर से इसमें सुधार हुआ और समझौते की समाप्ति के प्रभाव को छोड़ दिया जाए तो यह तेजी से बढ़कर "26.4 प्रतिशत" तक पहुंच गई. गौरतलब है कि (2012 में) विज्ञापन से होने वाली आय पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 3.4 प्रतिशत अधिक थी.
2013 में एक और विवाद पैदा हुआ. बिजनेस स्टैंडर्ड ने रिपोर्ट किया कि एएनएन केपीपीएल पर 100 प्रतिशत नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर रही थी, जबकि संथालिया नियंत्रण वापस पाने की कोशिश कर रहे थे.
कंपनी के दस्तावेज़ों से संकेत मिलता है कि अगस्त 2014 में उसने 2010 के शेयरहोल्डिंग समझौते के अनुसार कुछ विवादों पर एशियानेट न्यूज़ नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आपसी सुलह और मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की थी. एएनएन ने भी ईएमपीएल के खिलाफ कार्यवाही शुरू की और उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए केपीपीएल और ईएमपीएल दोनों के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ बोर्ड ट्रिब्यूनल के समक्ष एक याचिका दायर की. हालांकि एनसीएलटी ने 2019 में मामले को खारिज कर दिया, उसने एएनएनपीएल को वित्तीय संकट से निपटने के लिए केपीपीएल में पैसा डालने की अनुमति दे दी. इसके बाद, ईएमपीएल ने एनसीएलएटी में अपील दायर की. 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार यह मुकदमा भी अभी लंबित है.
अगले कुछ वर्षों में विस्तार और पुनर्गठन का कार्य किया गया. 2016-17 के आसपास, समूह ने त्रिशूर, कन्नूर, श्रीकाकुलम और नागपट्टिनम में चार नए प्रिंटिंग केंद्र खोले. लेकिन इसी दौरान इसकी दो अर्धमासिक पत्रिकाओं ने प्रकाशन बंद कर दिया: सिनेमा एक्सप्रेस, एक तमिल पत्रिका जो डिजिटल न्यूज़पेपर सदस्यता सेवा मैग्ज़टर पर पहली बार जनवरी 2013 में दिखाई दी थी, और सखी, एक कन्नड़ पत्रिका जो नवंबर 2012 में मैग्ज़टर पर दिखनी शुरू हुई थी.
हालांकि, सिनेमा एक्सप्रेस का डिजिटल अवतार, www.cinemaexpress.com
अभी भी चालू है. इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने तक सिनेमा एक्सप्रेस के इंस्टाग्राम पर 8,500 से अधिक फॉलोअर्स थे, एक्स पर 17 हजार से अधिक, फेसबुक पर 37 हजार और 2017 में शुरू हुए इसके यूट्यूब चैनल के 175 हजार से अधिक ग्राहक थे.
वित्तीय वर्ष 2018 में, ग्नयिरू कोंडट्टम को दिनमणि के साथ फिर से लॉन्च किया गया था. उसी साल, दिल्ली में 1940 के दशक का लोकप्रिय बॉम्बे प्रकाशन द मॉर्निंग स्टैंडर्ड लॉन्च हुआ, जो बाद में गोयनका एक्सप्रेस समूह का हिस्सा बन गया.
इसके (संभावित) पाठकों को संबोधित करते हुए द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में संथालिया ने एक पत्र लिखा, जिसकी शुरुआत में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टीएमएस का "दिल्ली के अख़बारों की भीड़ में एक और नाम" बनने का कोई इरादा नहीं था. यह संस्करण आम जनता के लिए नहीं बल्कि "उन हजारों लोगों के लिए था जो लाखों लोगों का नेतृत्व करते हैं" और इसका उद्देश्य था "सरकार और लोगों के बीच सहयोग को बेहतर बना कर" देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना.
पाठकों को लिखे इस पत्र में संथालिया ने इस बात पर भी जोर दिया था कि "हम कोई राजनैतिक विचारधारा नहीं अपनाएंगे क्योंकि हमारी पार्टियों या विचारधाराओं के प्रति कोई निष्ठा नहीं है".
उन्होंने कहा, "हमारी एकमात्र विचारधारा है आम लोगों की भलाई. हम विश्लेषण और सोच-समझकर की गई रचनात्मक आलोचना की भावना का समर्थन करते हैं... हम उन लोगों के पक्ष में हैं जो चाहते हैं कि भारत सभी के लिए सम्मान साथ और किसी के लिए भी दुर्भावना के बिना आधुनिक तर्ज पर विकसित हो".
इसलिए, यह विडंबना ही थी कि 2018 में तहलका के सह-संस्थापक अनिरुद्ध बहल द्वारा शुरू किए गए कोबरा पोस्ट ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया और आरोप लगाया कि कई अन्य मीडिया घरानों के अलावा टीएनआईई समूह भी 2019 चुनाव से पहले करोड़ों रुपयों के बदले में हिंदुत्व अभियान चलाने के लिए तैयार था.
टीएनआईई ने इस दावे का खंडन किया और एक पत्र में कहा कि किसी एड कैंपेन के बारे में चर्चा को संपादकीय मामलों से नहीं जोड़ा जा सकता है. इसके अलावा, उक्त एड कैंपेन को लेकर भी कोई अंतिम सहमति नहीं बनी थी. 2019 में एनसीएलटी की मंजूरी के साथ ईपीएमएल ने अपना नाम बदल दिया ताकि पब्लिक से प्राइवेट में बदलाव को दर्शाया जा सके.
नवंबर 2019 से जनवरी 2020 तक ग्नयिरु कोंडट्टम और कादिर के अपने अलग अंक मैग्ज़टर पर उपलब्ध हैं. उसके बाद इन्हें दिनमणि की सदस्यता के साथ जोड़ दिया गया. 2019 के अंत से 2020 की शुरुआत तक, इलैगनरमानी, मगलिरमानी और सिरुवरमणि भी मैग्ज़टर पर व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध थे. लेकिन उन्हें भी बंडल कर दिया गया, और दिनमणि की ई-पेपर वेबसाइट पर उनका आखिरी अंक अप्रैल 2022 में था.
वर्तमान पोर्टफोलियो
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023 तक न्यू इंडियन एक्सप्रेस समूह के 31 प्रिंटिंग और प्रकाशन केंद्र हैं, और यह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, उड़ीसा और केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में समाचार पत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित करते हैं. 2019, या महामारी से पहले, यह संख्या 33 थी, जिसमें पांडिचेरी का एक पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेश यानम शहर भी शामिल था. इसके कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में भी मार्केटिंग कार्यालय हैं.
कंपनी की प्रिंट शाखा ईपीएमएल के प्रकाशनों में शामिल हैं- अंग्रेजी दैनिक द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, द न्यू संडे एक्सप्रेस, द मॉर्निंग स्टैंडर्ड (नई दिल्ली और एनसीआर के लिए) और नई दिल्ली में रविवार को प्रकाशित द संडे स्टैंडर्ड.
तमिल में इसका एक समाचार दैनिक दिनमणि है, और मलयालम में यह एक साप्ताहिक समकलिका मलयालम वारिका प्रकाशित करता है.
मैग्ज़टर के अनुसार, अकेले टीएनआईई के मंगलुरु, बेंगलुरु, नागापट्टिनम, कोझीकोड, वारंगल, चेन्नई, मैसूर, हैदराबाद, कोच्चि, भुवनेश्वर, जेपोर, मदुरै, विशाखापत्तनम, तिरुवनंतपुरम, कोयंबटूर, विजयवाड़ा, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरूपति, कोल्लम, हुबली, कन्नूर, कोट्टायम, शिवमोग्गा, तिरुनेलवेली, वेल्लोर, विल्लुपुरम, बेलगावी, अनंतपुर, ताडेपल्लीगुडेम, धर्मपुरी, संबलपुर और कलबुर्गी में कुल 31 संस्करण छपते हैं.
लेकिन दिनमणि का एक संस्करण अधिक है, इसके चेन्नई, बेंगलुरु, नई दिल्ली, मदुरै, कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, कन्याकुमारी, कांचीपुरम, पुडुचेरी, तिरुवरुर, वेल्लोर, विल्लुपुरम, तिरुनेलवेली, कराईकल, सलेम, थूथुकुडी, तिरुवल्लुर, पेरम्बलुर और अरियालुर, कुड्डालोर, इरोड और ऊटी, डिंडीगुल और थेनी, धर्मपुरी, करूर, नागपट्टिनम, नामक्कल, पुदुक्कोट्टई, रामनाथपुरम और शिवगंगई, तेनकासी, तंजावुर, तिरुप्पुर, तिरुवन्नामलाई और विरुधुनगर में 32 संस्करण हैं.
गौरतलब है कि द न्यू संडे एक्सप्रेस, जो चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोच्चि और भुवनेश्वर में डेली लाइफस्टाइल समाचारों को कवर करता था, 8 दिसंबर, 2019 से 5 जुलाई, 2020 तक केवल छह महीने के लिए मैग्ज़टर पर उपलब्ध था.
द संडे स्टैंडर्ड, जिसका मैग्ज़टर पर पहला अंक नवंबर 2019 का है, वह भी जुलाई 2020 के बाद इस पर दिखना बंद हो गया. मॉर्निंग स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर द संडे स्टैंडर्ड और द संडे स्टैंडर्ड मैगज़ीन दोनों के नवीनतम ई-पेपर अंक उपलब्ध हैं.
इंडल्ज, द मॉर्निंग स्टैंडर्ड कोलकाता में समूह की साप्ताहिक टैब्लॉइड पत्रिका है. अन्य शहरों में, इसे बस इंडल्ज कहा जाता है, और इस पर टीएनआईई का लोगो होता है.
पत्रिका की वेबसाइट पर इसके चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद के संस्करणों को सब्सक्राइब किया जा सकता है और इसके कोच्चि और कोयंबटूर संस्करणों को पढ़ा जा सकता है.
पत्रिका का एक लाइफस्टाइल-केंद्रित डिजिटल अवतार भी है जिसे इंडल्ज एक्सप्रेस कहा जाता है. इसकी वेबसाइट indulgexpress.com पर फ़ूड, फैशन, कला, संस्कृति और मनोरंजन से जुड़ी रोचक जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जिसमें प्रियंका चोपड़ा से लेकर एलन वॉकर तक ए-लिस्टर्स की वीडियो स्टोरीज़ भी शामिल हैं.
इस पर वेलनेस, कार, बाइक, गैजेट्स और ओटीटी के नवीनतम कंटेंट पर साप्ताहिक कॉलम भी छापे जाते हैं.
वेबसाइट के ज़रिए इसके सभी सोशल मीडिया हैंडलों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. यूट्यूब पर इसके 51.2K सबस्क्राइबर्स हैं. ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फॉलोअर्स की संख्या क्रमश: 2,887, 20 हजार और 31.5 हजार है.
इंडल्ज एक्सप्रेस ब्रांड के तहत समूह ने एक पॉडकास्ट, द इंडल्ज पॉडकास्ट पर भी काम किया है. स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स जिओ सावन, गाना और स्पॉटीफाई पर इसका पिछला एपिसोड सितंबर 2022 का और यूट्यूब पर अक्टूबर 2023 का है.
समूह की वेबसाइटें और इसके प्रकाशनों के ई-पेपर संस्करण जो मैग्ज़टर पर जाते हैं, कंपनी की डिजिटल शाखा और ईपीएमएल की सहायक कंपनी एक्सप्रेस नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत आते हैं.
लेकिन डिजिटल स्पेस का सबसे बड़ा हिस्सा प्रमुख समाचारपत्र टीएनआईई के पास है. इसके एक्स पर 489.2 हजार फॉलोअर्स, फेसबुक पर 2.9 मिलियन और यूट्यूब पर 202 हजार सबस्क्राइबर्स हैं. इसके ई-पेपर ऐप्स गूगल प्ले और एप्पल पर उपलब्ध हैं.
दिनमणि की उपस्थिति केवल यूट्यूब पर है. इसके 107 हजार से अधिक ग्राहक हैं. लेकिन टीएनआईई के विपरीत, यह लाइवस्ट्रीम नहीं करता है.
अगला नंबर समकलिका मलयालम वारिका है. हालांकि, एक्स पर इसके केवल 1,088 फॉलोअर्स हैं और फेसबुक पर इसके 2010 में बनाए गए एक अनौपचारिक पेज पर कोई पोस्ट नहीं है, लेकिन इंस्टाग्राम पर इसके 25 हजार से अधिक फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 83 हजार सबस्क्राइबर्स हैं. यह भी लाइवस्ट्रीम नहीं करता है.
द मॉर्निंग स्टैंडर्ड के फेसबुक पर 1.1 हजार फॉलोअर्स हैं, जबकि एक्स पर 2,764 अकाउंट इसे फॉलो करते हैं. एक्स पर 8,536 फॉलोअर्स के साथ द संडे स्टैंडर्ड का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर है, लेकिन यह किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर नहीं है. न्यू संडे एक्सप्रेस अलग से सोशल मीडिया पर मौजूद नहीं है.
अपने प्रकाशनों के डिजिटल संस्करणों के अलावा, छात्रों और युवाओं के लिए टीएनआईई समूह का एक शैक्षिक पोर्टल एडेक्सलाइव भी है.
मैग्ज़टर के अनुसार, मार्च से जुलाई 2020 तक कुछ समय के लिए एडेक्स ने एक पत्रिका भी प्रकाशित की. जिसके कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में संस्करण थे. जबकि इंस्टाग्राम और एक्स पर इसके फॉलोअर्स क्रमशः 1,929 और 3,647 हैं, 26.3 हजार सबस्क्राइबर्स के साथ यूट्यूब पर इसकी पहुंच काफी बेहतर है.
इस सब से दो पैटर्न उभर कर सामने आते हैं. एक, इसके कई प्रकाशन, जैसे - ग्नयिरु कोंडाथन, इलैगनरमानी, सिरुवरमानी, न्यू संडे एक्सप्रेस, संडे स्टैंडर्ड, और एडेक्स मैगज़ीन- 2020 में (कम से कम मैग्ज़टर पर, और इसलिए संभवतः प्रिंट में भी) छपना बंद हो चुके हैं.
और दूसरा, यूट्यूब डेटा का विश्लेषण करने पर हमने पाया कि समूह की डिजिटल और सोशल मीडिया रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह प्लेटफ़ॉर्म और इस पर दी गई वीडियो स्टोरीज़ हैं.
टीएनआईई और दिनमणि यूट्यूब से जुड़ने वाले इसके पहले ब्रांड थे, जो लगभग 11 साल पहले या 2013-14 में इस प्लेटफॉर्म पर आए थे. लेकिन उन्होंने लगभग छह साल पहले ही इसपर गंभीरता से पोस्ट करना शुरू किया. टीएनआईई ने भी चार साल पहले लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की थी.
अन्य प्रकाशनों, जैसे इंडल्ज, सिनेमा एक्सप्रेस और मलयालम वारिका ने लगभग पांच साल पहले अपनी यूट्यूब यात्रा शुरू की थी. हालांकि, वीडियो कंटेंट में उल्लेखनीय वृद्धि लगभग तीन साल पहले, या महामारी के शुरुआती दिनों में 2020 में शुरू हुई थी.
अंत में, इवेंट एक्सप्रेस इसकी फुल-सर्विस इवेंट प्रबंधन कंपनी है जो समूह के साथ-साथ दूसरों के लिए भी इवेंट प्लानिंग और कार्यान्वयन करती है. वेबसाइट के अनुसार, इसका नेतृत्व प्रभु चावला कर रहे हैं, जो द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और द संडे स्टैंडर्ड के संपादकीय निदेशक भी हैं.
स्वामित्व का पैटर्न
समूह की प्रमुख कंपनी एक्सप्रेस पब्लिकेशंस (मदुरै) लिमिटेड के सबसे अधिक शेयर्स सिद्धार्थ मीडिया होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड के पास हैं. 2023 की अंतिम उपलब्ध शेयरधारकों की सूची के अनुसार, कंपनी के 18,00,000 शेयरों में से इसके पास 17,99,998 (या 99 प्रतिशत) शेयर हैं.
नॉमिनी के रूप में एक-एक शेयर मनोज और कल्पना के पास हैं. हालांकि, 2020 तक सिद्धार्थ मीडिया के पास चार शेयर कम थे- जिनमें से एक-एक शेयर सिद्धार्थ संथालिया, आर के झुनझुनवाला, सती सुरेश और एन गोपालन के पास था.
अमृता एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के पास ईपीएमपीएल के 10,000 डिबेंचर हैं जिनमें से हर एक की कीमत 10,000 रुपए है.
इस प्रकार सिद्धार्थ मीडिया होल्डिंग्स के सबसे बड़े मालिक मनोज संथालिया हैं, जिनके पास कंपनी के 3,58,427 शेयरों में से 3,58,307 (99.9 प्रतिशत) शेयर हैं. उनकी पत्नी कल्पना संथालिया और बेटे के पास 60-60 शेयर हैं.
ईपीएमपीएल के अलावा, सिद्धार्थ मीडिया की सहायक कंपनियां हैं इवेंट एक्सप्रेस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ऐस डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड और क्लेरिस ग्लोबल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड.
पिछले वित्तीय वर्ष के विवरण के अनुसार ईपीएमपीएल के प्रमुख प्रबंधन कर्मी और निदेशक हैं:
आय का लेखा जोखा
वर्तमान में, एक्सप्रेस पब्लिकेशंस (मदुरै) प्राइवेट लिमिटेड की वित्तीय वर्ष 2015 से 2023 तक की ज्यादातर वित्तीय जानकारी कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध है. इन आंकड़ों पर नज़र डालने से पता चलता है कि कंपनी के संचालन से मिलने वाली राजस्व में शुरुआती वर्षों में लगातार वृद्धि हुई- 2015 में यह 255.57 करोड़ रुपए से बढ़कर 2018 में 318.7 करोड़ रुपए हो गया.
लेकिन 2019 में इसमें गिरावट शुरू हुई, और यह 303.68 करोड़ रुपए हो गया. महामारी आने के बाद तो यह और भी कम हो गया. वहीं 2020 में यह 262.21 करोड़ रुपए, 2021 में 210.08 करोड़ रुपए और 2022 में सबसे कम 207.08 करोड़ रुपए हो गया.
वर्षों की मंदी के बाद, वित्तीय वर्ष 2023 में अंततः राजस्व में सुधार हुआ और यह 247.33 करोड़ रुपए हो गया. 2023 में प्रकाशन ने 256.79 करोड़ रुपए का कारोबार किया, जिसमें से विज्ञापनों से 201.08 करोड़ रुपए और सर्कुलेशन से 39.16 करोड़ रुपए प्राप्त हुए. शेष 9.45 करोड़ रुपए को 'अन्य आय' के रूप में वर्गीकृत किया गया है. जैसा कि वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है, टर्नओवर में पिछले वर्ष की तुलना में 42 करोड़ रुपए की वृद्धि देखी गई. पिछले वर्ष विज्ञापन से मिलनेवाला राजस्व और सर्कुलेशन आय क्रमशः 162.22 करोड़ रुपए और 38.46 करोड़ रुपए थी. 'अन्य आय' 6.75 करोड़ रुपए थी.
जहां तक मुनाफे की बात है, कंपनी ने 2015 में 18.91 करोड़ रुपए के घाटे से 2016 में 15.96 करोड़ रुपए के मुनाफे तक लंबी छलांग लगाई.
हालांकि 2017 में मुनाफा लगभग आधा होकर 8.73 करोड़ रुपए हो गया लेकिन 2018 में इसमें 14.79 करोड़ रुपए की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई.
इसके बाद अगले चार वर्षों में लगातार घाटा हुआ- 2019 में 15.71 करोड़ रुपए, 2020 में 33.74 करोड़ रुपए, 2021 में 20.63 करोड़ रुपए और 2022 में 33.51 करोड़ रुपए.
2023 में राजस्व में सुधार के बाद कंपनी 11.83 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाने में सफल रही.
इन वर्षों के दौरान टीएनआईई के प्रकाशनों के सर्कुलेशन में लगातार गिरावट देखी गई है:
कंपनी के दस्तावेजों के अनुसार, एक मध्यवर्ती सहायक कंपनी होने के कारण ईपीएमपीएल को समेकित वित्तीय विवरण देने की आवश्यकता नहीं है.
फिर भी, वित्तीय वर्ष 2020 और 2022 को छोड़कर, वर्ष 2017 से 2023 तक उपलब्ध सहायक कंपनियों के डेटा से हमें पता चलता है कि इसकी चार पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां हैं: एक्सप्रेस नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड या ईएनपीएल; एक्सप्रेस पब्लिकेशंस (चेन्नई) प्राइवेट लिमिटेड या ईपीसीपीएल; एक्सप्रेस न्यूज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड या ईएनएसपीएल; और दिनमणि प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड या डीआईएन.
2017 में केवल ईएनपीएल चालू था.
अगले वित्तीय वर्ष (2018) में, ईपीसीएल और डीआईएन ने क्रमशः 9,292 रुपए और 11,584 रुपए का मुनाफा दिखाया, जबकि, ईएनपीएल का मुनाफा 53.84 लाख रुपए रहा.
वित्तीय वर्ष 2019 में, ईपीसीएल का मुनाफा घटकर 6,100 रुपए, डीआईएन का 4,772 रुपए और ईएनपीएल का मुनाफा घटकर 23.28 लाख रुपए रह गया.
वहीं वित्तीय वर्ष 2021 में इन कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा. ईपीसीएल का मुनाफा बढ़कर 17,034 रुपए, डीआईएन का मुनाफा बढ़कर 18,320 रुपए और ईएनपीएल का मुनाफा 1.06 करोड़ रुपए हो गया.
2023 में जहां ईपीसीएल और डीआईएन का मुनाफा बढ़कर क्रमश: 28,040 रुपए और 19,636 रुपए हो गया. वहीं, ईएनपीएल का मुनाफा घटकर 76.61 लाख रुपए हो गया.
ये आंकड़े दिखाते हैं कि भले ही समूह के प्रकाशनों की डिजिटल और सोशल मीडिया पहुंच स्पष्ट रूप से इसके प्रिंट सर्कुलेशन से अधिक है, लेकिन डिजिटल ऑपरेशंस की तुलना में प्रिंट का राजस्व कहीं अधिक है.
ईपीएमपीएल की उसकी सहयोगी कंपनी केपीपीएल में 49 फीसदी हिस्सेदारी है. लेकिन चूंकि केपीपीएल से जुड़े कुछ विवाद अदालत में विचाराधीन हैं, इसलिए कंपनी द्वारा केपीपीएल के वित्तीय विवरण की सूचना नहीं दी गई है.
अंबत्तूर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड एक ऐसा उद्यम है जिसपर प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों और उनके परिवारों का महत्वपूर्ण प्रभाव या स्वामित्व है.
वित्तीय विवरण और स्वामित्व से जुड़ी सारी जानकारी मीडिया हाउस द्वारा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में दायर किए गए वित्तीय विवरणों और अन्य कंपनी दस्तावेजों से लिए गए हैं.
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
इन्फोग्राफिक्स: गोबिंद वीबी द्वारा
उद्धरण
1. किताब - वॉरियर ऑफ़ द फोर्थ इस्टेट, बीजी वर्गीज़
2. आपके मीडिया का मालिक कौन: इंडियन एक्सप्रेस का साम्राज्य और उसकी वर्तमान स्थिति
3. Rs 220 crore Indian Express group of late media baron Ramnath Goenka splits
4. कोर्ट का 1995 का आदेश
https://indiankanoon.org/doc/61205/
5. How S Gurumurthy brought the Sangh to politics and economics
https://caravanmagazine.in/politics/gurumurthy-rss-indian-express-demonetisation-hindu-economics
6. Interview: Manoj k Sonthalia, Chairman and Managing Director, Express Publications, Madurai
7. New Indian Express plans IPO, stake sale to PE https://www.livemint.com/Money/ElXQCS2YzLw0rIouqewQtK/New-Indian-Express-plans-IPO-stake-sale-to-PE.html
8. Interesting tussle on to gain control of 'Kannada Prabha'
9. Indian Express sues New IE again
https://www.dnaindia.com/india/report-indian-express-sues-new-ie-again-1549737
10. The Morning Standard: From a proud past to the future
11. India Today and The New Indian Express deny allegations by Cobrapost
https://theprint.in/india/governance/india-today-and-the-new-indian-express-deny-hindutva-push-allegations-made-by-cobrapost/63153/
12. कोबरा पोस्ट पर न्यू इंडियन एक्सप्रेस की प्रतिक्रिया
https://cobrapost.com/public/image/NewIndianExpress.pdf
13. https://www.indulgexpress.com/about-us
14. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से प्राप्त ईपीएमपीएल का वित्तीय विवरण/वार्षिक रिपोर्ट, शेयरहोल्डिंग और अन्य दस्तावेज़.
15. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से प्राप्त सिद्धार्थ मीडिया की शेयरहोल्डिंग और सहायक दस्तावेज़.
Also Read
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग ने वापस लिया पत्रकार प्रोत्साहन योजना
-
The Indian solar deals embroiled in US indictment against Adani group